CrPC Section 64: सीआरपीसी का सेक्शन-64 क्या है? सुप्रीम कोर्ट में इसे क्यों दी गई है चुनौती 

कुलदीप सिंह | Updated:Jan 06, 2023, 02:01 PM IST

सीआरपीसी की धारा 64 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

सीआरपीसी (CrPC) की धारा 64 (Section 64) में बताया गया है कि जब समन किए गए व्यक्ति न मिल सकें तब तामील कैसे हो?  

डीएनए हिंदीः सीआरपीसी (Code of Criminal Procedure) की धारा 64 का मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है. याचिका में कहा गया है कि धारा 64 महिलाओं के साथ भेदभाव करती है। इसके मुताबिक, किसी व्यक्ति को जारी समन परिवार की महिला उसकी जगह पर स्वीकार करने के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कानून व न्याय मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस संबंध में जवाब मांगा है. आखिर यह मामला क्या है इसे विस्तार से समझते हैं. 

याचिका में क्या कहा गया
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. नोटिस जारी किया है. साथ ही अटार्नी जनरल आर वेंकेटरमनी को अदालत की सहायता करने को कहा है. दरअसल महिलाओं के साथ भेदभाव और समन में होने वाली देरी की वजह से न्याय मिलने में होने वाली देरी को आधार बनाते हुए CrPC की धारा 64 को चुनौती दी गई है.

क्या है सीआरपीसी की धारा 64 (CrPC Section 64)
सीआरपीसी यानी दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure) की धारा 64 में कहा गया है कि जब समन किए गए व्यक्ति न मिल सकें तब समन की तामील कैसे ही जाए? इसमें कहा गया है कि समन किया गया व्यक्ति (person summoned) सम्यक् तत्परता बरतने पर भी न मिल सके, वहां समन की तामील दो प्रतियों में से एक को उसके परिवार को दी जाएं. इसमें कहा गया है कि समन उसके साथ रहने वाले किसी वयस्क पुरुष सदस्य के पास उस व्यक्ति के लिए छोड़कर की जा सकती है.  

सीआरपीसी क्या होती है (CrPC)
सीआरपीसी का पूरा नाम Code of Criminal Procedure होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. इसमें कुल 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. दरअसल जब भी कोई मामला चलता है तो उसमें पुलिस की ओर से पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए जिस प्रक्रिया का पालन किया जाता है उसका ब्यौरा सीआरपीसी (CrPC) में होता है. सीआरपीसी के लिए 1973 में कानून (Law) पारित किया गया था. इसके बाद 1 अप्रैल 1974 से दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी (CrPC) देश में लागू हो गई थी.   

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