डीएनए हिंदी: महिलाओं के जीवन का अहम पड़ाव होता है मां बनना. फिर चाहे वह गर्भावस्था की प्रक्रिया से गुजरें या बच्चा गोद लें. इस अहम पड़ाव को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार की तरफ से भी कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस मामले में एक नई मिसाल कायम की है. हिमाचल सरकार ने बच्चे गोद लेने वाली नियमित महिला कर्मचारियों को भी छह महीने की छुट्टी देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अडॉप्शन लीव (Adoption Leave) को लेकर किया गया ये फैसला काफी अहम माना जा रहा है. क्या होती हैं अडॉप्शन लीव, क्यों जरूरी हैं जानते हैं इसके बारे में सब कुछ-
क्या होती है अडॉप्शन लीव
अडॉप्शन लीव का मतलब उन माता-पिता को मिलने वाली छुट्टियों से हैं जिन्होंने बच्चा गोद लिया है. जिस दिन कोई भी दंपति बच्चा गोद लेता है उस दिन से वह अडॉप्शन लीव के लिए आवेदन कर सकता है. हिमाचल प्रदेश के नए नियम के अनुसार बच्चा घर में आने के 6 महीने बाद तक बच्चे की मां छुट्टी दी जाएगी. हिमाचल सरकार का यह फैसला उन माता-पिता के लिए काफी अहम है जो बच्चा गोद लेकर माता-पिता बनना चाहते हैं. हालांकि इस तरह की छुट्टियों का प्रावधान हर राज्य में नहीं है.
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क्यों जरूरी होती है Adoption Leave
प्राकृतिक रूप से माता-पिता बने लोगों की तरह ही बच्चा गोद लेकर माता-पिता बने लोगों के लिए भी कई तरह की चुनौतियां होती हैं. ऐसे में अडॉप्शन लीव के जरिए उन्हें अपनी नई जिम्मेदारी वाली जिंदगी को लेकर बेहतर तरीके से फैसले लेने की सुविधा मिलती है. बच्चे की बेहतर परवरिश, नए माहौल में उसे बेहतर महसूस कराने के लिए यह छुट्टियां काफी अहम भूमिका निभाती हैं.
इस राज्य में भी मिलती है अडॉप्शन लीव
हिमाचल प्रदेश ऐसा करने वाला पहला राज्य नहीं है. इससे पहले कर्नाटक राज्य में भी बच्चा गोद लेने वाली महिलाओं को 180 दिनों के मातृत्व अवकाश की मंजूरी दी जा चुकी है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी ऐसा फैसला किया जा चुका है. इसके तहत एक महिला जिसके दो बच्चे हैं और वो वैध तरीके से अगर बच्चा गोद लेती है और उस बच्चे की आयु एक वर्ष से कम है तो उसे पूरे 180 दिन की चाइल्ड केयर लीव मिल सकती है.
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