डीएनए हिंदी: अपनी कला, प्रतिभा और कड़ी मेहनत से बहुत सी हस्तियां अपने-अपने क्षेत्र में विशेष पहचान बनाती हैं. ऐसे लोगों को संसद के उच्च सदन राज्य सभा के सदस्य के तौर पर नामित किया जाता है. हाल ही में दिग्गज एथलीट पीटी उषा (P T Usha), संगीत उस्ताद इलैयाराजा (Ilaiyaraaja), परोपकारी और धर्मस्थल मंदिर के प्रशासक वीरेंद्र हेगड़े (Veerendra Heggade) और प्रसिद्ध पटकथा लेखक वी विजयेंद्र प्रसाद (V Vijayendra Prasad) को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से संसद के उच्च सदन के लिए नामित किया गया है.
इस तरह के नामांकन के पीछे संवैधानिक अवधारणा यह रही है कि जब ऐसे लोग अपने ज्ञान, अनुभव और विशेषज्ञता के साथ राज्यसभा में आते हैं तो विधायी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अपनी स्वतंत्र राय रखते हैं. संगीतकार इलैयाराजा, ट्रैक-फील्ड एथलीट पीटी उषा, तेलुगु पटकथा लेखक वी विजेंद्रप्रसाद और आध्यात्मिक नेता वीरेंद्र हेगड़े ऐसे ही लोग हैं, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है.
उड़नपरी PT Usha और Ilaiyaraaja राज्यसभा के लिए नॉमिनेटेड
चारों शख्सियतें तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक की हैं. इनका कार्यकाल छह साल का होगा और 28 जुलाई, 2028 तक चलेगा. राज्यसभा में, भारत के राष्ट्रपति 12 सीटों के लिए मनोनीत सदस्यों की नियुक्ति करते हैं. राज्यसभा में पहले से ही पांच मनोनीत सदस्य हैं. इन चारों के साथ इनकी संख्या 9 हो जाएगी.
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बाकी तीन सीटों के लिए नामांकन का इंतजार है. वर्तमान में राज्यसभा के मनोनीत सदस्यों में विधि विशेषज्ञ महेश जेठमलानी (Mahesh Jethmalani), डांसर सोनल मानसिंह (Sonal ManSingh), राजनेता राम सकल (Ram Sakal), प्रोफेसर राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) और पूर्व CJI रंजन गोगोई (ranjan Gogoi) शामिल हैं.
12 सदस्यों को मनोनीत करने का क्या है संवैधानिक प्रावधान?
संविधान के अनुच्छेद 80 के प्रावधान के मुताबिक, राष्ट्रपति के राज्यसभा में 12 ऐसे सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों और विषयों में प्रतिष्ठित व्यक्ति और विशेषज्ञ हों. इसी अनुच्छेद के खंड 3 में कहा गया है कि यदि राज्यसभा में नामांकन के माध्यम से 12 सदस्यों की नियुक्ति की जाती है तो सदन में 238 से अधिक सदस्यों का चुनाव नहीं किया जा सकता है.
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देश के संविधान निर्माण के बाद 1952 में राज्यसभा का गठन हुआ. तब से अब तक 142 लोगों को नामांकन के जरिए राज्यसभा में सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा चुका है. इसमें विद्वान, कानूनविद, इतिहासकार, साहित्यकार, वैज्ञानिक, डॉक्टर, खिलाड़ी, सामाजिक कार्यकर्ता और राजनेता शामिल हैं.
आमतौर पर मनोनीत सदस्य कौन होते हैं?
मनोनीत सदस्य आमतौर पर विशेष क्षेत्रों के दिग्गज होते हैं. कुछ लोग किसी क्षेत्र विशेष में बेहद प्रसिद्ध होते हैं जिन्होंने राष्ट्र के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया है. आमतौर पर ये लोग साहित्य, कला, समाज सेवा और राजनीति से जुड़े क्षेत्रों की जानी-मानी हस्ती होते हैं.
क्यों पड़ी 12 सदस्यों को मनोनीत करने की जरूरत?
संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति के सदस्य एन गोपालस्वामी अयंगर का मानना था कि उन लोगों को मौका दिया जाना चाहिए जो राजनीति का हिस्सा नहीं हैं. देश के विकास में उनका योगदान बेहद खास होता है इसलिए उनका उच्च सदन जाना जरूरी है. उनके ज्ञान और अनुभव से सदन को लाभ हो सकता है.
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क्या होते हैं मनोनीत सदस्यों के अधिकार और कितना होता है कार्यकाल?
मनोनीत राज्यसभा सदस्यों के पास वही अधिकार और शक्तियां हैं होती हैं जो राज्यसभा या लोकसभा में चुने गए सदस्यों को मिलती हैं. वे सदन की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं. अपनी विशेषज्ञता और अनुभव से विधायी कार्य को बेहतर बना सकते हैं. उनकी उपस्थिति से, राज्यसभा में बहस का स्तर बेहतर होता है.
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