डीएनए हिंदी: बीते दिनों राजधानी दिल्ली के मुंडका इलाके में एक कमर्शियल बिल्डिंग में भीषण आग (Mundka Fire) लग गई, जिसमें दर्जनों लोगों की जान चली गई. दिल्ली के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में भी इस तरह की आग लगने की घटनाएं सामने आई हैं. दिल्ली में ही बीते कुछ सालों में कई बार इस तरह के आग हादसे हो चुके हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में देश में हर दिन 35 लोगों ने आग से जुड़े हादसों में अपनी जान गंवाई है.
ज्यादातर जगहों पर शॉर्ट सर्किट, ओवर हीटिंग या लापरवाही की वजह से आग लगने की बात सामने आई. इसके अलावा, गर्मी की वजह से भी कई जगहों पर आग लगने की घटना सामने आई है. दिल्ली में कूड़े के डंपिंग यार्ड गाजीपुर लैंडफिल साइट और भलस्वा लैंडफिल साइट पर भी आग लगने की घटना सामने आई है. आइए विस्तार से समझते हैं कि आग की घटनाएं इतनी सामान्य क्यों हो गई हैं...
सस्ते उपकरण हैं जानलेवा, अग्निकांड के सबसे बड़े जिम्मेदार
आग लगने के सबसे बड़े कारणों में रसोई घर में लापरवाही, बिजली के उपकरणों में शॉर्ट सर्किट, खुली आग वाली चीजें जैसे मोमबत्ती, अगरबत्ती या सिगरेट और ज्वलनशील पदार्थों का खराब मैनेजमेंट शामिल है. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग पैसे बचाने के चक्कर में कम गुणवत्ता के सस्ते तारों और इलेक्ट्रिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ये उपकरण वोल्टेज बढ़ने या लोड ज्यादा हो जाने पर बहुत जल्दी गरम हो जाते हैं और आग पकड़ लेते हैं. एक अनुमान के मुताबिक, आग की एक तिहाई घटनाएं इन्हीं कारणों से होती हैं.
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इसके अलावा, बिजली से जुड़े कामों में ज़रूरी उपकरणों जैसे कट-आउट, ऑटोमैटिक पावर कट, फ्यूज, रजिस्टर और स्टेपलाइजर का इस्तेमाल न किया जाना भी आग का कारण बनता है. ये उपकरण न सिर्फ़ बिजली के उपकरणों को सुरक्षित रखते हैं, बल्कि किसी गड़बड़ी की स्थिति में बिजली की सप्लाई को बंद कर देते हैं और आग लगने से बच जाती है.
खाना बनाते समय होती हैं आग की एक तिहाई घटनाएं
एक रिपोर्ट के मुताबिक, आग की तीन में एक घटना रसोई घर में खाना बनाते समय होती है. किचन में खुली आग का इस्तेमाल, सस्ते रेग्युलेटर, सुरक्षा के सस्ते और कामचलाऊ इंतजाम और आग जलाने के लिए माचिस का इस्तेमाल आग का बड़ा कारण बनता है. वैसे तो इस तरह की आग आमतौर पर बड़ा रूप नहीं लेती, लेकिन रेस्तरां जैसी जगहों पर कई गैस सिलिंडर होने की हालत में भीषण आग लग सकती है.
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भारत में सुरक्षा उपकरणों के मानक तय होने के बावजूद सस्ते के चक्कर में लोग सस्ते गैस पाइप, कम क्षमता वाले Fire Extinguisher का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा, घरों में खाना बनाते समय आग लगने की स्थिति में बचाव के उपकरण मौजूद नहीं होते. ज्यादातर घरों में एक भी Fire Extinguisher नहीं होता. अगर आग लग भी जाए तो उसे रोकने के लिए लोगों के पास पानी के अलावा दूसरा कोई साधन नहीं होता.
उद्योगों की बेतरतीब बसावट और भ्रष्टाचार
भारत में कई इलाके ऐसे हैं जहां उद्योग-धंधे बेतरतीब तरीके से पनप जाते हैं. इनमें कई ऐसे उद्योग भी होते हैं जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं. कई उद्योंगों में हानिकारक केमिकल और ज्वलनशील पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. उदाहरण के लिए, पटाखों की फैक्ट्री, केमिकल की फैक्ट्री, कपड़ों से जुड़े उद्योग, चमड़े और प्लास्टिक से जुड़े उद्योग आदि.
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इस तरह के उद्योंगों के लिए सख्त नियम तय किए गए हैं. इन्हें शुरू करने से पहले तमाम तरह के लाइसेंस लेने होते हैं और फायर सेफ्टी के नियमों का पालन करना होता है. इस सबके बावजूद सिस्टम में मौजूद भ्रष्टाचार की वजह से अक्सर ऐसे मामले आते हैं कि नियमों का पालन न करने के बावजूद कई फैक्ट्रियों को अवैध तरीके लाइसेंस और दूसरी ज़रूरी अनुमतियां दे दी जाती हैं. आग लगने की स्थिति में इस तरह की जगहों पर सबसे ज्यादा नुकसान होता है. इसके अलावा कम जगह में ज्यादा उद्योग विकसित हो जाने से भी आग लगने की आशंका बढ़ जाती है.
ये हैं आग लगने के अहम कारण:-
- बिजली से जुड़ी लापरवाही और शॉर्ट सर्किट
- स्मोकिंग और खुले में आग जलाना
- ज्वलनशील पदार्थों का खराब प्रबंधन
- केमिकल उद्योगों में आग से जुड़ी सुरक्षा में लापरवाही
- आग से जुड़े सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज करना
आग रोकने के लिए क्या हैं उपाय
आग की घटनाओं को रोकने के लिए ज़रूरी है कि फायर सेफ्टी से जुड़े नियमों का सख्ती से पालन किया जाए. इन नियमों का पालन व्यक्तिगत स्तर से लेकर संस्थानों और सार्वजनिक जगहों पर भी किया जाना ज़रूरी है. घरों में इस्तेमाल होने वाले बिजली के तारों और उपकरणों की गुणवत्ता अच्छी रखने और सही तरीके से प्लान करके आग की घटनाओं को रोका जा सकता है.
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इसके अलावा, निजी और सरकारी संस्थानों में फायर सेफ्टी से जुड़े उपाय करना- जैसे कि Fire Extinguisher लगाना और लोगों को उसका इस्तेमाल सिखाया जाना ज़रूरी है. साथ ही, जिम्मेदार एजेंसियों के लिए यह ज़रूरी है कि वे अपने काम में ईमानदारी बरतें और फायर सेफ्टी लाइसेंस देने के लिए सख्ती दिखाएं. बिना प्लानिंग के तैयार बिल्डिंगों को फायर सेफ्टी लाइसेंस नहीं दिए जाने चाहिए. यह भी ज़रूरी है कि ज्वलनशील पदार्थों वाले उद्योंगो को रिहायशी इलाकों से दूर रखने के नियम का सख्ती से पालन किया जाए और वहां आग रोकने के भरपूर इंतजाम किए जाएं.
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