Shaheen Bagh: क्यों हर बार यहां आंदोलन की जमीन हो जाती है तैयार? 10 तस्वीरों में समझिए पूरी कहानी

Shaheen Bagh: दिल्ली का शाहीन बाग अतिक्रमण के खिलाफ एमसीडी की कार्रवाई को लेकर एकबार फिर सुर्खियों में है.

साउथ दिल्ली में स्थित शाहीन बाग (Shaheen Bagh) एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार इसकी वजह यहां एमसीडी (MCD) का अतिक्रमण के खिलाफ अभियान है. एमसीडी की टीम ने इलाके में सर्वे किया. इसके बाद अब अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. सोमवार को जब एमसीडी की टीम इलाके में पहुंची लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा. लोग बुलडोजर के आगे बैठ गए. इनमें कई महिलाएं भी शामिल थी. पूरे नजारे को देख लोगों को एक बार फिर पुरानी याद ताजा हो गई.  
 

CAA और NRC को लेकर हुआ था प्रदर्शन

शाहीन बाग वही जगह है जहां 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एपीसेंटर था. नोएडा और गाजियाबाद से सटे इस इलाके में विरोध प्रदर्शन किया. महीनों तक यह रास्ता पूरी तरह बंद रहा. आंदोलन 15 दिसंबर 2019 को शुरू हुआ था और 24 मार्च 2020 तक चला था. 
 

महिलाओं ने किया था नेतृत्व

कोरोना महामारी जब दस्तक दे रही थी तो लोग शाहीन बाग में धरने पर बैठे थे. विरोध का नेतृत्व महिलाओं ने किया था, जिन्होंने दिन और रात शाहीन बाग में एक प्रमुख सड़क को ब्लॉक कर दिया था. विरोध केवल 10-20 महिलाओं के साथ शुरू हुआ, लेकिन दिन बीतने के साथ ही यहां छात्रों, पेशेवरों, कार्यकर्ताओं, मुस्लिम महिलाओं, बच्चों, वकीलों और सभी क्षेत्रों के कई अन्य लोगों द्वारा विरोध की जगह बन जाता है. 

टाइम्स मैगजीन में भी बनाई जगह 

पहले इस प्रदर्शन में मुस्लिम महिलाएं ही शामिल थी लेकिन धीरे-धीरे इसमें अलग-अलग धर्म, जाति के लोग भी शमिल होते गए. हफ्तों तक भाषण दिए गए, कविताएं सुनाई गईं, गीत गाए गए. विरोध प्रदर्शनों ने बीबीसी, सीएनएन, द गार्जियन, अल जज़ीरा जैसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स के साथ दुनियाभर में ध्यान आकर्षित किया, सभी ने विरोध प्रदर्शन की रिपोर्ट छापी. प्रदर्शन में सबसे आगे रहने वालीं 82 वर्षीय महिला Bilkis का नाम टाइम मैगजीन ने अपनी '2020 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों' की सूची में रखा था. 
 

विरोध प्रदर्शन का बना केंद्र

सीएए और एनआरसी को लेकर देशभर में प्रदर्शन हुए थे लेकिन शाहीन बाग देशभर में इन प्रदर्शनों को लेकर एपिसेंटर बन गया. यहां प्रदर्शन में शामिल होने के लिए कई बड़े फिल्मी सितारे और नेता पहुंचे थे.

सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला 

शाहीन बाग में सड़क को घेरकर प्रदर्शन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा था. कोर्ट ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया. कोर्ट ने कहा “संविधान के अनुच्छेद 19 1(a) के तहत अपनी बात कहना और 19 1(b) के तहत किसी मसले पर शांतिपूर्ण विरोध करना लोगों का संवैधानिक हक है. लेकिन इस अधिकार की सीमाएं हैं. सार्वजनिक जगह को अनिश्चितत काल तक नहीं घेरा जा सकता. दूसरे लोगों के आने-जाने को बाधित नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए.  

बुलडोजर के साथ पहुंचे अधिकारी

सोमवार को SDMC के अधिकारी बुलडोजर के साथ दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पहुंचे थे. महिलाओं सहित सैकड़ों स्थानीय लोगों ने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने भाजपा शासित एसडीएमसी और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी और कार्रवाई रोकने की मांग की थी. इसके बाद कार्रवाई को रोक दिया गया.  

बुलडोजर का मामला भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट 

शाहीन बाग में बुलडोजर कार्रवाई का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इस मामले में माकपा की ओर से कोर्ट में याचिका दाखिर की गई. हालांकि कोर्ट ने उन्हें बड़ा झटका देते हुए मामले में सुनवाई से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, 'हमारा सुझाव है कि आप इस मामले की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट का रूख करें. आप हाई कोर्ट जाइए... पीड़ितों को कोर्ट आने दीजिए.' कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि अगर कोई पीड़ित है तो वह कोर्ट आए, राजनीतिक दल क्यों आगे आ रहे हैं.  

कार्रवाई की वजह सीएए का प्रदर्शन तो नहीं?

शाहीन बाग में एमसीडी की कार्रवाई को कुछ लोग सीएए के प्रदर्शन से जोड़ रहे हैं. लोगों का कहना है कि चूंकि यहां के लोगों ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन किया था ऐसे में अब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. लोगों का कहना है कि इलाके में अतिक्रमण को पहले ही हटा लिटा गया है.