डीएनए हिंदी: मौसम में बदलाव के साथ ही दिल्ली एनसीआर में वायरल संक्रमण और सांस संबंधी बीमारियों ने दस्तक दे दी है. इसके मरीजों में 40 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. इसके पीछे की वजह एच3एन2 इन्फ्लूएंजा वायरस (H3N2 Influenza Virus) है. आइए जानते हैं क्या है एच3एन2 वायरस. इस मौसम में तेजी से क्यों बढ़ रहे है. इस वायरस के मरीज. इसका खतरा और कैसे फैलता है एच3एन2 इन्फ्लूएंजा का वायरस.
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जानें क्या है एचए3च2 वायरस और इसके लक्षण
एक्सपर्ट्स के अनुसार, एच3एन2 वायरस (H3N2 Virus) एक तरह का इन्फ्लूएंजा है. यह एक फ्लू संक्रामक हैं, जो हवा में घुलकर सांस के साथ अंदर जाता है. यह वायरस बदलते मौसम में लोगों को अपनी चपेट में लेता है. एच3एच2 आमतौर पर सर्दी या फ्लू के (Cold and Flu) मौसम में इन्फ्लूएंजा की मौसमी महामारी का कारण बनता है. इस वायरस की चपेट में आने वालों में नाक, गले, सांस लेने में दिक्कत, खांसी, जुकाम, मतली, उल्टी, खराश, बुखार, सिर दर्द और दस्त के लक्षण दिखाई देते हैं. इस संक्रमण का असर पांच से सात दिनों तक रहता है. साथ ही तीन दिन में बुखार उतार जाता है, लेकिन खांसी तीन से चार हफ्ते तक रहती है.
हवा के साथ फैलता है यह वायरस
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के आंतरिक चिकित्सा निदेशक डॉ. अमिताभ ने कहा कि, इस समय एच3एन2 के साथ वायरल बुखार के 40% मामले सामने आ रहे हैं. इस वायरस का संक्रमण तेज होने पर फेफड़ों में हवा भर जाती है, जो ऐंठन सो लेकर सांस लेने में तकलीफ, चेस्ट में भारी पन और सूखी खांसी पैदा करती है. वहीं वायरस हवा के साथ फैलता है. इसे बचाव के लिए मास्क काफी फायदेमंद है. यह इसे फैलनपे से रोकता है.
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हर साल जनवरी फरवरी में आती है समस्या
एक्सपर्ट्स के अनुसार, हर साल जनवरी फरवरी में मौसम में बदलाव के साथ ही वायरल के मामले बढ़ जाते हैं. इसमें लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है. वायरल से पीड़ित मरीजों में ज्यादातर एक हफ्ते में ठीक हो जाते हैं. हालांकि इस मौसमी फ्लू में जटिलताअओं का सबसे ज्यादा खतरा पांच साल से छोटे बच्चे और 65 की उम्र से ज्यादा के बुजुर्गों में होता है. इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं, अस्थमा, मधुमेह और दिल की बीमारियों से ग्रस्त लोगों को यह वायरल लंबे समय तक घेरे रखता है.
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इस तरह करें संक्रमण से बचाव
सीके बिड़ला अस्पताल, गुरुग्राम में क्रिटिकल केयर के प्रमुख डॉ. कुलदीप कुमार ग्रोवर ने कहा कि हम हर साल इस मौसम में वायरल संक्रमण में वृद्धि देखते हैं. ज्यादातर यह 50 साल से ऊपर और 15 साल से कम उम्र के लोगों में होता है. लोग बुखार के साथ सांस से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं. इसके अलावा, हवा में प्रदूषण अवक्षेपण कारकों में से एक है. इससे बचाव के लिए भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जानें से बचें, मास्क लगाएं, हाथों को साफ करते रहें. बात करते समय दूरी बनाकर रखें. इसके साथ ही दो अधिक दिनों तक बुखार आने पर डॉक्टर से परामर्श जरूर लें.
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