DNA एक्सप्लेनर: किस काम आते हैं Antibiotics-Steroids? क्या होते हैं इसके फायदे-नुकसान?   

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jan 22, 2022, 05:56 PM IST

बीमारियों को दूर भगाने के लिए हम एंटीबायोटिक्स का बड़ी ही जल्दी इस्तेमाल कर लेते हैं लेकिन कई बार इसका हमारे स्वास्थ्य पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है.

डीएनए हिंदी: एंटीबायोटिक्स हमारी बीमारियों के चलते जीवन का हिस्सा सी बन गई हैं लेकिन कोविड 19 महामारी शुरू होने के बाद से स्टेरॉयड भी हमारी बातचीत में शामिल  हो गया है. एंटीबायोटिक्स और स्टेरॉयड में क्या फर्क है? ये हमें कैसे फायदा और नुकसान पहुंचाते हैं, आइए इस बारे में हम पड़ताल करते हैं.

सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, एंटीबायोटिक्स इंसानों और जानवरों में बैक्टीरिया से फैले संक्रमण से लड़ने का काम करती हैं. यह बैक्टीरिया को मारने का काम करती हैं. एंटीबायोटिक्स बैक्टीरिया को बढ़ने में मुश्किलें पैदा करती हैं. हम इसका सेवन डॉक्टर की सलाह पर स्ट्रेप थ्रोट, काली खांसी, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) जैसे समस्या पैदा होने पर करते हैं. ये सारी बीमारियां बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती हैं. इसके अलावा बैक्टीरिया से होने वाले सेप्सिस जैसी घातक स्थितियों में भी एंटीबायोटिक्स की मदद ली जाती है.

एंटीबायोटिक्स से नुकसान भी हो सकता है

एंटीबायोटिक्स से रैश, उल्टी की इच्छा, दस्त, यीस्ट इंफेक्शन जैसे आम से लेकर बेहद गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. यही वजह है कि हमें डॉक्टर की सलाह के बाद ही एंटीबायोटिक (Antibiotic) लेना चाहिए और कभी कोई साइड इफेक्ट्स हो तब भी डॉक्टर से संपर्क करना उसके बचाव की दवा लेनी चाहिए.

डॉक्टरों की सलाह पर लें एंटीबायोटिक्स

एंटीबायोटिक्स रेजिजटेंस या प्रतिरोध में योगदान कर सकते हैं. एंटीबायोटिक रेजिजटेंस भी बड़े खतरे में से एक है. आमतौर पर जरूरत पड़ने पर एंटीबायोटिक्स साइड इफेक्ट्स या एंटीबायोटिक्स रेजिजटेंस के जोखिम से ज्यादा जरूरी हो जाती हैं लेकिन कई बार एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल बगैर वजह या गलत तरीके से लेने पर यह नकारात्मक असर छोड़ सकता है इसलिए यह बेहद जरूरी है कि एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही किया जाए.

स्टेरॉयड किस काम आते हैं

यूनाइटेड किंगडन नेशनल हेल्थ सर्विस के मुताबिक स्टेरॉयड्स (Steroids) को कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स भी कहा जाता है. ये एंटी-इंफ्लेमैट्री दवाएं होती हैं और यह अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिसीज, हे फीवर, हाइव्स और एक्जीमा, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द जैसी कई तरह की परेशानियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं. कोविड-19 के मरीजों को भी स्टेरॉयड्स दी जाती हैं. कोविड की दवा में इसका क्या इस्तेमाल है? स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के कारण इंफ्लामेशन (सूजन) की समस्या हो जाती है, जो फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकती है. स्टेरॉयड दवाएं सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण होने वाली सूजन को कम करने में मदद करती हैं. हालांकि यह भ्रम है कि स्टेरॉयड से कोरोना को ठीक किया जा सकता है.

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ऐसे काम करते हैं स्टेरॉयड्स

स्टेरॉयड्स, हार्मोन्स का इंसान का बनाया हुआ वर्जन है, जिसे किडनी के ऊपर पाए जाने वाले दो छोटे ग्लैंड्स, एडरीनल ग्लैंड्स तैयार करते हैं. अगर शरीर के स्टेरॉयड तैयार करने वाली मात्रा से ज्यादा डोज लिया जाए, तो यह लालपन और सूजन को कम कर देता है. यह अस्थमा और एक्जीमा जैसी स्थिति के लिए फायदेमंद होता है. स्टेरॉयड्स इम्यून सिस्टम की गतिविधि को भी कम कर देते हैं.

स्टेरॉयड्स से हो सकते हैं ये नुकसान

स्टेरॉयड्स बिना डॉक्टरी सलाह के लंबे समय तक या उच्च डोज में उपयोग में लाने पर कई तरह की दीर्घकालिक समस्याओं का कारण भी बन सकता है. इसके चलते ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि, सोने में समस्या, मूड स्विंग और बेचैनी, चिड़चिड़ापन, अपच और सीने में जलन और भूख में वृद्धि के कारण वजन बढ़ने की समस्या पैदा हो सकती है.

डॉक्टर की सलाह पर ही लें स्टेरॉयड्स

शिुशु रोग विशेषज्ञ डॉ. बिनय कुमार मिश्र ने बताया कि बिना डॉक्टर की सलाह के स्टेरॉयड नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि संभव है कि रोगियों में ऐसे लक्षण हैं और उन्हें पता हो कि उन्हें स्टेरॉयड से लाभ मिल सकता है लेकिन इसके बावजूद खुद से ऐसी दवाओं का सेवन नहीं शुरू करना चाहिए. उनका कहना है कि डॉक्टर आपकी मर्ज के हिसाब से आपकी खुराक तय करते हैं इसलिए आपको स्टेरॉयड लेने से पहले उनकी सलाह जरूर लेनी चाहिए और बिना परामर्श के बीच में दवाएं खाना नहीं छोड़नी चाहिए.

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एंटीबायोटिक्स यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन रोग का निवारण