Manipur Violence: मणिपुर में भड़की है जातीय हिंसा, क्यों जल रही है घाटी?

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय, एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं. नगा समुदाय और दूसरी जनजातियां भी इस हिंसा की वजह से प्रभावित हुई हैं. जानिए क्या है हंगामे की वजह.

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 20, 2023, 05:26 PM IST

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मणिपुर 3 महीनों से सुलग रहा है. 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकजुटता मार्च' बुलाया था. इसी दौरान हिंसा भड़की. शुरुआत इतनी भयानक थी कि आर्मी, सुरक्षा बल और मणिपुर तीनों कोशिशें करती रह गईं लेकिन हिंसा नहीं थमी. इंटरनेट बैन होने के बाद भी हिंसा नहीं थमी. अब महीनों बाद भी यह हिस्सा अब तक सुलग रहा है.
 

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मैतेई ट्राइब यूनियन की एक याचिका पर मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के लिए कहा था. आदिवासी एकजुटता मार्च इस आदेश के खिलाफ बुलाया गया था. कुकी समुदाय का कहना था कि मैतेई ताकतवर समुदाय है, इसे जनजाति का दर्जा न मिले. राज्य के ज्यादातर संसाधानों पर मैतेई का कब्जा है. इस लड़ाई के मूल में जनजाति का दर्जा है, जिसका राज्य के दूसरे समुदाय विरोध कर रहे हैं.
 

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कुकी समुदाय का मानना है कि इंफाल घाटी में रहने वाले लोग राज्य के संसाधनों पर कब्जा जमा चुके हैं. आरोप लगते रहे हैं कि वह पहाड़ी जनजातियों का हक मार लेते हैं. जनजातियां अपनी ही जमीन में सिमटती जा रही हैं. उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है. नौकरियां भी उन्हीं के पास है. अब जनजाति का दर्जा भी मिल गया तो कुकी समुदाय का हक मार लिया जाएगा. अगर जनजाति का दर्जा मिला तो पहाड़ी इलाकों में जमीनें खरीदना का अधिकार भी इन्हें मिल जाएगा, जिसके बाद कुकी समुदाय को घाटा लग जाएगा.
 

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मणिपुर के पहाड़ी हिस्से पर नागा और कुकी समुदायों का कब्जा है. जनजातियों के पास पहाड़ी हिस्से में जमीनें हैं. यह समुदाय, उस क्षेत्र में अपना एकाधिकार समझता है. कुकी विरोध करते हैं कि पहाड़ी इलाकों में मैतेई को जमीन खरीदने का अधिकार न मिले. अगर ऐसा हुआ तो हिंसा और भड़ जाएगी. अब मैतेई और कुकी समुदाय का साथ रह पाना मुश्किल है. कुछ विद्रोही गुट अलग राज्य की मांग कर रहे हैं.
 

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राज्य की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि जनजातीय समुदायों-नगा और कुकी लोगों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं. दोनों समुदाय एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं.
 

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मणिपुर में तीन मई को इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और पर्वतीय इलाकों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के बीच जातीय झड़पें शुरू होने के बाद से हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.