Char Dham Yatra: चारधाम यात्रा के दौरान क्यों होती है तीर्थयात्रियों की मौत, क्यों मुश्किल है 'धर्म' की डगर?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 15, 2022, 02:20 PM IST

मुश्किल हो गई है चारधाम यात्रा की डगर. (फाइल फोटो)

Explainer: चारधाम यात्रा की गितनी सबसे मुश्किल तीर्थ यात्राओं में होती है. श्रद्धालुओं को बारिश, ठंड और बदलते मौसम से अक्सर जूझना पड़ता है.

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) में जब से चारधाम यात्रा (Char Dham Yatra) की शुरुआत हुई है तब से लेकर अब तक 23 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत हो गई है. 3 मई को शुरू हुई इस यात्रा में तीर्थ स्थल पहुंचने से पहले कई लोग दम तोड़ चुके हैं. ज्यादातर मरीजों की मौत कार्डियक अरेस्ट (Cardiac Arrest) की वजह से हो रही है. कुछ श्रद्धालु हाइपरटेंशन (Hypertension) और दूसरी वजहों से जान गंवा रहे हैं.

राज्य सरकार के आंकड़े कह रहे हैं कि 10 तीर्थयात्री यमुनोत्री की ओर जाते मर गए वहीं 6 की मौत केदारनाथ की ओर जाते हुई है. 3 की मौत गंगोत्री में हुई है तो वहीं एक श्रद्धालु ने बद्रीनाथ में जान गंवाई है. मरने वालों में से अधिकांश की उम्र 60 साल से ज्यादा की थी.तीर्थयात्री हृदय संबंधी समस्याओं से पीड़ित थे. 10,000 फीट और 12,000 फीट के बीच की ऊंचाई पर स्थित मंदिरों की ओर जाते वक्त उन्हें परेशानी शुरू हुई और जान गंवानी पड़ी.

क्या कहते हैं मौत के आंकड़े?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में करीब 38 लाख तीर्थयात्रियों ने यात्रा की और 90 से ज्यादा तीर्थयात्रियों की मौत हो गई. 2017 और 2018 में क्रमश: 112 और 102 तीर्थयात्रियों की मौत हुई. इस साल तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु चार धाम के दर्शन कर चुके हैं.

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किन मुश्किलों से जूझ रहे हैं तीर्थ यात्री?

तीर्थयात्री उत्तरकाशी में यमुनोत्री और गंगोत्री जा रहे हैं. केदारनाथ रुद्रप्रयाग जिले में है. बद्रीनाथ चमोली जिले में है. केदारनाथ धाम की ऊंचाई 11,700 फीट है. गंगोत्री की ऊंचाई 10,200 फीट है. चारो धाम हिमालय की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित हैं. आने वाले लोग अचानक कम तापमान, कम आर्द्रता, बढ़ी हुई अल्ट्रा वॉयलेट रेज, लो एयर प्रेशर और ऑक्सीजन की कमी से लोग जूझ रहे हैं. 

लोग सबसे ज्यादा खराब मौसम की वजह से बीमार पड़ रहे हैं. बदलते मौसम और ऊंची चढ़ाई की वजह से लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. केदारनाथ का रास्ता सबसे ज्यादा जोखिमभरा माना जाता है. तीर्थयात्रियों को मुश्किलें यही आती हैं.


क्यों मुश्किल है तीर्थ की डगर?

केदारनाथ पहुंचने के लिए लोग सोनप्रयाग आते हैं. फिर वहां से भक्त गौरीकुंड तक गाड़ी से जाते हैं. गाड़ियां कम होने की वजह से ज्यादातर लोग पैदल चलते हैं. 16 किलोमीटर लंबे ट्रैक की शुरुआत यहीं से होती है. यहां गलियां बेहद संकरी हैं और यहीं से घोड़े भी चलते हैं. जो शॉर्टकट हैं उनकी ऊंचाई ज्यादा है. लोगों को बुरे हालात से गुजरना पड़ता है. धीरे-धीरे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है. अगर आपका शरीर ऐसे हालात से निपटने के लिए तैयार नहीं है तो यह जानलेवा हो जाता है.

जमीन पर ऑक्सीजन और नाइट्रोजन का स्तर ठीक बैलेंस रहता है. पहाड़ी इलाकों में ऑक्सीजन की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है. हर कोई ऐसी स्थिति में खुद को संभाल नहीं पाता है. जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है ऑक्सीजन के अणुओं की संख्या में कम हवा की वजह से बिखराव शुरू हो जाता है. एयर प्रेशर की वजह से सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है.  

कैसे ऑक्सीजन की कमी बढ़ाती है मुश्किलें?

ऑक्सीजन कम होने पर आदमी को सांस लेने में मुश्किलें आती हैं. आदमी सामान्य तौर पर ज्यादा सांस खींचता है. स्वस्थ शरीर धीरे-धीरे अनुकूलन लाने लगता है लेकिन कमजोर या बुजुर्ग ऐसी स्थिति में संभल नहीं पाते हैं. कम मात्रा में ऑक्सीजन पहुचंने की वजह से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. कम आद्रता की वजह से शरीर डिहाइड्रेट भी होने लगता है. 

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कार्डियक अरेस्ट से ज्यादा हो रही है श्रद्धालुओं की मौत!
 
मधुमेह (Diabetic) रोकगियों में ऐसी स्थिति में लैक्टिक एसिडोसिस की वजह से जान गंवा सकते हैं. ज्यादतर मौतें ऐसी स्थितियों में कार्डियक अरेस्ट से हो रही हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब शरीर के तापमान में ऐसा बदलाव आता है तब कोरोनरी वेसल सिकुड़ने लगती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है. ऐसे में फिजिकल एक्टिविटी का शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. 

तीर्थयात्रा की शुरुआत से पहले स्वस्थ रहने के लिए क्या करें?

यात्रा की शुरुआत से पहले सभी मेडिकल चेकअप करा लेना चाहिए. अगर कोविड से हाल के दिनों में संक्रमित हुए हैं, बीमार हैं, बुजुर्ग हैं या किसी गंभीर रोग से जूझ रहे हैं तो यात्रा से परहेज करें. पैदल ट्रैकिंग के वक्त रेस्ट लेकर आगे बढ़ना चाहिए. हर दिन 800 से 1000 मीटर से ज्यादा की चढ़ाई न करें. मधुमेह, हाई ब्लड प्रेश और सांस के रोगी यात्रा के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतें. 

शिकायत मिलने पर क्या करें?

जैसे ही सिरदर्द बढ़े, जी मिचले या दिल की धड़कनें तेज हो जाएं तो डॉक्टर के पास जाएं. उल्टी, हाथ-पैरों का काला पड़ना, थकान, खांसी और सांस लेने की दिक्कत होते ही तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. ज्यादातर लोगों की मौत सही वक्त पर अस्पताल न पहुंचने की वजह से हो रही है.

तीर्थयात्री यात्रा के दौरान काले चश्मे का इस्तेमाल करें. नियमित तौर पर पानी पीते रहें. अपने साथ गर्म कपड़े रखें और त्वचा का ख्याल रखें.किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत सामने आए तो तत्काल नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें.

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