क्या है विशेषाधिकार कानून जिसके तहत विधानसभा में जमकर बोल रहे अरविंद केजरीवाल? समझें

नीलेश मिश्र | Updated:Apr 03, 2023, 12:11 PM IST

Arvind Kejriwal

Parliamentary Privilege Rights: सांसदों और विधायकों को मिलने वाले विशेषाधिकार का भरपूर इस्तेमाल इन दिनों अरविंद केजरीवाल खूब कर रहे हैं.

डीएनए हिंदी: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के कई बयान खूब चर्चा में हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'अनपढ़' बताया, बीजेपी के कई नेताओं कों भरा-बुला कहा और असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उनकी भाषा और बयानों को लेकर खूब सवाल उठाए जा रहे हैं. बीजेपी नेता उनके बयानों को शेयर कर रहे हैं. इस सबके बावजूद अरविंद केजरीवाल एकदम निश्चिंत हैं क्योंकि कोई नेता उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई न तो कर रहा है और न ही कर सकता है. विपक्ष के समर्थक अरविंद केजरीवाल की इस चाल पर तारीफ भी कर रहे हैं.

असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने तो खुलेआम चुनौती भी दी कि अरविंद केजरीवाल एक बार विधानसभा के बाहर बोलकर दिखाएं. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि उन्होंने जो बोला विधानसभा में बोला, बाहर बोलें तो मैं मानहानि का मुकदमा कर दूंगा. हालांकि, केजरीवाल ने विधानसभा में जो कहा, वैसा कुछ विधानसभा के बाहर नहीं कहा. दरअसल, इस सबकी वजह एक कानून है जिसके तहत विधायकों और सांसदों को सदन में खुलकर बोलने की आजादी मिलती है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं...

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केजरीवाल ने दिखाई चतुराई
हाल ही में राहुल गांधी को एक बयान के चक्कर में दो साल की जेल हो गई. इसी के चलते उनकी सदस्यता भी चली गई. अरविंद केजरीवाल इसके बाद बीजेपी पर और हमलावर हो गए. हालांकि, उन्होंने इसके लिए विधानसभा का मंच चुना. केजरीवाल इसे बखूबी समझते हैं कि विधानसभा में वह कुछ भी बोलेंगे उसके लिए उनके खिलाफ कोई मुकदमा नहीं कर पाएगा. यही वजह रही कि उन्होंने बीजेपी के नेताओं के लिए 'अनपढ़', 'चोर', 'भ्रष्टाचारी' और इसी तरह के कई शब्दों का इस्तेमाल किया. अब उनकी इस चतुराई की तारीफ खूब हो रही है.

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भारत के संविधान के तहत विधायकों और सांसदों को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं. संविधान के अनुच्छेद 105 के तहत सांसदों को और अनुच्छेद 194 के तहत विधायकों को ये अधिकार मिलते हैं. इसके तहत कोई भी विधायक या सांसद, सदन में जो कुछ भी बोलता है उसके लिए उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती. उसके खिलाफ कोई सिविल या आपराधिक मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता है.

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गिरफ्तारी से भी बचाता है यह कानून
अभिव्यक्ति की आजादी के अलावा यह कानून जनप्रतिनिधियों को संरक्षण भी देता है. किसी भी विधायक या सांसद को सदन की कार्यवाही के 40 दिन पहले या बाद में और सदन की कार्यवाही के दौरान सदन की अनुमति के बिना गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. गंभीर से गंभीर मामला होने पर भी विधानसभा या संसद के स्पीकर की अनुमति से ही किसी को गिरफ्तार किया जा सकता है.

यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल उठाने के लिए भी विधानसभा का मंच चुनते हैं. विधानसभा के मंच से ही उन्होंने यह भी कहा कि जितने भ्रष्टाचारी थे उनको बीजेपी ने बंदूक की नोक पर अपनी पार्टी में शामिल करा लिया.

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