डीएनए हिंदी: हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के पाठ से बजरंगबली प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Rambhadracharya) ने हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की कई चौपाईयों को गलत बताया है. जिसका भक्तों को सही उच्चारण करना चाहिए. वह इस बार हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की अशुद्धियों को दूर करने की मांग को लेकर चर्चा में आ गए हैं. रामभद्राचार्य के इस बयान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. तो चलिए आज हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti 2023) पर जगदगुरु के अनुसार हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) की अशुद्धियों के बारे में जानते हैं. जिनका भक्तों को सही उच्चारण करना चाहिए.
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने इन 4 अशुद्धियों का किया है जिक्र (Hanuman Chalisa Mistakes According Rambhadracharya)
- हनुमान चालीसा की एक चौपाई "शंकर सुवन केसरी नंदन" में स्वयं की जगह सुवन छप गया है. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि बजरंगबली शंकर जी के पुत्र नहीं है बल्कि वह स्वयं ही शिव के अवतार हैं. हनुमान चालीसा की इस चौपाई में यह गलती है.
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने बताया कि हनुमान चालीसा की 27वीं चौपाई में भी एक गलती हैं. इस चौपाई में "सब पर राम तपस्वी राजा" लिखा है. जो कि गलत हैं यहां पर इसकी जगह "सब पर राम राज फिर ताजा" यह शब्द सही हैं.
यह भी पढ़ें - Hanuman Jayanti 2023: आज हनुमान जयंती पर इन 4 राशि के जातकों की चमकेगी किस्मत, धन लाभ और तरक्की के बन रहे संयोग
- हनुमान चालीसा की 32वीं चौपाई में भी एक गलती है. इस चौपाई में "राम रसायन तुम्हारे पासा सदा रहो रघुपति के दासा" लिखा है जिसे " सादर रहो रघुपति के दासा" पढ़ा जाना चाहिए.
- रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा की 38वीं चौपाई में भी गलती बताई हैं. उन्होंने कहा कि इस चौपाई में "जो सत बार पाठ कर कोई" लिखा है इसे "यह सत बार पाठ कर जोही पढ़ा जाना चाहिए".
जानें कौन हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य (Who Is Jagadguru Rambhadracharya)
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मकर संक्राति के दिन 1950 में हुआ था. यह एक सरयूपाणी ब्रह्माण परिवार से हैं. जगद्गुरु रामभद्राचार्य की 3 साल की उम्र में ही आंखों की रोशनी चली गई थी. वह 4 साल की उम्र से कविताएं करने लगे और 8 साल की छोटी सी उम्र में उन्होंने भागवत और रामकथा करनी शुरू कर दी थी. बता दें कि जगद्गुरु रामभद्राचार्य को भारत सरकार ने पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया है.
धीरेंद्र शास्त्री के गुरु हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य
मध्य प्रदेश में स्थित बागेश्वर धाम के महाराज पंडित धीरेंद्र शास्त्री के गुरु जगद्गुरु रामभद्राचार्य ही हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने रामभद्राचार्य से ही श्रीराममंत्र की दीक्षा ग्रहण की थी. धीरेंद्र शास्त्री पर विवाद खड़े होने पर भी रामभद्राचार्य ने धीरेंद्र शास्त्री के आचरण को लेकर कई बातें कहीं थी. उन्होंने कहा था कि धीरेंद्र शास्त्री का आचरण बहुत ही अच्छा है उनके अंदर शिष्य के सभी गुण हैं.
यह भी पढ़ें - Vastu Shastra: घर-परिवार की ये समस्याएं देती हैं वास्तु दोष का संकेत, जानें किन उपायों से पा सकते हैं छुटकारा
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.