क्या है FATF? पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने पर दे सकता है बड़ा फैसला

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की मीटिंग आज से पेरिस में शुरू हो रही है. इस बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने पर अहम फैसला होगा.

| Updated: Feb 21, 2022, 10:09 PM IST

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फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी FATF एक वैश्विक संस्था है जिस G7 देशों की पहल पर साल 1989 में बनाया गया था. फ्रांस की राजधानी पेरिस में हर साल 3 बार इसकी बैठक आयोजित की जाती है. इस संस्था का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनी लॉन्ड्रिंग, विनाशक हथियारों के प्रसार और टेरर फंडिंग पर निगाह रखना है. इसके कुल 39 सदस्य देश और क्षेत्रीय संगठन हैं. सदस्य देशों में भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और चीन भी शामिल हैं.

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वैश्विक आंतकवाद से इस वक्त पूरी दुनिया ही परेशान है. FATF का काम आतंकियों को बढ़ावा देने के लिए फंडिंग करने वाले देशों और संस्थाओं पर लगाम लगाना है. अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के बाद टेरर फंडिंग से निपटने में FATF ने अहम भूमिका निभाई थी. 2001 में इसने अपनी नीतियों में टेरर फंडिंग को भी शामिल किया था टेरर फंडिंग में आतंकियों को पैसा या किसी और तरह की वित्तीय मदद पहुंचाना शामिल है. 

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अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाए रखना इस एजेंसी का मकसद है. यह अपने सदस्य देशों को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्र‍िंग जैसी गतिविधियों में शामिल होने से रोकता है. इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग करने वाले देशों पर नियंत्रण लगाना भी इस संस्था का काम है. 

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FATF में टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कार्रवाई की जाती है. पहली कार्रवाई में देशों को ग्रे लिस्ट में डाला जाता है और कोई कार्रवाई नहीं कर पाने पर उस देश को ब्लैक लिस्ट कर दिया जाता है. पाकिस्तान को फिलहाल ग्रे लिस्ट में है और इस बैठक में पाक की किस्मत पर भी फैसला होना है. ग्रे लिस्ट में शामिल देश वो होते हैं जहां टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. ये देश इसे रोकने के लिए FATF के साथ मिलकर काम करने को तैयार होते हैं. साल 2008 में पाकिस्तान को पहली बार ग्रे लिस्ट में डाला गया था लेकिन 2009 में उसे निकाल दिया गया था. 2012 में फिर से ग्रे लिस्ट में डाला गया था. जून 2018 में भी पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था. 2021 के रिव्यू में भी पाकिस्तान को राहत नहीं मिली थी. अब सारी उम्मीदें इस बैठक पर टिकी हैं.

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FATF से जुड़ी एजेंसी एशिया पैसिफिक ग्रुप यानी APG इस मामले में एशिया से संबंधित देश पर नजर रखती है. ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में खासी दिक्कत आती है. कर्ज मिलता भी है तो बेहद कठोर शर्तों पर. ऐसे देशों को ब्लैकलिस्ट किया जाता है जो यह साबित करने की कोशिश नहीं करते हैं कि उन पर टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप बेबुनियाद हैं. 2019 में ईरान और नॉर्थ कोरिया को ब्लैक लिस्ट किया गया है. ग्रे लिस्ट की ही तरह ब्लैक लिस्ट भी समय-समय पर रिवाइज की जाती है.