सांप की तस्करी में बुरे फंसे एल्विश यादव, क्या हैं इससे जुड़े नियम-कानून?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Nov 03, 2023, 12:40 PM IST

एल्विश यादव पर वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत केस चल सकता है.

बिगबॉस ओटीटी के विनर एल्विश यादव बुरे फंसे है. उन पर आरोप है कि वे सांपों के जहर वाली रेप पार्टी में शामिल रहे हैं. जानिए यह अपराध कितना गंभीर है.

डीएनए हिंदी: यूट्यूबर, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और बिग बॉस ओटीटी2 विजेता एल्विश यादव बुरे फंसे हैं. उन पर और उनके पांच साथियों पर सांप की तस्करी के आरोप लगे हैं. उनके गैंग से 20 मिलीलीटर सांप का जहर, 9 जहरीले सांप बरामद हुए हैं. आरोप है कि इनका इस्लेमाल रेव पार्टी के दौरान एल्विश ने किया है. FIR के मुताबिक उनके पास से 5 कोबरा, 1 अजगर और 1 दोमुंहा सांप, एक रैट स्नेक बरामद किया गया है. सांप के जहर वाली रेव पार्टी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद मेनका गांधी के एनजीओ ने शिकायत दर्ज कराई थी.

नोएडा पुलिस के मुताबिक शिकायतकर्ताओं ने कहा था कि उन्हें जानकारी थी कि एल्विश यादव ने अपने नोएडा फार्महाउस में सांप के जहर वाली रेव पार्टी कर रहे थे. उन्होंने जिंदा सांपों के साथ वीडियो शूट किया है. यहां अक्सर विदेशी लड़कियां आती हैं. शिकायत के मुताबिक, एनजीओ का एक शख्स एल्विश यादव के पास पहुंचा और उससे कोबरा का जहर लाने को कहा. एल्विश ने कथित तौर पर अपने एजेंट का नंबर दिया और बात करने को कहा.

संपर्क करने पर, एजेंट सांप और सांप का जहर देने के लिए सहमत हो गए. वे पार्टी वाली जगह भी पहुंच गए. एनजीओ के लोगों ने पुलिस को सूचना दी और सांप और सांप का जहर लाने वाले पांच लोगों को पुलिस के हवाले कर दिया. उन्होंने एल्विश यादव का नाम लिया है. तस्करी में फंसे एल्विश यादव के खिलाफ क्या-क्या केस दर्ज हो सकता है, वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत यह अपराध कितना गंभीर है, आइए समझते हैं.

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सांप पालने और तस्करी करने पर क्या कहता है कानून
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड के तौर पर सेवा दे रहे विशाल अरुण मिश्र वन्य जीवन कानूनों पर कहते हैं कि किंग कोबरा, मोनोकल्ड कोबरा, स्पेक्टैकल्ड कोबरा और रसेल वाइपर जैसे जहरीले सांप वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची II में रखे गए हैं. ऐसे सांपों का पालना या उनका जहर निकालना, उनके खिलाफ क्रूरता है, जिसके लिए कठिन से कठिन सजा मिल सकती है. ऐसे सांपों से छेड़छाड़ करने पर अधिकतम सजा 3 से 7 साल की कैद हो सकती है. आर्थिक दंड भी 1,000 रुपये तक लगाया जा सकता है. यह राशि बढ़ाई भी जा सकती है.

सु्प्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एडवोकेट सौरभ भरद्वाज बताते हैं कि रैट स्नेक और चेकर्ड कीलबैक और ऑलिव कीलबैक जैसे पानी वाले सांपों को भी अनुसूची II के तहत वर्गीकृत किया गया है. अगर इन्हें पाला जाता है, चोट पहुंचाई जाती है या इन्हें खतरे में डाला जाता है तो 10,000 रुपये का जुर्माना या 7 साल तक की कैद हो सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हर्षिता सक्सेना के मुताबकि जिन सांपों की बरामदगी हुई है, उनमें कोबरा, अजगर और दोमुंहा सांप भी शामिल हैं. इन सांपों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची II में रखा गया है. ऐसे में अगर आरोप सच साबित हुए तो दोषी को धारा 2, धारा 8, धारा 9, धारा 11, धारा 40, धारा 41 धारा 43, धारा 48, धारा 51, धारा 61 और धारा 62 के तहत सजा मिल सकती है. इनमें कम से कम 3 साल की सजा का प्रावधान है, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है. 

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