पिछले कुछ समय से इजरायली सेना की तरफ से लगातार लेबनान, यमन, सिरिया और मिडिल-ईस्ट के कई इलाकों पर हमले किए जा रहे हैं. इस समय इजरायल और ईरान के बीच युद्ध की स्थिति बनी हुई है. ये हमले ईजरायल के मिडिल-ईस्ट में बढ़ते प्राभाव को दिखाता है, साथ ही उसकी बढ़ती आक्रामकता की ओर इशारा करता है. कई जानकारों का कहना है कि पीएम बेंजामिन नेतन्याहू 'ग्रेटर इजरायल' बनाने का ख्वाब देख रहे हैं. 'ग्रेटर इजरायल' को बनाने का प्लान यहुदियों की व्यापक परियोजना का हिस्सा है. दरअसल सदियों से यहूदी जेरुस्लम और फिलिस्तीन पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए 'ज़ायनिज़्म' मूवमेंट चला रहे हैं.
क्या है 'ग्रेटर इजरायल' की अवधारणा?
'ग्रेटर इजरायल' की अवधारणा के मुताबिक मिडिल-ईस्ट के जिन इलाकों का यहुदियों की धार्मिक किताबों में जिक्र है, उनपर यहूदियों का शासन होना चाहिए. इसके लिए वो सदियों तक रणनीतियां बनाते रहे. कई लड़ाई लड़ीं, लंबे समय तक वो असफल भी हुए, लेकिन दूसरे विश्वयुद्ध के बाद उन्हें इजरायल बनाने में सफलता मिली, लेकिन उनके मुताबिक इजरायल उनके धार्मिक किताबों के अनुरूप नहीं बना है. उनके कई धार्मिक इलाके आज भी उनके देश का हिस्सा नहीं हैं, ऐसे में वो आज भी उन इलाकों पर अपना दावा ठोकते हुए ग्रेटर इजरायल बनाने की बात करते हैं. आपको बता दें कि यहूदियों के पहले पैगंबर अब्राहम ने वहां टेंपल माउंट बनवाया था. शुरुआती सदियों में इजरायल हमेशा से यहूदियों के पास ही रहा था. बीच-बीच में रोमन एंपायर वहां वर्चस्व में आया जरूर था, लेकिन यहूदी लगातार संघर्ष करते रहे, और अपने इलाके को अपना कब्जे में बनाए रखा.
12वीं सदी में हुए सुल्तान सलाउदीन अयूबी के जेरुस्लम पर हमले के बाद से वो इलाके मुसलमानों के पास चले गए. फिर दूसरे विश्वयुद्ध के बाद इजरायल का निर्माण हुआ, और इन इलाकों का एक बड़ा हिस्सा यहूदियों के कब्जे में आया. सात सौ साल तक ये इलाके मुस्लिम शासकों के कब्जे में थे, जिनमें तुर्की का खिलाफत-ए-उस्मानिया भी शामिल था. उस दौरान यहुदियों का बड़े स्तर पर यूरोपिये देशों में पलायन हुआ. उसी कालखंड में वो अपने इन इलाकों को वापस अपने कब्जे में लेने के लिए कई बार धर्मयुद्ध भी छेड़ा. वो लगातार असफल जरूर रहे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. इसी का नतीजा था कि 20वीं सदी के मध्य में उनकी पवित्र भूमि फिर से उनके पास थी.
क्या है 'ज़ायनिज़्म' आंदोलन?
ज़ायनिज़्म यहूदियों का राष्ट्रवादी आंदोलन है, जो एक राजनीतिक आंदोलन के साथ-साथ धार्मिक आदोलन भी है. इसका लक्ष्य एक यहूदी राष्ट्रीय राज्य का निर्माण और समर्थन करना है. इसके मुताबिक फिलिस्तीन यहूदियों की प्राचीन, पवित्र और मातृभूमि है, जिसका असल नाम इजरायल है. हालांकि ज़ायनिज़्म शब्द 19वीं सदी में ट्रेंड में आया था. ये सबसे ज्यादा पूर्वी और मध्य यूरोप में प्रचलित हुआ था, जहां यहूदियों की बड़ी आबादी रहती थी. ऐतिहासिक मायनों में यहूदियों और यहूदी धर्म के लोगों का फिलिस्तीन के इलाके से धार्मिक लगाव रहा है. यहूदियों के मुताबिक सिय्योन और प्राचीन यरूशलेम की पहाड़ियों में खुदा का निवास है.
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