Russia-Ukraine Conflict: चीन ने की चालबाजी लेकिन भारत ने अब तक क्यों नहीं छोड़ा मॉस्को का साथ? समझें रणनीति
रूस-यूक्रेन विवाद पर जहां पश्चिमी देश खुलकर मॉस्को का विरोध कर रहे हैं वहीं भारत ने पुराने दोस्त से दोस्ती निभाई है. चीन ने भी रूस को झटका दिया है.
| Updated: Feb 22, 2022, 06:16 PM IST
1
भारत ने पुराने दोस्त के साथ अपनी वफा निभाई है. संयुक्त राष्ट्र में भारत का कहना है कि तत्काल तनाव कम करने के लिए काम होना चाहिए. पश्चिमी देशों के उलट खुले शब्दों में भारत ने रूसी कार्रवाई की आलोचना नहीं की है. भारत का कहना है कि कूटनीतिक संवाद के जरिए समस्या सुलझाई जानी चाहिए ताकि क्षेत्र में लंबे समय के लिए शांति बहाल हो सके.
2
चीन की चालाकी यहां भी कम नहीं हुई हैऔर यूं रूस के साथ दोस्ती के दावे करने वाले ड्रैगन ने खेल कर दिया है. चीन ने सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट को लेकर बुलाई गई बैठक में सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. चीन ने यूक्रेन विवाद के राजनयिक समाधान खोजने के हर प्रयास को बढ़ावा देने का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने यूक्रेन संकट के सभी महत्वपूर्ण पक्षों से ‘उचित समाधान तलाशने के लिए बातचीत जारी रखने का आह्वान किया है.’
3
रूस के साथ दोस्ती बढ़ाने के चक्कर में पाकिस्तान के पीएम यूक्रेन संघर्ष के बीच मॉस्को का दौरा करने वाले हैं. इस बीच पाकिस्तान फंसता नजर आ रहा है क्योंकि रूस की ओर से दिए गए बयान में इस्लामाबाद के कीव के साथ होने का दावा किया गया है. यूक्रेन में पाकिस्तान के राजदूत रिटायर्ड मेजर जनरल नोएल इजराइल खोख ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए समर्थन दिया है. ऐसे में मदद की आस में रूस पहुंच रहे इमरान खान को बड़ा झटका लग सकता है.
4
पश्चिमी देशों और अमेरिका की तरह भारत रूस के साथ बैर नहीं रख सकता है. नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मजबूत सैन्य संबंध हैं. चीन और पाकिस्तान की चुनौती से निपटने के लिए भारत ने रूस के साथ एस-400 मिसाइलों, 6 लाख एके-203 राइफलों की डील जैसे बड़े समझौते हुए हैं. इसके अलावा भारत की विदेश नीति खुले तौर पर पूरी तरह से अमेरिका नियंत्रित नहीं रही है. रक्षा विशेषज्ञों और विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि इन परिस्थितियों में भारत सीधे तौर पर रूस का विरोध कर पूरी तरह से अमेरिका की ओर झुकाव दिखाए, यह लंबे समय के लिए समझदारी भरा विकल्प नहीं हो सकता है.
5
रूस और यूक्रेन विवाद में भारत खुले तौर पर पक्षकार बनने से भी बच रहा है. भारत ने रूस की कार्रवाई पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. विदेश नीति की लाइन पर चलते हुए भारत कूटनीतिक समाधान की बात कर रहा है. यह एक तीर से कई निशाने साधने के जैसा है. भारत की नीति सैन्य हमलों की नहीं रही है, ऐसे में भारत खुले आम रूस का समर्थन नहीं कर सकता है. दूसरी ओर रूस के साथ भारत की घनिष्ठता रही है और भारत अपनी पुरानी दोस्ती भी रिस्क में नहीं डाल सकता है. इन दोनों परिस्थितियों को देखते हुए नई दिल्ली की ओर से बहुत संभलकर कदम उठाए जा रहे हैं.