डीएनए हिंदी: साल 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई है. सुप्रीम कोर्ट से राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है. साल 2019 के मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी को गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई थी. कोर्ट के फैसले की वजह से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खुद-ब-खुद खत्म हो गई थी. गुजरात हाई कोर्ट ने भी यह सजा बरकरार रखी थी. अब उन्हें सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है.
सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के फैसले से राहुल गांधी का सांसद का दर्जा बहाल होने का रास्ता साफ हो गया है. राहुल गांधी के लिए अब लोकसभा चुनाव 2024 की राह आसान हो गई है. लोकसभा अध्यक्ष अब उनकी सदस्यता बहाल कर सकते हैं या राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर एक सांसद के रूप में अपनी सदस्यता बहाल करने की अपील कर सकते हैं.
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की अपील की है. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल मई 2024 में समाप्त हो रहा है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने कहा कि लोअर कोर्ट के जज ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते समय कोई कारण नहीं बताया, सिवाय इसके कि उन्हें अवमानना मामले में शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी थी.
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क्यों कांग्रेस के लिए वरदान है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला?
राहुल गांधी अगर लोकसभा सदस्य के तौर पर बहाल होते हैं वह सदन में सत्तारूढ़ सरकार की मुश्किलें बढ़ाएंगे. अब वह लोकसभा चुनाव 2024 में उतर सकते हैं. जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी ही हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी 'INDIA गठबंधन' की अगुवाई भी कर सकते हैं. उन्हें कांग्रेस खेमा प्रधानमंत्री के चेहरे की तरह प्रचारित भी करता है. वैसे भी 2024 की चुनावी लड़ाई मोदी बनाम राहुल गांधी की होने वाली है. ऐसे में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगना, कांग्रेस के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
क्या सांसद के तौर पर बहाल होंगे राहुल गांधी?
मार्च में सजा से पहले राहुला गांधी वायनाड से ही सांसद थे. अभी इस लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं हुआ है. उनकी बहाली हो सकती है. वह लोकसभा में लौटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुनाए जाने के तुरंत बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और उनसे राहुल गांधी की सदस्यता तुरंत बहाल करने को कहा. स्पीकर ने कहा कि वह कार्रवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति का इंतजार करेंगे.
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लोकसभा सचिवालय के अधिकारी अदालत का आदेश मिलने पर उसका अध्ययन करेंगे. इसके बाद औपचारिक तौर पर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने का आदेश जारी कर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं है, लेकिन उम्मीद है कि यह जल्द ही पूरा हो जाएगा.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता इस साल जनवरी में अयोग्य घोषित कर दी गई थी, क्योंकि उन्हें एक आपराधिक मामले में 10 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, मार्च में, फैज़ल ने केरल हाई को्रट का रुख किया. उनकी सजा सस्पेंड हो गई. अदालत के हस्तक्षेप के बाद उनका सांसद का दर्जा बहाल कर दिया गया.
कोर्ट केस के बारे में क्या हो सकता है फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के शुक्रवार के आदेश से राहुल गांधी की कानूनी परेशानियां पूरी तरह खत्म नहीं हुई हैं. मानहानि का मामला गुजरात के सूरत की एक सत्र अदालत में जारी रहेगा. इसी कोर्ट में राहुल गांधी ने अपनी दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग करते हुए एक अपील दायर की है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दी गई सुरक्षा उनकी अपील पर सेशन कोर्ट का फैसला आने तक ही रहेगी.
क्या था मानहानि का मामला?
गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराया था. राहुल गांधी ने कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है. राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली के दौरान कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है.सूरत की एक अदालत ने इस साल 23 मार्च को इस मामले में राहुल गांधी को दोषी ठहराया था और दो साल जेल की सजा सुनाई थी. अगले दिन, उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिए गए थे.
राहुल गांधी ने ने अपनी सजा पर रोक लगाने की अपील दायर की थी. उन्होंने सूरत सेशन कोर्ट के फैसले को चुनौती देने की एक याचिका हाई कोर्ट में दायर की थी. सेशन कोर्ट ने उन्हें 20 अप्रैल को जमानत दे दी थी. कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. राहुल गांधी ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस याचिका में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी जिसमें उनकी सजा को बरकरार रखा गया था. (PTI इनपुट के साथ)
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