Talaq-e-Hasan क्या है, क्यों कोर्ट में दी गई है इसके खिलाफ याचिका, जानें पूरा मामला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 28, 2022, 04:00 PM IST

Talaq-e-Hasan

Plea against Talaq-e-Hasan: याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया असंवैधानिक है. यह कानून का दुरुपयोग है.साथ ही यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है.

डीएनए हिंदी: बीते कुछ दिनों से तलाक-ए-हसन का मुद्दा चर्चा में है. 17 जून को जहां सुप्रीम कोर्ट को 5 जजों की बेंच ने तलाक-ए-हसन के खिलाफ दायक की गई याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में अगली सुनवाई 11 जुलाई को होनी है. वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में भी तलाक-ए-हसन के खिलाफ एक महिला की याचिका पर हाल ही में सुनवाई हुई. इसके तहत जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने दिल्ली पुलिस के साथ-साथ उस मुस्लिम व्यक्ति से जवाब मांगा जिसकी पत्नी ने तलाक-ए-हसन के नोटिस को चुनौती देते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. 

क्या कहा गया है याचिका में
याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया असंवैधानिक है. यह कानून का दुरुपयोग है.साथ ही यह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है. महिला ने याचिका में पति औऱ ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का आरोप भी लगाया है. बताया गया है कि महिला की शादी सन् 2020 में हुई थी.

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क्या होता है तलाक-ए-हसन
तलाक-ए-हसन मुस्लिम समुदाय से जुड़ी तलाक की एक प्रक्रिया है. इसमें पति अपनी पत्नी को एक बार तलाक बोलता है. फिर एक महीने बाद दूसरी बार तलाक बोलता है. एक महीने बाद तीसरी बार तलाक बोलता है. इन तीन महीनों के दौरान शादी लागू रहती है, लेकिन अगर इन तीन महीनों के अदंर पति-पत्नी में सुलह नहीं होती है और पति तीन महीने में तीन बार तलाक बोल देता है तो तलाक मान लिया जाता है. इसे लेकर बीते सालों में कई याचिकाकर्ता याचिका दायर कर चुके हैं.

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तीन तलाक से कैसे अलग है तलाक-ए-हसन
सन् 2017 में ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत को शायरा बानो बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया था. इसमें पुरुष एक बार में तीन तलाक बोलता था और शादी खत्म हो जाती थी. इसे असंवैधानिक घोषित किए जाने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने राहत की सांस ली थी. मगर तलाक-ए-हसन का मामला अलग है और अब इसे लेकर याचिकाएं डाली जा रही हैं. 

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