चुनाव में अगर दो कैंडिडेट की बराबर आएं वोट तो किसकी होगी जीत? जानिए क्या हैं नियम

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 14, 2023, 02:11 PM IST

vote Counting

Election Rule: चुनाव के दौरान दो प्रत्याशियों को अगर बराबर वोट मिल जाते हैं, तब चुनाव आयोग हार-जीत का फैसला कैसे करता है. आइये इसके बारे में जानते हैं.

डीएनए हिंदी: 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ये राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम हैं. चुनाव जीतने के लिए सभी उम्मीदवार एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. इस बीच सवाल यह उठ रहा है कि एक ही सीट पर अगर दो उम्मीदवारों के वोट बराबर आ जाते हैं तो उस स्थिति में जीत किसकी होगी? चुनाव आयोग किस उम्मीदवार को विजयी ही घोषित करेगा? आइये जानते हैं क्या नियम हैं.

दरअसल, इसके लिए एक निर्वाचन आयोग ने एक नियम बना रखा है. इस नियम के तहत मतगणना के दौरान दो उम्मीदवारों को वोट बराबार मिलते हैं तो उनकी जीत फैसला लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा. ये दोनों उम्मीदवार एक सीट के होने चाहिए. जिस प्रत्याशी के पक्ष में लॉटरी आ जाती है. उसे एक अतिरिक्त वोट मिला मान लिया जाता है और उसे विजयी घोषित कर दिया जाता है.

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यह अधिकार वहां के निर्वाचन अधिकारी के पास होता है. लॉटरी के बाद निर्वाचित पदाधिकारी चुनाव परिणाम की घोषणा करता है और बताता है कि उस सीट पर कौन उम्मीदवार विजयी हुआ. इसके बाद जिला निर्वाचन पदाधिकारी चुनाव में जीते प्रत्याशियों की सूची जारी करता है.

हारे हुए प्रत्याशी के पास होता है ये अधिकार
लॉटरी के माध्यम से जीते गए प्रत्याशी की एक प्रति राज्य निर्वाचन आयोग और पंचायती राज निदेशक को भी भेजी जाती है. अगर हारा हुआ प्रत्याशी चुनाव एजेंट की मतगणना पर सवाल उठाता है या मतों की पुनर्गणना की मांग करता है, तो उससे इसके लिए एक लिखित आवेदन देना पड़ता है. उसके लिए उसे सबूत देना पड़ता है कि वह क्यों फिर से मतगणना कराना चाहता है. इस आवेदन पर निर्वाचित अधिकारी या उसके द्वारा अधिकृत अधिकारी फैसला लेता है.

क्या है चुनाव आयोग?
भारत का चुनाव आयोग देश में चुनाव कराने और विनियमित करने के लिए स्थापित एक संवैधानिक बॉडी है. यह केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिए काम करता है. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग को संसद, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति कार्यालय और उपराष्ट्रपति कार्यालय के चुनावों की निगरानी और नियंत्रण करने की शक्ति देता है. चुनाव आयोग लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राज्य विधान परिषदों और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों सहित विभिन्न पदों के लिए चुनाव का संचालन करता है. 

चुनाव आयोग संविधान और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के प्राधिकार के तहत कार्य करता है. जब मौजूदा कानून चुनाव के दौरान विशिष्ट स्थितियों से निपटने के लिए अपर्याप्त हों तो आयोग के पास उचित रूप से कार्य करने की शक्ति होती है. चुनाव आयोग एक स्थायी संवैधानिक बॉडी है.
 

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