Agnipath Protest बिहार में ही क्यों हो रहा है? जानिए सेनाओं में किस राज्य के कितने जवान करते हैं काम

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 18, 2022, 11:28 AM IST

सेना की भर्तियों के लिए देशभर में हो रहे हैं प्रदर्शन

Agneepath Scheme Protest: देश की सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई अग्निपथ योजना (Agnipath Yojna) के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

डीएनए हिंदी: देश की तीनों सेनाओं में भर्ती के लिए लाई गई 'अग्निपथ योजना' का विरोध (Agnipath Scheme Protest) कई राज्यों में शुरू हो गया है. इन प्रदर्शनों का सबसे ज़्यादा बिहार में दिखाई दे रहा है. बिहार के अलावा हरियाणा और राजस्थान में भी अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme) के खिलाफ प्रदर्शनों ने रफ्तार पकड़ ली है. इस बीच चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर कुछ राज्यों में ही ये प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं? सवाल ये भी हैं कि किस राज्य के कितने लोग सेनाओं में काम करते हैं. रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों भी इसी ओर इशारा करते हैं कि प्रदर्शनों के पीछे इन राज्यों के सैनिकों की संख्या भी अहम है.

'अग्निपथ योजना' के तहत चार साल की सेवा और फिर रिटायरमेंट देने के फैसले का जमकर विरोध हो रहा है. बिहार के अलावा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान हरियाणा और तेलंगाना में भी युवा अभ्यर्थी सड़क पर उतर आए हैं. आइए समझते हैं कि ज्यादातर प्रदर्शन इन्हीं राज्यों में क्यों हो रहे हैं और इन राज्यों के कितने लोग सेनाओं में काम करते हैं...

यह भी पढ़ें- Agnipath Scheme: कैसे होगी भर्ती? जानिए ट्रेनिंग, सैलरी और पेंशन से जुड़े हर सवाल का जवाब

सेनाओं में काम करते हैं 13.40 लाख जवान
राज्यसभा में रक्षा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, तीनों सेनाओं को मिलाकर 13.40 लाख से ज़्यादा जवान काम करते हैं. इसमें सबसे ज़्यादा भारतीय थल सेना यानी आर्मी के 11.21 लाख के जवान हैं. एयरफोर्स में 1.47 लाख और इंडियन नेवी में काम करने वाले जवानों की संख्या 71,978 थी.

यह भी पढ़ें- Agnipath Scheme के विरोध में हंगामा जारी, युवा बोले- चार साल बाद हम कहां जाएंगे?

राज्यों के हिसाब से देखें तो तीनों सेनाओं में उत्तर प्रदेश के सबसे ज़्यादा 2,18,512 सैनिक हैं. उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नंबर पर बिहार है जहां के कुल 1,04,539 जवान सेनाओं में सेवा दे रहे हैं. यूपी और बिहार के बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा का नंबर आता है. गौरतलब है कि वर्तमान में 'अग्निपथ योजना' के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन इन्हीं राज्यों में ज्यादा केंद्रित हैं.

इन राज्यों में अहम है सरकारी नौकरी
यूपी और बिहार जैसे राज्यों में उद्योग धंधे काफी कम विकसित हैं. इन राज्यों में पलायन की समस्या भी काफी हद तक गंभीर है. कोरोना लॉकडाउन के समय भी देखा गया कि इन राज्यों के बहुत सारे लोगों को अपने घर लौटने में समस्याओं का सामना करना पड़ा. मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में काम करने वालों में भी सबसे ज़्यादा लोग इन्हीं राज्यों के होते हैं.

यह भी पढ़ें- अग्निवीरों को CAPF और असम राइफल्स में मिलेगा 10% आरक्षण, गृह मंत्रालय का बड़ा फैसला

सरकारी नौकरियों के मामले में देखें तो बिहार की राजधानी पटना और उत्तर प्रदेश में प्रयागराज शहर प्रतियोगी परीक्षाओं का गढ़ माना जाता है. उद्योग-धंधे कम होने की वजह से सरकारी नौकरी को तरजीह दी जाती है. युवाओं के लिए सेना की भर्तियां काफी मददगार साबित होती रही हैं क्योंकि इनमें तैयारी के लिए ज्यादा पैसे खर्च नहीं करने पड़ते. हालांकि, पिछले कुछ सालों में भर्तियां न निकलने की वजह से युवाओं में काफी निराशा है.

सेना की भर्तियां रुकने से बढ़ गया है गुस्सा
कोरोना महामारी की वजह से दो साल से सेना में कोई भी भर्ती नहीं हुई है. इसी साल 25 मार्च को लोकसभा में राज्यमंत्री अजय भट्ट ने जानकारी दी थी कि 2020-21 में 97 रैलियां आयोजित होनी थीं लेकिन सिर्फ़ 47 रैलियां ही हुईं और लिखित परीक्षा सिर्फ़ चार के लिए हो पाई.

यह भी पढ़ें- Agnipath Scheme Protest: बिहार में आरजेडी ने किया बंद का ऐलान, 'अग्निपथ' पर जारी है विरोध

2021-22 में सेना भर्ती की 47 रैलियां होनी थीं इसमें से सिर्फ़ 4 ही आयोजित हो सकीं और लिखित परीक्षा एक की भी नहीं हुई. आर्मी में भर्ती रुकी रही जबकि नेवी और एयरफोर्स में भर्तियां होती रही हैं. 21 मार्च को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने ही जानकारी दी कि दो साल में नेवी में 8,319 और एयरफोर्स में 13,032 जवान भर्ती हुए जबकि आर्मी में कोई भर्ती नहीं हुई.

युवाओं की समस्या ये है कि दो साल भर्ती रुकने की वजह से हजारों युवाओं की उम्र अधिकतम सीमा को पार हो चुकी है. ऐसे में उनकी तैयारियों पर पानी फिर गया है. दूसरी तरफ, सेनाओं में सैनिकों की कमी लगातार बनी हुई है. सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, सेनाओं में एक लाख से ज्यादा सैनिकों के पद खाली हैं.

यह भी पढ़ें- Agnipath Scheme Protest: आखिर क्यों हो रहा है इस योजना का विरोध, जानें क्या है छात्रों की मांग

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की मांग बेहद स्पष्ट है. उनका कहना है कि इस योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए. लंबे समय से सेनाओं में भर्ती ने होने की वजह से परेशान छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती की रैलियां आयोजित कराई जाएं और परीक्षाएं शुरू हों. इसके अलावा, पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर करने की मांग की जा रही है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए  हिंदी गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Agnipath Agnipath Protest indian army agneepath agniveer agnipath recruitment