Bhil Pradesh: गुजरात की यह पार्टी क्यों कर रही है आदिवासियों के लिए अलग भील प्रदेश की मांग?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 27, 2022, 09:14 AM IST

विकास की बाट जो रहे हैं आदिवासी इलाके. (सांकेतिक तस्वीर)

Explainer: भारतीय ट्राइबल पार्टी मांग कर रही है कि चार राज्यों के 39 जिलों को मिलाकर एक अलग भील प्रदेश बनाया जाए. समझें वजह.

डीएनए हिंदी: गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों को मिलाकर अलग आदिवासी भील प्रदेश (Bhil Pradesh) की मांग शुरू हो गई है. भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) की मांग है कि चार राज्यों में रह रहे आदिवासियों (Tribes) के लिए अलग राज्य बना दिया जाए. राज्य का नाम भील प्रदेश रखा जाए.

भारतीय ट्राइबल पार्टी गुजरात का एक स्थानीय राजनीतिक दल है. यह दल मांग कर रहा है 39 आदिवासी बाहुल जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाया जाए. गुजरात के 10 जिलों में आदिवासियों की संख्या ज्यादा है. राजस्थान में 10, मध्य प्रदेश में 7 और महाराष्ट्र के 6 जिले आदिवासी बाहुल हैं. इन्हीं जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य बनाने की मांग हो रही है.

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आदिवासी की यह पार्टी क्यों कर रही है अलग प्रदेश की मांग?

भारतीय ट्राइबल पार्टी के अध्यक्ष वेलराम घोगरा ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई बातचीत में कहा है कि पहले राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से एक यूनिट का हिस्सा थे. स्वतंत्रता के बाद आदिवासी बाहुल क्षेत्रों को राजनीतिक दलों ने विभाजित कर दिया, जिससे आदिवासी संगठन एकजुट न हों. 

वेलराम घोगरा के मुताबिक डूंगरपुर, बसंवाड़ा, उदयपुर जैसे इलाके एक ही राज्य का हिस्सा थे. दशकों से केंद्र और राज्य सरकारें आदिवासियों के लिए काम करने का दावा करती रही हैं लेकिन कभी उनके लिए काम नहीं हुआ है.

संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के तहत पांचवीं अनुसूची में आदिवासी हितों की सुरक्षा के उपाय किए हैं. ट्राइबल पार्टी का दावा है कि इसके तहत राज्य और केंद्र सरकारों ने काम नहीं किया है.

'प्रशासनिक और सरकारी उपेक्षा से परेशान हैं आदिवासी'

ट्राइबल पार्टी का कहना है कि दूरस्थ आदिवासी गांवों तक सरकार की पहुंच नहीं होती है. कई गांवों तक विकास नहीं पहुंचा. अधिकारी गांवों का नाम तक नहीं जानते हैं. ट्राइबल पार्टी का कहना है कि हर साल वादा किया जाता है लेकिन विकास गांव तक नहीं पहुंचता है. प्रशासनिक और सरकारी उपेक्षा की वजह से आदिवासी समुदाय प्रभावित है.

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क्यों अलग भील प्रदेश की मांग जोर पकड़ रही है?

भारतीय ट्राइबल पार्टी का गठन साल 2017 में हुआ था. गुजरात से होने वाली यह पार्टी आदिवासी हितों की बात करती है. आदिवासियों को संगठिन करने की कोशिश में यह पार्टी जुटी हुई है. आदिवासियों को संगठित करने के लिए यह दल आवाज उठा रहा है. 

ट्राइबल पार्टी की यह मांग है कि बीते 75 साल में आदिवासियों के लिए अलग से कुछ नहीं हुआ है. अगर ऐस भील प्रदेश बन जाता है तो उनके लिए क्या काम हुआ है इसकी सटीक जानकारी मिल सकती है.

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ट्राइबल पार्टी के नेता वेलराम घोगरा का कहना है कि हमारे क्षेत्र से आखिरी आदिवासी नेता ढुलेश्वर मीना थे जिन्हें राज्यसभा भेजा गया है. ऐसा दशकों पहले हुआ है. यही हाल दूसरी राजनीतिक पार्टियों का भी है. ट्राइबल पार्टी का कहना है कि देश में उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है. ऐसे में अलग भील प्रदेश होगा तभी उन्हें सही राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है.

क्या है भील समुदाय?

भील जनजाति गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में रहती है. भील वंश को लोग महाभारत के चरित्र एकलव्य से जोड़कर देखते हैं. कुछ लोग मानते हैं कि रामायण के रचयिता वाल्‍मीकि भी भील थे. भारत ट्राइबल पार्टी आदिवासियों के लिए भील प्रदेश की मांग कर रही है.

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