10 दिन से भूख हड़ताल पर क्यों बैठे हैं 'असली रैंचो' Sonam Wangchuk, जानिए मोदी सरकार से क्या चाहते हैं

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 26, 2023, 01:59 PM IST

Sonam Wangchuk

Sonam Wangchuk Hunger Strike: सोनम वांगचुक एक बार फिर से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. पिछले 9 दिनों से उनकी यह हड़ताल लगातार जारी है.

डीएनए हिंदी: मशहूर रिसर्च स्कॉलर सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) एक बार फिर से भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. 18 जून से ही सोनम वांगचुक लद्दाख के लिए धरने पर बैठे हैं. 19 जून को लद्दाख के कुछ प्रतिनिधियों को गृह मंत्रालय ने मुलाकात के लिए भी बुलाया था लेकिन बात नहीं बनी. इससे पहले सोनम वांगचुक -25 डिग्री सेल्सियस तापमान में धरने पर बैठे हैं. इस बार वह भीषण गर्मी में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. पहले वह सिर्फ 7 दिन तक भूख हड़ताल करने वाले थे लेकिन अब उन्होंने अपनी इस भूख हड़ताल का समय बढ़ा दिया है. 

सोनम वांगचुक पहले भी लद्दाख की जलवायु और पर्यावरण को बचाने और उसे संरक्षित रखने की मांग करते रहे हैं. वह खुद अपने स्तर पर कई ऐसे प्रयोग भी करते हैं जिससे लद्दाख की जलवायु को संरक्षित किया जा सके. इसी के लिए वह आइस स्तूप जैसे अभियान चलाते हैं जिनमें विज्ञान की मदद से पानी के स्तूप बनाकर उन्हें संरक्षित किया जाता है और इस पानी को गर्मियों में इस्तेमाल में लाया जाता है.

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क्या है लद्दाख और कारगिल की मांग?
लद्दाख अपेक्स बॉडी (LAB) और करगिल डेमोक्रैटिक अलायंस (KDA), ये दो संगठन ऐसे हैं जिनके और गृह मंत्रालय के बीच पिछले 21 महीनों से कोई बातचीत नहीं हो पा रही थी. आखिर में दोनों संगठन बातचीत के लिए राजी हुए और गृह मंत्रालय ने इन दोनों संगठनों को बातचीत के लिए बुलाया. दोनों ही संगठनों से तीन-तीन प्रतिनिधि मुलाकात के लिए गए. इसमें पूर्व सांसद थुप्सटन छेवांग, चेरिंग दोर्जे, नवांग रिगजिन जोरा, कमल अली अखून, हाजी असगर अली और सज्जाद कारगिली शामिल थे.

इन प्रतिनिधियों ने लद्दाख को पूर्ण राज्य या संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा, लेह और कारगिल के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें और स्थानीयों के लिए आरक्षण की मांग उठाई. यानी इन संगठनों की मुख्य मांगें इन्हीं चार बिंदुओं पर आधारित है. लंबे समय के बाद हुई इस बैठक को लद्दाख और कारगिल के मुद्दों के समाधान के लिए सकारात्मक माना जा रहा है.

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सोनम वांगचुक क्या चाहते हैं?
मशहूर खोजकर्ता सोनम वांगचुक पर्यावरण के प्रति काफी संवेदनशीलता रखते हैं. वह अपने प्रयोगों के जरिए भी अक्सर दिखाते हैं कि लद्दाख की जलवायु कितनी संवेदनशील है और 'बाहरी' गतिविधियों से इस पर कितना असर पड़ता है. इसी वजह से वह I Live Simply नाम का अभियान चलाते हैं. इस अभियान के तहत वह लोगों से अपील करते हैं कि वे ऐसी गतिविधियां कम करें जिससे पर्यावरण पर असर पड़ता है.

सोनम वांगचुक समेत तमाम लद्दाखवासियों का कहना है कि केंद्र शासित प्रदेश होने की वजह से सारे फैसले केंद्र के अधिकारी लेते हैं जबकि उन्हें लद्दाख के बारे में पूरी जानकारी ही नहीं होती है. ऐसे में मांग है कि या तो केंद्र शासित प्रदेश विधानसभा के साथ हो या फिर पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. छठी अनुसूची के तहत, लद्दाख को ठीक उसी तरह का संरक्षण मिले जैसे कि अनुसूचित जनजातियों को मिलता है. सोनम वांगचुक का कहना है कि सरकार ने भी कहा था कि वह इस मांग को पूरी करेगी और लोगों ने इसी भरोसे पर वोट भी दिया था.

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