Pakistan Floods: चौतरफा मुश्किलों में घिरा पाकिस्तान, आर्थिक संकट, तालिबान विद्रोह और बाढ़ से कैसे जूझ रहा है देश?

पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से करीब 1,000 लोगों की मौत हो गई है और 1,500 लोग बुरी तरह घायल हैं. खराब आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान बाढ़ की त्रासदी से भी जूझ रहा है.

अभिषेक शुक्ल | Updated: Aug 29, 2022, 09:25 PM IST

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अर्थव्यवस्था, भ्रष्टाचार, महंगाई और तालिबान समर्थक विद्रोही गुटों के बढ़ते वर्चस्व के बीच पाकिस्तान अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. पाकिस्तान में हालात बाढ़ की वजह से बेहद खराब हो गए हैं
 

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पाकिस्तान बीते कुछ हफ्तों से बाढ़ की चपेट में है. अचानक आई बाढ़ ने बलूचिस्तान, खैबर-पख्तूनख्वा और सिंध प्रांतों के कई इलाकों को बुरी तरह तबाह कर दिया है. सोशल मीडिया पर अलग-अलग दिल दहला देने वाले वीडियो वायरल हो रहे हैं. घर, सामान और गाड़ियां पानी में बहती नजर आ रही हैं. लोगों की मदद के लिए रेस्क्यू टीम तक नहीं पहुंच पा रही है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक बाढ़ में कम से कम 1,000 लोग मारे गए हैं और कम से कम 1,500 घायल हुए हैं.
 

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भारी बारिश ने पाकिस्तान के दक्षिणी हिस्सों को तबाह कर दिया है. सिंधु नदी उत्तरी पाकिस्तान के लिए अभिशाप बन गई है. कई हिस्से बुरी तरह से तबाह हो गए हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना मुश्किल हो गया है. पाकिस्तान चाहता है कि उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से मदद मिले. पाकिस्तान बेलाउट पैकेज की मांग कर रहा है, जिसे हासिल करने में उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
 

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पीएम शाहबाज शरीफ और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा दोनों ने रविवार को बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया. आर्थिक बदहाली के बीच पाकिस्तानी सरकार ने बलूचिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिए 1,000 करोड़ की आर्थिक मदद का ऐलान किया है. सिंध प्रांत के लिए पाकिस्तान सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये के अनुदान का ऐलान किया है. पाकिस्तान ने मदद की घोषणा ऐसे वक्त में की है जब जब खुद देश आर्थिक बदहाली के मुहाने पर खड़ा है.
 

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इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) ने पाकिस्तान के लिए 4 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज के लिए लंबी बातचीत की है. IMF का भी कहना है कि पाकिस्तान के लिए आर्थिक चुनौतियां बढ़ गई हैं. पाकिस्तान की घरेलू नीतियां इस हद तक कमजोर हो गई हैं कि वहां महंगाई अस्थिर स्थिति में पहुंच गई है.
 

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पाकिस्तान वित्तीय वर्ष 2022 में राजकोषीय घाटे का सामना कर रहा है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी घट गया है. मुद्रास्फीति और महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. IMF ने बातचीत के दौरान कहा है कि पाकिस्तान को मजबूत शासन प्रणाली विकसित करनी चाहिए और बिजली के क्षेत्र में सुधारों को जल्द से जल्द लागू करना चाहिए.
 

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IMF की बेलआउट पैकेज पर किसी भी निर्णायक फैसले से पहले पाकिस्तान दुनियाभर से मदद लेने की कोशिशों में जुटा है. पाकिस्तान ने चीन, सऊदी अरब और अन्य पश्चिम एशियाई राज्यों से लोन, फाइनेंशियल फंडिग और इन्वेस्टमेंट के लिए 37 बिलियन डॉलर का करार किया है. ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान को बड़ी आर्थिक मदद मिल सकती है. पाकिस्तान को आर्थिक संकट से उबारने में ऐसे कदम मददगार साबित हो सकते हैं.
 

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पाकिस्तान की मौजूदा शाहबाज शरीफ सरकार के सामने वही चुनौतियां हैं जो पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने थीं. शाहबाज शरीफ के पास भी पाकिस्तान को मौजूदा हालात से निकालने का कोई एक्शन प्लान नहीं है. इमरान खान खुद सत्ता में वापसी की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उनके लिए भी सत्ता की राह आसान नहीं है.
 

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पाकिस्तान के सामने सिर्फ आर्थिक बदहाली और बाढ़ की ही चुनौती नहीं है. पाकिस्तान में तालिबानी विद्रोही भी सिर उठा रहे हैं. अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद स्थितियां और भयावह हो गई हैं. सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि किस तरह से तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के साथ शांति प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए. इसी संगठन ने जून में युद्ध विराम की घोषणा की है लेकिन विद्रोही सरकार की मुश्लिकें बढ़ा रहे हैं. 
 

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अफगान तालिबान के दबाव के बावजूद, पाकिस्तान TTP के हमलों को रोकने में फेल हो रहा है. अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही तालिबान, पाकिस्तान में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है. तालिबानियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब तक 20 से ज्यादा सैन्य कर्मी मारे जा चुके हैं.
 

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अफगान तालिबान के दबाव के बावजूद, पाकिस्तान TTP के हमलों को रोकने में फेल हो रहा है. अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही तालिबान, पाकिस्तान में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है. तालिबानियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि अब तक 20 से ज्यादा सैन्य कर्मी मारे जा चुके हैं.
 

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TTP ने मांग की है कि अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में पाकिस्तान अपने सैनिकों की तैनाती कम करें. पाकिस्तान में एक बार फिर टीटीपी अपने कदम जमा रहा है, जिसकी वजह से पाकिस्तान सरकार पर दबाव बढ़ रहा है. इस संगठन का असर खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में तेजी से बढ़ने लगा है.
 

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की नजर भी पाकिस्तान की हर गतिविधि पर है. पाकिस्तान उम्मीद कर रहा है कि इस बार ग्रे लिस्ट से FATF उसे बाहर कर सकती है. पाकिस्तान 2018 से ही ग्रे लिस्ट में है, जिसकी वजह से तमाम आर्थिक पाबंदियां उस पर थोपी गई हैं. जनरल बाजवा का कार्यकाल भी इसी साल नवंबर में खत्म हो रहा है. पाकिस्तान में सेना की कमान सौंपने का फैसला भी शाहबाज शरीफ सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला है.

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