Delhi Pollution Reason: पराली, पटाखे और धुआं, दिल्ली की हवा को खराब करती हैं ये चीजें
दिल्ली में सर्दी आफत बनकर आती है. वायु की गुणवत्ता अक्टूबर से जनवरी के बीच बेहद बुरी स्थिति में पहुंच जाती है. आइए जानते हैं उन वजहों के बारे में जिनके चलते दिल्ली के लोग परेशान रहते हैं.
दिवाली के आसपास बढ़ते प्रदूषण की एक वजह पराली भी है. धान की फसलें, अगुवा बुवाई की वजह से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में दिवाली आते-आते तैयार हो जाती हैं. फसल कटने के बाद, किसान अपने खेतों में अतिरिक्त जुताई से बचने के लिए पराली को जला देते हैं. खेतों की पराली से उठने वाला धुआं, दिल्ली को धुंध के गुबार से ढक देता है. धुआं अपने साथ प्रदूषकों और धूल के कणों को साथ लेकर आगे बढ़ता है. दिल्ली की स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां से ये धुआं किसी और जगह चला जाए. सघन आबादी की वजह से दिल्ली इनसे सबसे ज्यादा प्रभावित होती है.
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दिल्ली में समान्य दिनों में भी वायु की गुणवत्ता खराब स्थिति में रहती है. सघन आबादी होने की वजह से यहां गाड़ियों की संख्या भी बाकी जगहों की तुलना में ज्यादा है. ट्रैफिक की वजह से बड़ी संख्या में प्रदूषित धुआं निकलता है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान ने अपने रिसर्च में यह कहा था कि दिल्ली के बढ़ते वायु प्रदूषण में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं कम जिम्मेदार नहीं है. त्योहारी सीजन में लोगों की आवाजाही और बढ़ जाती है. पहले नवरात्रि फिर दिवाली और छठ का उत्सव के चलते लोग ज्यादा प्राइवेट गाड़ियों का इस्तेमाल करने लगते हैं. दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की एक वजह यह भी है. तभी दिल्ली का स्मॉग दिवाली की वजह से और बढ़ जाता है.
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सर्दी के मौसम में हवा में मौजूद धूल के कण और प्रदूषक स्थिर हो जाते हैं. दिवाली आते-आते ठंड दस्तक दे देती है. स्थिर और सूखी हवाओं की वजह से ये प्रदूषक तत्व हवा में ही रह जाते हैं और धुंध की शक्ल में तब्दील हो जाते हैं. यह स्मॉग के बढ़ने की प्रमुख वजह है.
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दिल्ली में निर्माण कार्य कभी थमता नहीं है. कंस्ट्रक्शन वर्क की वजह से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. दिवाली आते-आते प्रदूषक हवा में स्थिर होने लगते हैं. ये वायु की गुणवत्ता को खराब करते हैं और प्रदूषण को गंभीर स्थिति में पहुंचा देते हैं. औद्योगिक कचरे भी हवा में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अवयव हैं. इनकी वजह से भी स्मॉग खत्म नहीं होता है.
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दिल्ली में जैसे ही नवरात्रि शुरू होती है, दिल्ली के लोग फेस्टिव मूड में आ जाते हैं. पटाखों पर प्रतिबंधों के बाद भी रावण दहन होता है, पटाखे फोड़े जाते हैं और हवा में जहर घुलता रहता है. दिवाली पर पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के बाद भी पटाखे छोड़े जाते हैं. दिवाली के अगले दिन दिल्ली की हवा में सांस लेना भी मुहाल होने लगता है. सांस से संबंधित कई बीमारियां लोगों को होने लगती हैं.