'दीदी' को हिंदू त्योहारों से दिक्कत? West Bengal में मुहर्रम पर कॉरिडोर बनवाया, 112 फुट ऊंचे दुर्गा पूजा पंडाल का काम रुकवाया, जानें पूरा विवाद

कुलदीप पंवार | Updated:Sep 19, 2024, 11:37 PM IST

Durga Puja Row in West Bengal: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार को हिंदुओं के त्योहार से दिक्कत है. मुहर्रम और बारावफात के मौके पर खुद पुख्ता इंतजाम कराने वाली सरकार को दुर्गा पूजा पंडाल बनने पर शांति व्यवस्था बिगड़ने का डर सता रहा है. पढ़ें DNA रिपोर्ट.

Durga Puja Row in West Bengal: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार का विवाद पीछे छोड़ने का नाम नहीं ले रहे हैं. कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर केस के विवाद से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस की सरकार अब दुर्गा पूजा पंडाल विवाद में घिर गई है. यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या ममता बनर्जी को हिंदू त्योहारों से दिक्कत है? दरअसल पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में दुर्गा पूजा से ठीक पहले पुलिस ने कानून व्यवस्था बिगड़ने का डर दिखाकर एक पंडाल का काम रुकवा दिया है. इससे स्थानीय हिंदू परिवारों में रोष फैल गया है. उनका आरोप है कि मुहर्रम और बारावफात जैसे दूसरे समुदाय के आयोजनों पर खुद पुख्ता इंतजाम करने वाली पश्चिम बंगाल सरकार को हिंदू त्योहार से क्या दिक्कत है? 

पहले समझ लीजिए क्या है पूरा मामला

पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में 112 फीट की दुर्गा प्रतिमा तैयार हो रही थी. स्थानीय लोगों ने चंदा करके सबसे ऊंचा दुर्गा पूजा पंडाल बनाने का बीड़ा उठाया था. पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा को सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, जिसमें माता की सबसे बड़ी प्रतिमा स्थापित करने की प्रतिज्ञा लोगों ने ली थी. इसके लिए पिछले 6 महीने से प्रतिमा बनाने का काम चल रहा था. अब अचानक प्रशासन की तरफ से प्रतिमा बनाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया गया है. ममता दीदी की पुलिस अचानक पंडाल में पहुंची और सारा काम रुकवाकर चली गई. इसकी वजह किसी ने अब तक नहीं बताई है. बस कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया जा रहा है.

क्या 'दीदी' का यह बयान है कारण

कुछ दिन पहले ममता बनर्जी 'दीदी' का एक बयान आया था, जिसमें इतनी बड़ी प्रतिमा लगने के खिलाफ तर्क दिए गए थे. ममता की दलील है कि इतनी बड़ी प्रतिमा लग जाएगी तो भारी भीड़ आएगी. इससे दुर्गा पूजा के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ने के हालात पैदा हो जाएंगे. हालांकि इससे यह सवाल उठता है कि दुर्गा पूजा में भीड़ दुर्गा पंडाल के दर्शन करने निकलती ही है. इसे मैनेज करने का काम तो दीदी की सरकार और उनकी पुलिस का है. ऐसे में पंडाल का काम रुकवाने की जरूरत है या फिर दुर्गा पूजा के दौरान भीड़ को कंट्रोल करने का सिस्टम तैयार करने की. 

उठ रहे हैं पुलिस की कार्रवाई से ये सवाल

दुर्गा पूजा पंडाल में लॉ एंड सिचुएशन को कंट्रोल करने के लिए दीदी ने पंडाल ही बंद करवा दिया, लेकिन कुछ दिन पहले मुहर्रम पर दीदी ने पूरी फोर्स लगा दी थी. मुहर्रम पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को आदेश दिया गया और दुर्गा पूजा में भीड़ आने के डर से पंडाल ही बंद करा दिया गया. इस कार्रवाई से ममता बनर्जी पर कई सवाल उठ रहे हैं. ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों.

तुष्टिकरण का आरोप लगा रहे हैं स्थानीय लोग

दुर्गा पूजा पंडाल का काम बंद कराए जाने पर स्थानीय लोग ममता बनर्जी पर तुष्टिकरण के आरोप लगा रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि दुर्गा पूजा के 20 दिन पहले ऐसा क्यों किया गया. नादिया में ही मुहर्रम और बारावफात में धूमधाम से जुलूस निकलते हैं. तब लॉ एंड ऑर्डर का हवाला नहीं दिया जाता है. जब दुर्गा पूजा की तैयारी है तब ये हवाला दिया जा रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस पूजा पंडाल के लिए किसी तरह की स्पॉन्सरशिप नहीं थी. यह सब पैसा गांववालों का ही था. अब तक 50 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. गांव वालों ने इतना पैसा खर्च किया है, जो अब बेकार हो गया है.

मुसलमान भी पंडाल बंद कराने से हैं दंग

नादिया जिले में जिस पंडाल पर रोक लगाई गई है वहां बीते 55 साल से धूमधाम से दुर्गा पूजा का त्योहार मनाया जाता है, लेकिन इस बार पंडाल बंद करने के दीदी के फरमान के बाद इलाके के मुसलमान भी दंग हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि जब हिंदू अपना त्योहार धूमधाम से मनाना चाह रहा है. जब मुसलमानों को भी इससे कोई ऐतराज नहीं है. ऐसे में ममता सरकार के इस फरमान को क्या माना जाए? क्या सच में दीदी को हिंदुओं के त्योहार से दिक्कत है?

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