डीएनए हिंदी: अग्निपथ योजना शुरुआत से ही आलोचनाओं का शिकार हुई है. सिर्फ चार साल के लिए सेना में भर्ती होने वाले अग्निवीर जवानों के शहीद होने के मुद्दे पर बीते दिनों जमकर हंगामा हुआ. एक जवान की मौत के बाद सवाल उठाए गए कि जवान 'शहीद' हुआ था लेकिन उसे सम्मान नहीं दिया गया. इस पर सेना ने बताया कि असल में उस जवान ने आत्महत्या की थी. इस बार सियाचिन में तैनात अग्निवीर अक्षय लक्ष्मण गवते ड्यूटी पर शहीद हुए. विपक्ष ने फिर से वही सवाल उठाया कि 'अग्निवीर' होने के नाते इस जवान के परिवार को कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाएगी. इन आरोपों पर भारतीय सेना ने खुद ही स्पष्टीकरण दिया है.
राहुल गांधी ने रविवार को ट्वीट किया, 'सियाचिन में, अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण की शहादत का समाचार बहुत दुखद है. उनके परिवार को मेरी गहरी संवेदनाएं. एक युवा देश के लिए शहीद हो गया - सेवा के समय न ग्रेच्युटी न अन्य सैन्य सुविधाएं और शहादत में परिवार को पेंशन तक नहीं. अग्निवीर, भारत के वीरों के अपमान की योजना है!' इसके बाद कई कांग्रेस नेताओं ने भी सवाल उठाए कि शहीद अक्षय गवते के परिवार को कोई मदद नहीं मिलेगी.
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अग्निवीर शहीद पर सेना का जवाब
सेना ने इन आरोपों पर स्पष्टीकरण जारी किया है. सेना ने अपने बयान में कहा है, 'सोशल मीडिया पर अग्निवीर योजना के तहत भर्ती हुए जवान के शहीद होने पर आर्थिक मदद को लेकर कई भ्रामक दावे किए जा रहे हैं, ऐसे में स्पष्टीकरण देना जरूरी है. अग्निवीर योजना के तहत भर्ती होने वाले जवानों को कुछ तय लाभ दिए जाएंगे.'
अग्निवीर के शहीद होने पर मिलने वाली मदद
-48 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस कवर
- सेवा निधि के पैसे जिसमें 30 प्रतिशत रुपये अग्निवीर की सैलरी से कटते हैं और उतने ही पैसे सरार अपनी ओर से देती है. साथ ही इन पैसों पर लगा ब्याज भी मिलेगा.
- 44 लाख रुपये की सहायता राशि
-बची हुई सर्विस की सैलरी, इस केस में लगभग 13 लाख से ज्यादा रुपये
-आर्म्ड फोर्सेज बैटल कैजुअलटी फंड से 8 लाख रुपये की सहायता
-AWWA की ओर से 30 हजार रुपये की त्वरित की सहायता
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सेना के मुताबिक, अग्निवीर के शहीद को लगभग एक करोड़ रुपये की सहायता राशि मिलेगी. हालांकि, अग्निवीर के जवानों का PF नहीं कटता है, इन जवानों को पेंशन देने के प्रावधान नहीं है और न ही ग्रेच्युटी देनी होती है. इसके अलावा, सेवा निधि के तौर पर मिलने वाले पैसों पर टैक्स भी नहीं लगता है. अगर किसी अग्निवीर जवान का निधन ऐसे समय पर होता है जब वह ड्यूटी पर न हो तब उसके परिवार को 48 लाख रुपये का इंश्योरेंस कवर, मृत्यु की तारीख तक की सेवा निधि और कॉर्पस फंड के पैसे दिए जाते हैं.
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