डीएनए हिंदी: Delhi News- दिल्ली में एक बार फिर सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) और उपराज्यपाल वीके सक्सेना (LG VK Saxena) के बीच विवाद शुरू हो गया है. दिल्ली एमसीडी में 6 जनवरी को मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव से दो दिन पहले LG ने 10 मनोनीत पार्षदों के नाम (List of 10 councilors nominated by LG released) तय कर दिए हैं, लेकिन आप ने इन्हें राजनीतिक मनोनयन बताते हुए विरोध शुरू कर दिया है. आप का कहना है कि मनोनीत किए गए सभी पार्षद भाजपा से जुड़े हुए हैं. हालांकि पॉलीटिक्ल एक्सपर्ट इस मनोनयन के 'टेक्नीकली' गलत नहीं होने की बात कह रहे हैं, लेकिन इतना तय है कि 6 जनवरी को दिल्ली एमसीडी की पहली बैठक के दौरान यह मुद्दा हंगामा करा सकता है.
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मनोनीत सदस्यों में भाजपा के 3 जिलाध्यक्ष शामिल
उपराज्यपाल के आदेश पर दिल्ली सरकार (Delhi Government) के शहरी विकास विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने 10 मनोनीत पार्षदों के नामों का गजट नोटिफिकेशन जारी किया है. यह गजट नोटिफिकेशन मंगलवार को ही जारी कर दिया गया था. इनमें दिल्ली भाजपा के तीन जिला यूनिटों के अध्यक्ष शामिल हैं. इनके अलावा भी लिस्ट में भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं को जगह दी गई है. लिस्ट में शामिल नामों में राजकुमार भाटिया, मोहन गोयल, रोहतास कुमार, लक्ष्मण आर्य, मुकेश मान, महेश सिंह तोमर, संजय त्यागी, राजपाल राणा और कमलजीत सिंह का नाम प्रमुख है.
क्यों हो रहा है आप को ऐतराज
आप ने उपराज्यपाल की तरफ से जारी नामों की सूची में केवल भाजपा के मेंबर शामिल किए जाने पर सवाल उठाया है. हालांकि इसका कारण दूसरा माना जा रहा है. दरअसल इन 10 पार्षदों के मनोनयन के बाद अब दिल्ली एमसीडी की वार्ड कमेटी चुनाव में भाजपा को बढ़त मिल जाएगी. पहले 4 जोन में भारी दिख रही भाजपा अब 6 जोन की वार्ड कमेटियों पर अपना कब्जा कर पाएगी. साथ ही स्टैंडिंग कमेटियों में भी भाजपा की पकड़ मजबूत हो जाएगी. इससे दिल्ली एमसीडी में बहुमत हासिल करने के बावजूद आप के लिए काम करना आसान नहीं होगा.
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फिलहाल दिल्ली एमसीडी का गणित इस प्रकार है. आम आदमी पार्टी के 134, भाजपा के 104, कांग्रेस के 9 और 3 अन्य पार्षद हैं. दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष ने आप के 14 विधायकों को नगर निगम में मनोनीत किया है. इनके अलावा दिल्ली के 7 लोकसभा सांसद और 3 राज्यसभा सांसद भी एमसीडी मेंबर होते हैं. अब भाजपा के खेमे में LG की तरफ से 10 मनोनीत सदस्य भी जुड़ गए हैं.
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क्या है पार्षद मनोनीत करने का नियम
दिल्ली एमसीडी में मनोनीत पार्षद (MCD Nominated Councilor) को 'एल्डरमैन' कहा जाता है. इनकी तैनाती दिल्ली नगर निगम एक्ट 1957 (THE DELHI MUNICIPAL CORPORATION ACT, 1957) के तहत की जाती है. इस एक्ट में राजनीतिक पार्टियों के मेंबर को मनोनीत पार्षद के तौर पर चुनने से नहीं रोका गया है. ये मनोनीत पार्षद अगले 5 साल तक दिल्ली एमसीडी में काम करते हैं.
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पहले दिल्ली सरकार चुनती थी मनोनीत पार्षद
पहले मनोनीत पार्षदों की संख्या दिल्ली के तीन अलग-अलग नगर निगम में 30 होती थी. इनके मनोनयन का अधिकार भी दिल्ली राज्य सरकार को होता था, लेकिन बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के तहत यह अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल को सौंप दिया गया. साथ ही तीन नगर निगम को मिलाकर एक करने के बाद इनकी संख्या भी घटाकर 30 से 10 कर दी गई है.
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पहले नहीं था मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार
साल 2015 से पहले तक दिल्ली नगर निगम में मनोनीत पार्षदों को वोटिंग का अधिकार नहीं था. उस समय तत्कालीन एल्डरमैन व कांग्रेस नेता ओनिका मल्होत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में केस दाखिल कर वोटिंग का अधिकार मांगा था. हाई कोर्ट ने 27 अप्रैल 2015 को दिए फैसले में एल्डरमैन को वार्ड कमेटी चुनाव में वोटिंग का अधिकार दिया. अब मनोनीत पार्षद चुनाव लड़कर स्टैंडिंग कमेटी के डिप्टी चेयरपर्सन तक बन सकते हैं.
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