डीएनए हिंदी: बिहार सरकार की जातीय जनगणना सुर्खियों में है. सरकार ने अलग-अलग जातियों के लिए 'कास्ट कोड' तय किया है. सरकार ने किन्नर समुदाय को भी जाति मान लिया है और उनके लिए एक कास्ट कोड तय गिया है. किन्नर समुदाय या थर्ड जेंडर कम्युनटी की सरकार से मांग है कि उन्हें जाति नहीं, जेंडर माना जाए. उन्हें तीसरे जेंडर के तौर पर दर्ज किया जाए, जाति के तौर पर नहीं.
बिहार में जातियों की नई पहचान, उनके लिए तय कोड है. कास्ट कोड किन्नर समुदाय को रास नहीं आया है. 15 अप्रैल से लेकर 15 मई तक चलाए जाने वाले जाति आधारित हेडकाउंट को लेकर किन्रर समुदाय नाराज है.
किन्नर समुदाय का क्या है कास्ट कोड?
किन्नर समुदाय की गिनती के तय कास्ट कोड 22 है. उन्हें सरकार ने जाति मान लिया है. यही वजह है कि समुदाय के लोग भड़क गए हैं. किन्नर समुदाय का कहना है कि उनका एक स्वतंत्र जेंडर है, उन्हें जाति में न लिखा जाए.
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किस जाति को मिला है कौन सा कोड?
ब्राह्मण समुदाय के लोगों का कास्ट कोड 126 है. राजपूत का जाति कोड 169, भूमिहार का 142, कायस्थ का 21 और थर्ड जेंडर के सदस्यों का कास्ट कोड 22 रखा है. कुल 215 कोड आवंटित किए गए हैं. थर्ड जेंडर को सरकार ने जाति का दर्जा दिया है.
'थर्ड जेंडर' के कास्ट कोड पर क्यों भड़का है हंगामा?
बिहार की NGO दोस्तानासफर की संस्थापक सचिव रेशमा प्रसाद ने राज्य सरकार की ओर से दिए गए कास्ट कोड को आपराधिक कृ्त्य माना है. उन्होंने कहा, 'किसी की लैंगिक पहचान को जाति की संज्ञा कैसे दी जा सकती है? क्या 'पुरुष' या 'महिला' को जाति माना जा सकता है, इसी तरह, 'ट्रांसजेंडर' को जाति कैसे माना जा सकता है. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग किसी भी जाति के हो सकते हैं.
रेशमा प्रसाद ने कहा कि यह कदम ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्सन ऑफ राइट्स) रूल्स के नियमों के खिलाफ है. यह नियम ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ हो रहे भेदभाव को रोकता है.
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रेशमा प्रसाद ने कहा, 'राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए जिससे किसी व्यक्ति की लैंगिक पहचान को जाति नहीं माना जाना चाहिए. मैं निश्चित रूप से इस संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखूंगी और इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करूंगी. ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ यह सरासर अन्याय है.'
बिहार में क्या है ट्रांसजेंडर समुदाय की आबादी?
2011 की जनगणना के मुताबिक बिहार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की कुल जनसंख्या 40,827 है. बिहार का ट्रांसजेंडर समुदाय कह रहा है कि बिहार सरकार का यह कदम ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के साथ 'एक सामाजिक अन्याय' है. 'ट्रांसजेंडर', एक लैंगिक पहचान है, वह जाति नहीं हो सकती है. इस समुदाय के लोगों की कई जातियां हैं.अगर राज्य सरकार ट्रांसजेंडर लोगों की गिनती करना नहीं कर सकती है तो इसी समुदाय के लोगों की मदद ले ले.
क्या है बिहार सरकार का तर्क?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा कहा है कि जाति आधारित गणना से समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा. 7 जनवरी को शुरू हुई गणना की कवायद मई 2023 तक पूरी हो जाएगी. राज्य सरकार इस कवायद के लिए अपने इमरजेंसी फंड से 500 करोड़ रुपये खर्च करेगी.
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