साइंस ग्रेजुएट, वकील, कौन हैं Chaudhary Charan Singh जो सिर्फ 23 दिन रहे देश के PM

Written By नितिन शर्मा | Updated: Feb 09, 2024, 09:05 PM IST

किसान पुत्र और किसानों के मसीहा जैसे नामों से प्रख्यात पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा.  

किसान परिवार से​ निकलकर देश के प्रधानमंत्री पद तक का सफर तय कर चुके पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चरण सिंह चौधरी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. चौधरी चरण सिंह देश के पाचवें प्रधानमंत्री (Former PM Choudhary Charan Singh) थे. वे राजनीति की शुरुआत से लेकर जीवन के अंत तक खेती और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर मुखर रहे. किसान नेता के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाले वो चौधरी चरण सिंह ही नेता थे, जो सड़क से लेकर संसद तक किसानों के मुद्दों को सबसे आगे रखते थे. उन्हें किसानों का मसीहा कहा जाता था. 

किसान परिवार से निकलकर तय किया प्रधानमंत्री तक का सफर

चौधरी चरण सिंह (Choudhary Charan Singh)  का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित नूरपुर गांव  में हुआ था. पढ़ाई लिखाई में होनहार रहे चरण सिंह ने 1923 में साइंस से अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. इसके बाद 1925 में उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी कर लॉ की डिग्री हासिल की. यहां से चौधरी चरण सिंह अपने घर वापसी कर गाजियाबाद में वकालत शुरू कर दी. 

1929 में कांग्रेस से शुरू की किसानों की राजनीति

चरण सिंह ने वकालत के साथ ही 1929 में कांग्रेस ज्वाइन कर राजनीतिक अखाड़े में कदम रखा. 1937 में चरण सिंह छपरौली विधानसभा से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे और विधायक बने. इसके बाद 1946, 1952, 1962 और फिर 1967 में विधायक चुने गये. विधायक से संसद तक का रास्ता तय कर चौधरी चरण सिंह को 1951 में पहली बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया. उन्हें न्याय तथा सूचना विभाग का प्रभार दिया गया, लेकिन चरण सिंह किसानी क्षेत्र में जन्में थे. उनका रुझान भी किसानों की समस्याओं की तरफ ज्यादा था. इसी को देखते अगले ही साल चौधरी चरण सिंह को कृषि मंत्रालय दिया गया. 

छपरौली से मुख्यमंत्री और बागपत सीट से बने प्रधानमंत्री

कृषि मंत्रालय संभालते ही चौधरी चरण सिंह ने किसानों के हर मुद्दे को जोर शोर से उठाया. उन्होंने छपरौली विधानसभा से लगातार 40 सालों तक एक तरफा जीत दर्ज की. चौधरी चरण सिंह को किसान अपना मसीहा मानते थे. किसानों की समस्याओं को जानने के लिए चौधरी चरण सिंह गांव गांव कूच करते थे. यहां से चौधरी का एक बड़ा वोट बैंक बना. इसी के दम पर वह प्रदेश मुख्यमंत्री बने. इसके बाद पश्चिम के अलावा उनका जलवा पूरी यूपी में रहा. इसके बाद चौधरी चरण सिंह ने बागपत से चुनाव लड़ा और देश के प्रधानमंत्री चुने गये.

सिर्फ 23 दिनों तक प्रधानमंत्री रहे थे चौधरी चरण सिंह 

1979 में चरण सिंह चौधरी कांग्रेस के समर्थन पर देश के प्रधानमंत्री बने. अपनी ईमानदारी और न झुकने की आदत को लेकर चौधरी चरण सिंह मशहूर थे. पीएम की गद्दी संभालने के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. कांग्रेस ने चरण सिंह से कई मुद्दों पर चर्चा की और अपनी मांगे रखी, लेकिन उन्होंने इन मांगों को मानने से साफ इनकार दिया. इस पर कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया और मात्र 23 दिनों तक चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ पाये. 

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