Meira Paibi: कौन हैं मीरा पैबी? मणिपुर में सेना की नाक में भी कर दिया दम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 23, 2023, 12:04 PM IST

Meira Paibi

Manipur Meira Paibi: मणिपुर में जारी हिंसा के बीच महिलाओं के गुट पर आरोप लग रहे हैं कि वह जानबूझकर सेना और सुरक्षाबलों का रास्ता रोक रही हैं.

डीएनए हिंदी: मणिपुर में लगभग ढाई महीने से हिंसा जारी है. जातीय संघर्ष के नाम पर हो रहा यह संघर्ष बेहद भयावह रूप ले चुका है. इसे रोकने के लिए मणिपुर पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा बल और देश की आर्मी तैनात है. कई बार ऐसी घटनाएं सामने आईं जब महिलाओं ने सुरक्षा बलों को घेर लिया और उन्हें पीछे लौटने पर मजबूर कर दिया. ऐसा ही एक बार और हुआ और महिलाओं के गुट के आगे मजबूर होकर सेना ने कई उग्रवादियों को छोड़ दिया और लौट गई. सेना और सुरक्षा बलों ने इसकी शिकायत भी की एक खास समूह ऐसा करता है. इसके पीछे मणिपुर के चर्चित मीरा पैबी ग्रुप का नाम आ रहा है. कभी सामाजिक आंदोलन की अगुवाई करने वाले इस गुट के बारे में कहा जा रहा है कि अब यह खुद हिंसा को बढ़ावा दे रहा है और सेना और सुरक्षा बलों के काम में बाधा डाल रहा है.

मौजूदा हिंसा में इस ग्रुप की महिलाएं मशाल लेकर निकलती हैं. यही वजह है कि सुरक्षा अधिकारियों ने भी मांग उठाई कि इनसे निपटने के लिए महिला सिपाहियों को भेजा जाए क्योंकि यहां के उग्रवादी महिलाओं को आगे करके आपराधिक घटनाओं को आगे करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क पर उतरने वाली महिलाएं सुरक्षाबलों का रास्ता रोक देती हैं और सबके सामने अपने कपड़े उतार देने की धमकी देती हैं. इतना ही नहीं, ये उग्रवादियों को भागने और छिपने में मदद करने के लिए बफर का भी काम करती हैं.

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कौन हैं मीरा पैबी?
इस ग्रुप को मणिपुर का टॉर्च बेयरर कहा जाता है क्योंकि ये मशाल लेकर भी चलती हैं. इसमें मैतेई समाज की महिलाएं शामिल होती हैं जो 'नैतिक शक्ति' का प्रतिनिधित्व करती हैं. महिलावादी मणिपुरी समाज में इन्हें विशेष अहमियत और सम्मान मिलता है. मणिपुर के बारे में हुए लगभग सभी आंदोलनों में इस संगठन ने अहम भूमिका निबाई है. पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब यह संगठन अपनी बात मनवाने के लिए निर्वस्त्र होने की धमकी देता है. ऐसी धमकियों के आगे अक्सर सेना और अन्य सुरक्षाबल भी बेबस हो जाते हैं.

अंग्रेजों के शासन काल में साल 1904 में कर्नल मैक्सवेल ने आदेश दिया था कि हर पुरुष 30 दिन में 10 दिन की फ्री मजदूरी करकेगा. इसके खिलाफ मीरा पैबी ग्रुप सड़कों पर उतरा और कर्नल मैक्सवेल को अफना आदेश वापस लेना पड़ा. 1939 में महाराजा की आर्थिक नीतियों के खिलाफ भी इसी ग्रुप ने आंदोलन किया. साल 2004 के मनोरमा देवी रेप केस के बाद मीरा पैबी ग्रुप की महिलाओं ने निर्वस्त्र होकर इंफान सिटी तक मार्च किया था. इसमें दिखाए गए पोस्टरों में आरोप लगाए गए कि सेना के जवानों ने रेप किया.

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सरकार से नाराज मीरा पैबी दे रहीं हिंसा का साथ
मणिपुर में हिंसा के बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब वहां गए तो उन्होंने भी मीरा पैबी ग्रुप से भी मुलाकात की थी. कहा जा रहा है कि यह ग्रुप केंद्र और मणिपुर सरकार के रवैये से नाराज है इसलिए वह हिंसा में शामिल लोगों का ही साथ दे रहा है. मीरा पैबी ग्रुप का कहना है कि वह अपनी जमीन और समुदाय की रक्षा कर रहा है और मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता को बचाने की कोशिश कर रहा है.

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इस संगठन की महिलाएं रात में पहरा देती हैं, सुरक्षाबलों के आने पर आगे आती हैं और रोस्टर में काम करती हैं. कई जगहों पर ऐसे धरने आयोजित किए गए जहां महिलाएं कुछ घंटे बैठतीं और कुछ घंटे के बाद दूसरी महिलाएं आ जातीं. इस गुट का कहना है कि अगर केंद्र और मणिपुर सरकार उनकी मदद करें तो मीरा पैबी इस युद्ध को रोकने और संघर्षपूर्ण मोर्चे पर जाने के लिए तैयार हैं.

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