Coal Crisis: 81 कोल प्लांट के पास 5 दिनों से भी कम का कोयला, क्या होगा कंप्लीट ब्लैक आउट?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Apr 30, 2022, 10:11 AM IST

बिजली की किल्लत से जूझ रहे हैं देश के कई हिस्से.

Explainer: भारत में ऊर्जा की मांग लगातार बढ़ रही है लेकिन कोयले की किल्लत देखने को मिल रही है. पढ़ें अभिषेक सांख्यान की रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी:  प्रचंड गर्मी (Heat Wave) में देश बिजली (Electricity Crisis) का संकट का सामना कर रहा है. देश ने आज 207 गीगावाट की रिकार्ड ऊर्जा की मांग को पूरा भी किया. मगर फिर भी देश में कई जगहों पर लम्बे पावर कट का सामना करना पड़ा. कोयले की कमी के संकट से निपटने के लिए रेलवे ने 42 ट्रेनें रद्ध की है. आइए जानते हैं कि देश में ऊर्जा संकट किन वजहों से पैदा हुआ है.

ऊर्जा मंत्रालय ने 29 अप्रैल रात 9 बजे ट्वीट कर बताया कि देश में आज दोपहर 2:50  मिनट पर 207 गीगावाट ऊर्जा की मांग को पूरा किया. भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति का ये अब तक सबसे बड़ा रिकार्ड है.  

कुछ ही दिन पहले ऊर्जा मंत्रालय ने ट्वीट ऊर्जा आपूर्ति का पिछले साल जुलाई 2021 का रिकार्ड तोड़ा था. वहीं मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि मई जून के महीने में ऊर्जा की मांग 215-220 गीगा वाट तक पहुंच सकती है.  

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देश में ऊर्जा की अच्छी मांग को अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है. मौजूदा हालात में मामला सिर्फ उद्योगो की मांग का नहीं है. इस साल मार्च और अप्रैल दोनों महीनों ने गर्मी के कई दशकों के रिकार्ड तोडे हैं. ऐसे में आम उपभोक्ताओं की खपत में भी भारी इजाफा हुआ है. इसके अलावा किसानों की अगली फसल के लिए अपने खेत तैयार करने हैं. गर्मी की मार की वजह से उन्हें फसल बोने के पर्याप्त नमी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में सिंचाई के लिए इस बार ज्यादा बिजली की जरुरत पड़ रही है.   

देश में 10770 मेगावाट बिजली की कमी 

ऊर्जा मंत्रालय के वेबसाईट नेशनल पावर पोर्टल के मुताबिक 28 अप्रैल को देश में 10770 मेगावाट की कमी थी. कई राज्यों में लम्बे लम्बे पावर कट देखे गए. मंत्रालय के डाटा के हवाले से 29 अप्रैल की पीक डिमांड 199,000 मेगावाट की थी, जिसमें से 188,222 मेगावाट की ही आपूर्ति हो पाई.  

ऊर्जा    मांग  (मेगावाट में) 
पीक मांग   199000 
पीक आपूर्ति   188222 
कमी   10778  

(सोर्स- NPP, 28 अप्रैल, 2022 )

81 कोल प्लांट के पास 5 दिनों से कम का कोयला  

कोयले की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनें रद्द की हैं. देश में कोयला आधारित बिजली  प्लांट के लिए 26 दिनों के कोयले के स्टाक का मानक तय किया गया है. मगर देश के करीब 81 पावर प्लांट में 5 दिनों से कम का ही कोयला बचा हुआ है. वहीं 47 ऐसे संयत्र है जिनमें 6-15 दिन की ही कोयला स्टॉक हैं. 16 दिन से 25 दिनों के कोयला स्टॉक वाले पॉवर प्लांट केवल 13 हैं.  

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मौजूदा कोयला स्टाक   (दिनों में) उर्जा संयत्रों की संख्या  (Pithead) 

उर्जा संयत्रों की संख्या (Non- Pithead) 

0-5  81 3
6-15 47 6
16-25 13 3
26 दिनों से ज्यादा 7 3
  सोर्स: NPP   

इन राज्यों में कोयला स्टॉक मानक के 10 प्रतिशत से भी कम  

देश के कई राज्यों में कोयले का स्टॉक 10 प्रतिशत या उससे भी कम है. इन राज्यों में सबसे खतरनाक हालात पश्चिम बंगाल के हैं जहां मानकों के मुकाबले महज 5 प्रतिशत स्टाक बचा हुआ है. इसके अलावा तमिलनाडु, झारखंड और आंध्र प्रदेश में कोयला स्टॉक  क्रमश: 7 प्रतिशत, 9 प्रतिशत और 10 प्रतिशत है.  वहीं मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पंजाब में तय मानक का 25 प्रतिशत कोयला भंडार ही मौजूद है.  

 

 राज्यों के कोयला आधारित बिजली संयत्र  उर्जा क्षमता (मेगावाट)   %  वास्तविक स्टॉक बनाम आम स्टॉक 
पश्चिम बंगाल   4810  5%
तमिलनाडु 4320  7%
झारखंड   420  9%
आंध्र प्रदेश   5010  10% 
मध्य प्रदेश  5400 13% 
कर्नाटक   5020  13%
राजस्थान 7580 14%
महाराष्ट्र 9540 15%
उत्तर प्रदेश   6129 17% 
गुजरात 4010 21% 
पंजाब 1760 25%
हरियाणा 2510 33%
तेलंगाना 5242 33% 
छत्तीसगढ़  2840 50% 
ओड़िशा 1740 76%
कुल   66331 (MW) स्रोत: NPP

सोर्स: NPP

केन्द्र के कोल आधारित उर्जा संयत्र (NTPC)   उर्जा क्षमता (मेगावाट)   %  वास्तविक स्टॉक बनाम आम स्टॉक 
  48110  55 %
     

 
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देश बिजली बनाने के लिए करीब 1/3 कोयले का आयात करता है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतों को बीते साल चार गुना हो जाने के कारण बिजली कंपनियों पर दबाव आया है. आयातित कोयले पर 17255 मेगावाट से ज्यादा की क्षमता के तापीय ऊर्जा संयत्र काम करते हैं. मौजूदा जानकारी तक इन संयत्रों में भी आयात का स्टॉक भी मानकों का महज 30 प्रतिशत ही है.  

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कोयले के बढ़ते दामों ने बढ़ाया संकट

न्यूकैस्ल कोल के वायदा बाजार के अनुसार इस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत 320 डॉलर प्रति टन के आस पास चल रही थी. बीते साल 2021 में इसी समय कोयले का भाव 90 डॉलर प्रतिटन से भी कम था. हालांकि कोयले की कीमत में पूरे साल बढोतरी होती रही. प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से बिजली बनाने में कोयले की मांग पर असर देखा गया. दिसंबर 2021 में कोयले की कीमत 150 डॉलर प्रतिटन पर पहुंच गई. इसके बाद फिर से यूक्रेन और रूस के बीच तनाव के कारण इसमे तेजी देखी गई. युद्ध शुरू होने के बाद मार्च महीने के पहले हफ्ते में कोयला 400 डॉलर प्रति टन कीमत को पार कर गया था.

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