डीएनए हिंदी: देश की तीनों सेनाओं (Indian Armed Forces) में भर्ती के लिए लाई गई केंद्र सरकार की 'अग्निपथ योजना' (Agnipath Yojna) विवादों में घिर गई है. एक तरफ सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसने बहुत शानदार योजना निकाली है. दूसरी तरफ, इस योजना के खिलाफ युवा छात्र (Agnipath Scheme Protest in Bihar) सड़कों पर उतर आए हैं. बिहार में कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं भी हुई हैं. 'अग्निपथ योजना' के तहत सिर्फ़ चार साल आर्मी में सेवा का मौका दिए जाने को लेकर युवाओं में भीषण गुस्सा देखा जा सकता है. बिहार के बाद राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में भी 'अग्निवीर' (Agniveer) के खिलाफ यह प्रदर्शन तेज होता जा रहा है.
अग्निपथ योजना के तहत सरकार का प्लान है कि सेनाओं में चार साल के लिए युवाओं की भर्ती की जाए. कम उम्र के युवाओं को चार साल की सेवा के बाद रिटायर कर दिया जाएगा. भर्ती किए गए जवानों में से सिर्फ़ 25 प्रतिशत को सेना में रखा जाएगा. इसी को लेकर छात्रों का विरोध है. सरकार के दावों और युवाओं की मांग में कितना फर्क है, आइए इसे विस्तार से समझते हैं...
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क्या कहते हैं युवा अभ्यर्थी?
बिहार के जहानाबाद और छपरा समेत कई इलाकों में जोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं. इन प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है, 'सेना में जाने के लिए हम जीतोड़ मेहनत करते हैं. ट्रेनिंग और छुट्टियों को मिला दें तो कोई सर्विस सिर्फ़ चार साल की कैसे हो सकती है? सिर्फ़ तीन साल की ट्रेनिंग लेकर हम देश की रक्षा कैसे करेंगे? सरकार को यह योजना वापस लेनी ही पड़ेगी?'
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पहली समस्या: चार साल ही क्यों?
प्रदर्शन कर रहे युवाओं की सबसे बड़ी समस्या है कि सिर्फ़ चार साल के लिए ही क्यों भर्ती की जा रही है. सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है और आंतरिक भर्तियों में उन सैनिकों को मौका भी मिल जाता है. 'अग्निपथ योजना' में युवाओं की सबसे बड़ी समस्या यही है कि चार साल के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को बाहर का रास्ता देखना ही पड़ेगा.
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जहानाबाद में प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है, 'सिर्फ़ चार साल नौकरी करने के बाद हम कहां जाएंगे. चार साल की सर्विस के बाद तो हम बेघर हो जाएंगे. यही वजह है कि हमने सड़क जाम कर दी है. देश के नेताओं को अब पता चलेगा कि लोग जाग गए हैं.' प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस योजना को तुरंत वापस लिया जाए.
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दूसरी समस्या: चार साल के बाद क्या होगा भविष्य?
चार साल की सेवा के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को रिटायर करने का कॉन्सेप्ट किसी के गले नहीं उतर रहा है. आर्मी से रिटायर और पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस पर सवाल उठाए हैं. युवाओं की चिंता है कि चार साल के बाद वे क्या करेंगे. अभ्यर्थियों का कहना है कि साढ़े 17 साल में 'अग्निवीर' बनने वाले युवा के पास न तो कोई प्रोफेशनल डिग्री होगी और न ही कोई विशेष योग्यता, ऐसे में वह दोयम दर्जे की नौकरियों के लिए बाध्य होगा.
सरकार का तर्क है कि अर्धसैनिक बलों के अलावा राज्यों की नौकरियों में भी 'अग्निवीरों' को प्राथमिकता दी जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ-साथ कई राज्यों ने इसके बारे में ऐलान भी कर दिया है लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि ये ऐसा होगा कि चार साल की नौकरी के बाद हम फिर से नौकरी की लाइन में लगे होंगे.
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क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की मांग बेहद स्पष्ट है. उनका कहना है कि इस योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए. लंबे समय से सेनाओं में भर्ती ने होने की वजह से परेशान छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती की रैलियां आयोजित कराई जाएं और परीक्षाएं शुरू हों. इसके अलावा, पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर करने की मांग की जा रही है.
एक छात्र ने कहा कि सेनाओं में भर्ती के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जाए जो पहले अपनाई जाती थी. प्रदर्शनकारियों ने कहा, 'टूर ऑफ ड्यूटी जैसी योजनाओं को वापस लेना ही होगा, वरना चार साल तक कोई भी सेना की नौकरी करने नहीं जाएगा.' प्रदर्शनकारी आर-पार के मूड में हैं और उनका प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है.
बिहार के मुंगेर, जहानाबाद, छपरा और तमाम जिलों में प्रदर्शन के बाद उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बुलंदशहर और बरेली में भी प्रदर्शन शुरू हो गया है. इसके अलावा, राजस्थान और हरियाणा के भी प्रतियोगी छात्र सड़कों पर उतर आए हैं.
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