Women Reservation Bill: संसद से पास, पढ़ें अब लागू होने में क्या क्या आएंगी अड़चनें

Written By रईश खान | Updated: Sep 22, 2023, 09:34 AM IST

Women Reservation Bill

Women Reservation Bill: महिला आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. लेकिन यह लागू 2029 के बाद ही हो पाएगा. इसके पीछे क्या कारण हैं, आइये जानते हैं.

डीएनए हिंदी: संसद के विशेष सत्र के दौरान मोदी सरकार ने आखिरकार उस महिला आरक्षण बिल को पास करा लिया है जो 27 साल से अटका पड़ा था. लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को सर्वसम्मति से पास किया गया. विधेयक के पक्ष में 214 सदस्यों ने वोट डाला, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा. इससे पहले 20 सितंबर को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पास हुआ था. अब यह बिल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा जाएगा. जहां राष्ट्रपित की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा. लेकिन इस बीच सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या कानून बनने के बाद सरकार को इसे लागू करने में अड़चने आएंगी?

जानकारों की मानें तो महिला आरक्षण बिल को अभी लंबा सफर तय करना है. क्योंकि पहले जनगणना और फिर सीटों के लिए परिसीमन का काम होगा. दोनों ही चीजों को महिला आरक्षण बिल से जोड़ा गया है. इस कारण कानून बनने के बाद भी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने में वक्त लगेगा. उनका कहना है कि जनगणना और परिसीमन दोनों ही काफी जटिल प्रक्रियाएं हैं. इनकी रफ्तार काफी धीमी होती है. हालांकि कहा ये जा रहा है कि जनगणना-21 डिजिटल तरीके से कराई जाएगी, लेकिन इसके वेरिफिकेशन में काफी वक्त लगेगा. जनगणना पूरी होने के बाद परिसीमन का काम किया जाएगा. कुल मिलाकर महिला आरक्षण कानून को 2029 के बाद ही लागू किया जाएगा.

कब शुरू होगी जनगणना?
देश में जनगणना 2021 में होनी थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से यह अनिश्चित काल के लिए टाल दी गई थी. फिर इसी साल जून में भारत के जनगणना रजिस्‍ट्रार जनरल ने प्रशासनिक सीमाएं 1 जनवरी 2024 से कराने की घोषणा कर दी. गौलतरब है कि प्रशासनिक सीमाएं तय होने के बाद ही जनगणना हो पाएगी. इसमें अधिकारियों के बताया जाएगा कि आपको इस सीमा से उस सीमा तक जगणना करनी है. यह सीमाएं जिले, तहसील, शहर, कस्बा और गांवों से जुड़ी होती हैं. सीमाएं तय होने के लगभग 3 महीने बाद जगणना शुरू की जाएगी. उस समय तक देश में लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी होगी. फिलहाल जनगणना कराने के लिए तारीख का ऐलान भी नहीं किया गया है.

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परिसीमन का जनगणना से क्या कनेक्शन?
परिसीमन का देश की आबादी से कनेक्शन होता है. बढ़ती जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं फिर से निर्धारित की जाती हैं. इसके पीछा का कारण होता है कि लोकतंत्र में पूरी आबादी को सही से प्रतिनिधत्व करने का समान अवसर मिले. आसान भाषा में समझें तो परिसीमन से राज्यों में जनसंख्या के आधार पर सीटों की संख्या तय होगी. उदारहण के तौर पर समझें-

  • तमिलनाडु की वर्तमान जनसंख्या लगभग 7 करोड़ 68 लाख है. यहां कुल 39 लोकसभा सीटें हैं. 
  • मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या 8 करोड़ 65 लाख है. यहां लोकसभा की 29 सीटें हैं.
  • परिसीमन हुए तो मध्य प्रदेश में लोकसभा की सीटें बढ़कर 86 हो जाएंगी.
  • तमिलनाडु में जनसंख्या के आधार पर 76 सीटें हो जाएंगी.
  • दरअसल, देश के कानून के हिसाब से 10 लाख की आबादी पर 1 सांसद की सीट होनी चाहिए.

परिसीमन पर क्या कहता संविधान?
भारत के संविधान के अनुच्छेद-82 में परिसीमन का जिक्र किया गया है. देश के राष्ट्रपति के आदेश पर चुनाव आयोग अपनी देखरेख में परिसीमन का काम करवाता है. हर 10 साल में जब देश की जनसंख्या का डेटा सामने आता है तब परिसीमन करवाने पर विचार किया जाता है. दरअसल देश में हर 10 साल में जगणना कराई जाती है. पिछली बार 2011 में जगणना कराई गई थी. अगर जनगणना में देश या किसी राज्य की आबादी बढ़ जाती है तो वहां परिसीमन कराने पर विचार किया जाता है. हालांकि साल 2002 में कानून में किए संशोधन की वजह से 2026 से पहले देश में परिसीमन को नहीं शुरू किया जा सकता. 

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महिला आरक्षण कानून के क्या होंगे फायदे
महिला आरक्षण कानून बन जाने के बाद लोकसभा और विधानसभा सीटों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित होंगी. इससे देश की राजनीति में महिलाओं की तादाद बढ़ेगी. मौजदा समय में 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या 82 है, जो इस कानून के लागू होने के बाद बढ़कर 181 हो जाएगी. साथ ही राज्य की विधानसभाओं में भी महिलाओं की संख्या में इजाफा होगा. इस कानून में 33 प्रतिशत आरक्षण में एससी और एसटी महिलाओं के लिए भी आरक्षण दिया गया है.

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