डीएनए हिंदी: अमेरिका और पश्चिमी देशों की आलोचना के बीच बेल्ट एंड रोड परियोजना पर बड़ा सम्मेलन करने जा रहा है. चीन के राष्ट्रपति के लिए यह बीआरआई कॉन्फ्रेंस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर ही नहीं घरेलू मोर्चे पर भी शक्ति प्रदर्शन का मौका है. बताया जा रहा है कि इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत दुनिया के कई देशों के नेता भी हिस्सा लेंगे. भारत में हो रहे जी20 सम्मेलन में पुतिन और शी जिनपिंग दोनों ही हिस्सा लेने नहीं आए हैं. चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना जिनपिंग की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से है. जिनपिंग और पुतिन दोनों इस वक्त देश के अंदर ही चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और इस आयोजन की सफलता दोनों के वैश्विक कद के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
BRI सम्मेलन के जरिए चीन का शक्ति प्रदर्शन
जी-20 से दूरी बरत रहा चीन ने गुरुवार को बताया कि तीसरे बीआरआई सम्मेलन को बीजिंग में आयोजित किया जा रहा है. बीआरआई के 10 साल पूरा होने पर यह आयोजन किया जा रहा है. ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए 90 देशों ने सहमति दी है और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इसमें हिस्सा लेंगे. बीआरआई चीन की महत्वाकांक्षी योजना है जिसमें अब तक 1 ट्रिलियन डॉलर के निवेश का दावा किया जा रहा है. चीन इस सम्मेलन के जरिए भारत के जी-20 और पश्चिमी देशों को अपनी ताकत का प्रदर्शन करना चाहता है. कोविड महामारी के बाद से चीन की स्थिति लगातार अलग-थलग पड़ती जा रही है.
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बीआरआई के जरिए चीन के राष्ट्रपति अपने मेकओवर की फिराक में
चीन की राजनीति पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अर्थव्यवस्था की सुस्त रफ्तार और बेरोजगारी जैसे मोर्चे पर पार्टी के अंदर ही आलोचना का सामना कर रहे हैं. बीआरआई सम्मेलन का भव्य आयोजन कर वह जनता और पार्टी के बीच अपनी मजबूत वैश्विक छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि बीआरआई का अमेरिका, इंग्लैड समेत तमाम पश्चिमी देश विरोध कर रहे हैं. बीआरआई चीन की साम्राज्यवादी मानसिकता की ही एक झलक है जिसमें फंसकर पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश आर्थिक तौर पर बर्बादी की कगार पर हैं.
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BRI को किसी बड़े देश का नहीं मिल रहा समर्थन
अपनी साम्राज्यवादी मानसिकता और कर्ज के जाल में फंसाने की नीयत से चीन ने बीआरआई कार्यक्रम का आक्रामक मानसिकता के साथ खूब प्रचार किया. चीन के कर्ज के जाल में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश फंसकर बर्बाद हो चुके हैं. दूसरी ओर अब जिनपिंग अफ्रीकी देशों को अपना शिकार बना रहे हैं. बीआरआई को पश्चिमी देशों और किसी भी बड़े देश से अब तक समर्थन नहीं मिला है. जी-20 में शामिल देशों में सिर्फ इटली ही एक देश है जो इसका सदस्य है लेकिन इटली ने भी चीन की नीतियों की आलोचना करते हुए इसमें शामिल होने को अपनी बड़ी भूल बता चुका है.
अब देखना यह है कि भारत की सफलता से जल रहे चीन का बीआरआई सम्मेलन कितना सफल रहता है. भारत में जी-20 का भव्य आयोजन हो रहा है और इसकी सफलता पर पूरे देश की नजर है. जी-20 के समझौतों और कार्यक्रमों से अलग पीएम मोदी अलग-अलग देशों के राष्ट्राध्यक्षों से भी द्विपक्षीय वार्ता करने वाले हैं. इस लिहाज से भी भारत के लिए यह आयोजन अहम है. माना जा रहा है कि द्विपक्षीय समझौतों के जरिए भी भारत को कुछ बड़ी उपलब्धियां मिल सकती हैं.
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