डीएनए हिंदीः किसी भी राज्य में चुनाव नजदीक आते ही लोगों को दर्जा प्राप्त मंत्रियों (Nominated Minister) के पद बांटने का सिलसिला शुरू हो जाता है. लोगों को अलग-अलग निगम और परिषद का चेयरमैन बना दिया जाता है. इन लोगों को कई सुविधाएं भी मिलती हैं. यूपी में भी लोकसभा उपचुनाव से पहले बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव (Rajpal Yadav) के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanth) से मुलाकात के बाद चर्चा तेज थी कि उन्हें उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद का चेयरमैन बनाया जा सकता है. हालांकि अभी इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है. लोगों के मन में सवाल हैं कि आखिर दर्जा प्राप्त मंत्री कौन होते हैं और इन्हें क्या सुविधाएं मिलती हैं. इसे विस्तार से समझते हैं.
मंत्रिमंडल का कैसा होता है प्रारूप?
केंद्र और राज्यों में मंत्रिमंडल का प्रारूप करीब-करीब एक जैसा ही होता है. इसमें सबसे ऊपर कैबिनेट मंत्री आते हैं. उनके पास एक से अधिक मंत्रालय हो सकते हैं. इन्हीं के पास उस मंत्रालय की पूरी जिम्मेदारी होती है. इनकी मदद के लिए कई और मंत्री भी इनके अधीन हो सकते हैं. सरकार के सभी बड़े फैसले कैबिनेट में होते हैं. यह मंत्री ही कैबिनेट की बैठक में शामिल होते हैं. कैबिनेट मंत्री के बाद नंबर आता है राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार का. स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों के पास उन्हें आवंटित मंत्रालय और विभाग की पूरी जवाबदेही होती है. इन मंत्रियों को कैबिनेट की बैठक में शामिल नहीं किया जाता है. इनके बाद राज्यमंत्रियों का नंबर आता है. यह मंत्री कैबिनेट मंत्री के अधीन काम करते हैं. किसी कैबिनेट मंत्री के अधीन दो या अधिक राज्यमंत्री भी काम कर सकते हैं. किसी मंत्रालय में अधिक विभाग हैं तो राज्यमंत्रियों में उन्हें बांट दिया जाता है.
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दर्जा प्राप्त मंत्री कौन होते हैं?
दर्जा प्राप्त मंत्री कोई संवैधानिक पद नहीं होता है. यह पद सरकारें लोगों को स्टेटस के हिसाब से देती है. आम मंत्रियों की तरह यह कोई शपथ नहीं लेते हैं. दरअसल राज्य सरकार के कई निगम और परिषद के चेयरमैन को मंत्री पद का दर्जा दिया जाता है. इन लोगों को सुविधाएं देने के लिए उसे राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया जाता है. इसके लिए किसी लिखित आदेश की भी जरूरत नहीं होती है.
किसे दिया जाता है राज्यमंत्री का दर्जा?
इसे लेकर कोई नियम तय नहीं हैं कि किसे दर्जा प्राप्त मंत्री का पद दिया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकारों का ऐसा कोई कानून नहीं है जिसमें इसे लेकर कोई गाइडलाइन तय की गई हो. सरकारें अपने विवेक के अनुसार किसी को भी यह पद दे सकती हैं. आम तौर पर सरकारें चुनाव और जातीय गणित को देखते हुए इसके फैसले लेती हैं. जिन लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकती उन्हें दर्जा प्राप्त मंत्री बनाकर फायदा पहुंचाया जाता है.
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क्या-क्या मिलती हैं सुविधाएं
दर्जा प्राप्त मंत्रियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर भी कोई तय नियम नहीं हैं. हालांकि सुरक्षा से लेकर आवास और सरकार गाड़ी तक सभी सुविधाएं सरकारें उन्हें देती हैं. चूंकि इन्हें अपने विभाग का प्रशासनिक काम देखना होता है. ऐसे में उसके लिए जिन भी सुविधाओं की जरूरत होती है वह दी जाती हैं. इसके अलावा वेतन के रूप में भी अच्छा मानदेय दिया जाता है.
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