BBC डॉक्यूमेंट्री पर क्यों और कैसे शुरू हुआ विवाद, बैन होने से लेकर IT Raid तक जानें सबकुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Feb 14, 2023, 06:23 PM IST

bbc documentary Row 

BBC IT Survey Row: बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में पीएम नरेंद्र मोदी के गुजरात कार्यकाल को लेकर सवाल खडे़ किए गए हैं. जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे

डीएनए हिंदी: आयकर विभाग ने टैक्स चोरी के आरोप में बीबीसी (BBC) के दिल्ली और मुंबई स्थित दफ्तरों में मंगलवार को रेड मारी. आईटी के करीब 12 से 15 अधिकारियों की टीम सुबह 11.30 बजे बीबीसी के दफ्तर पहुंची थी और वहां मौजूद सभी कर्मचारियों के फोन सीज कर दिए गए. इसके बाद पूरे दफ्तर की तलाशी ली गई. IT टीम ऑफिस में रखे सभी कंप्यूटर का डाटा खंगाला. BBC पर इंटरनेशनल टैक्स में गड़बड़ी करने का आरोप है. बीबीसी ने भी कहा कि वो जांच में पूरा सहयोग कर रही है. उसे उम्मीद है कि जल्द से जल्द मामले को सुलझा लिया जाएगा.

कांग्रेस ने इनकम टैक्स की रेड पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने इस छापेमारी को अघोषित आपातकाल बताया है. कांग्रेस ने ट्वीट किया, 'पहले बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बैन किया गया, अब उसके दफ्तरों में आईटी का छापा पड़ गया है. यह अघोषित आपातकाल है.' कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, 'हम अडाणी मामले में संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच की मांग कर रहे हैं और सरकार BBC के पीछे पड़ी है. विनाशकाले विपरीत बुद्धि.'

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कब शुरू हुआ BBC Documentary को लेकर विवाद?
2002 के गुजरात दंगों को लेकर बीबीसी ने 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डॉक्यूमेंट्री बनाई थी. उस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. BBC ने इस डॉक्यूमेंट्री को दो पार्ट में बनाया था. इसका पहला एपिसोड 17 जनवरी  और दूसरा एपिसोड 24 जनवरी 2023 को यूट्यूब पर रिलीज किया था. पहला एपिसोड रिलीज होने के साथ ही इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था. विपक्ष के नेताओं ने इस डॉक्यूमेंट्री के जरिए पीएम मोदी को घेरना शुरू कर दिया था.

बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गुजरात कार्यकाल को लेकर सवाल खडे़ किए गए हैं. जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी साल 2002 में दंगे भड़के थे. इस दंगे में करीब 2,000 लोग मारे गए थे. 

केंद्र सरकार ने लगाया था बैन
इसके बाद बीजेपी ने भी पलटवार शुरू कर दिया था और बीबीसी की 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' डाक्यूमेंट्री को पीएम मोदी के खिलाफ प्रोपेगेंडा बताया था. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 20 जनवरी कहा था कि इसका मकसद एक तरह के नैरेटिव को पेश करना है, जिसे लोग पहले ही खारिज कर चुके हैं. हमारी राय में ये सिर्फ एक प्रोपेगेंडा पीस है. इसके बाद सरकार ने 21 जनवरी को इस पर पर प्रतिबंध लगा दिया था. केंद्र सरकार के आदेश के बाद यूट्यूब और ट्विटर से इस डॉक्यूमेंट्री के वीडियो को हटा दिया गया था. साथ ही भारत में इसकी स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी गई.

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विश्वविद्यालयों में स्क्रीनिंग को लेकर विवाद
इसके बाद देश की अलग-अलग यूनिवर्सिटीज में BBC Documentary की स्क्रीनिंग को लेकर विवाद शुरू हो गया. सबसे पहले जेएनयू में कुछ छात्रों ने इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने का ऐलान किया. उसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी, जामिया, कोलकाता यूनिवर्सिटी और हैदराबाद समेत कई विश्वविद्यालयों में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर हंगामा बरपा. छात्रों ने अपने लैपटॉप , मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री देखी.

ब्रिटेन में हुआ विरोध प्रदर्शन
इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर ब्रिटेन में बवाल देखने को मिला. प्रवासी भारतीयों ने डॉक्यूमेंट्री के खिलाफ पिछले महीने ब्रिटेन के विभिन्न शहरों में बीबीसी कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया था. ब्रिटिश सरकार ने प्रदर्शनों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद) में जोर दिया था कि बीबीसी स्वतंत्र मीडिया संगठन है और सरकार भारत के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराती है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने ब्रिटिश संसद में कहा था कि ब्रिटेन सरकार की इस मामले में लंबे समय से स्थिति साफ है. बेशक हम कहीं भी उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं करते हैं, लेकिन माननीय सज्जन को जिस तरह दिखाया गया है, मैं उससे सहमत नहीं हूं.

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सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंच गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए फिलहाल बैन लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि स्क्रीनिंग को लेकर जो कार्रवाई की जा रही है वह मामला अलग है. लोग तो फिर भी डॉक्यूमेंट्री देख रहे हैं.

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