डीएनए हिंदी: उत्तर भारत में भीषण गर्मी लोगों की जान पर भारी पड़ रही है. लू के थपेड़े, जानलेवा साबित हो रहे हैं. हीट स्ट्रोक की वजह से यूपी, बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में बीते एक सप्ताह में 100 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. इन राज्यों में हीट वेव अपने चरम पर है. अस्पतालों में हीट स्ट्रोक के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक, हर जगह हीट स्ट्रोक के मरीज देखे जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हीट स्ट्रोक की चपेट में आने से अब तक करीब 73 लोगों की मौत हो चुकी है. देवरिया में यह आकंड़ा 53 है.
बिहार में भी 45 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं. ओडिशा में भी गर्मी की वजह से लोगों की मौतें हो रही हैं. आइए जानते हैं हीट स्ट्रोक, किस कंडीशन को कहते हैं, क्यों है यह सेहत के लिए जानलेवा है. आइए जानते हैं क्यों हीट स्ट्रोक, लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
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क्या है हीट स्ट्रोक?
मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक अगर मैदानी हिस्से में तापमान 40 डिग्री, तटीय हिस्से में 37 डिग्री और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री तक पहुंच जाए तब इस स्थिति में हीट स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है. इस स्थिति को ही हीट स्ट्रोक कहते हैं. उत्तर भारत का एक बड़ा हिस्सा, इसी स्थिति से जूझ रहा है. लोग भीषण तापमान की वजह से परेशान हैं. आइए जानते हैं कि हीट स्ट्रोक क्या है, कैसे इससे बचाव कर सकते हैं.
हीट-स्ट्रोक क्यों है जानलेवा?
आयशा हेल्थ क्लीनिक के चीफ डॉक्टर शाहिद अख्तर कहते हैं कि हीट-स्ट्रोक या सन-स्ट्रोक लगातार शरीर पर पड़ रही धूप की वजह से होता है. हवा के तेज झोंके भी हीट स्ट्रोक ही हैं. इस दौरान शरीर का तापमान बेहद गर्म हो जाता है. अगर आपका बुखार लगातार न उतर रहा हो तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें. जरा सी लापरवाही, मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. 60 साल से ज्यादा उम्र के मरीज अगर गर्मी की वजह से बीमार हों तो उनका घर पर इलाज न कराएं, उन्हें तत्काल डॉक्टर को दिखाएं.
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डॉ. शाहिद के मुताबिक वाष्पीकरण के जरिए शरीर की गर्मी कम नहीं हो पाती है तो शरीर का अंदरुनी तापमान बढ़ जाता है. सूखी हवाओं की वजह से पसीना भी नहीं होता. अगर शरीर को ठंडक नहीं मिलती है तो शरीर का तापमान करीब 106 डिग्री फॉरेनहाइट तक बढ़ सकता है. इसकी वजह से मौत भी हो सकती है. उल्टीं सांसें चलने लगती हैं.
डॉक्टर जावेद अख्तर के मुताबाकि हीट स्ट्रोक से पीड़ित मरीज में थकान, सिरदर्द, मतली, उल्टी, हाइपोटेंशन जैसे लक्षण नजर आते हैं. कुछ मरीजों की हृदयगति बढ़ जाती है. कुछ मामलों में ब्रेन स्ट्रोक भी हो जाता है. कुछ मरीज बेचैनी और प्यास से बेहाल हो जाते हैं. ऐसी स्थिति नजर आने पर तत्काल नजदीकी अस्पताल में मरीज को जाना चाहिए.
हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए क्या करें?
डॉ. शाहिद अख्तर के मुताबिक अगर लू या बेहद कड़ी धूप के दौरान मरीजों को बाहर नहीं निकलना चाहिए. अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को दोपहर में बंद रखें. किसी भी हाल में दोपहर में बाहर न निकलें. कपड़ों से पूरा शरीर ढक कर रखें. अगर आपको गर्मी में बाहर जाना ही पड़े तो कुछ सावधानियां आपकी जिंदगी बचा सकती हैं.
1. बार-बार पानी पीजिए. अपने साथ कोई मेटल बॉटल लेकर चलें. प्यास न लगने पर भी बार-बार पानी पीना चाहिए.
2. हमेशा धूप में निकलते वक्त खुद को ढक लें. कॉटन के कपड़े आपके धूप से बचाते हैं. काले कपड़ों का इस्तेमाल न करें.
3. बाहर निकलते वक्त हमेशा सिर ढक लें. छाता, टोपी और गमछा साथ लेकर लें.
4. धूप में ज्यादा देर तक खड़े होने बचें. हीट-स्ट्रोक का सबसे ज्यादा असर तभी होता है, जब आप धूप में हों.
5. डॉ. जावेद अख्तर के मुताबिक शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड ड्रिंक पीने से बचें. लगातार पानी पीजिए. नारियल पानी भी पीना फायदेमंद होता है.
6. ORS घोल और ग्लूकोज जीवनरक्षक घोल कहे जाते हैं. इन्हें भी साथ रखें. स्थिति खराब होते ही तत्काल पी लें.
7. डॉ. शाहिद कहते हैं कि खाना भूख से थोड़ा कम खाएं और अगर धूप में निकल रहे हैं तो टॉवेल को बार-बार गीला कर लें. यह आपको सीधे सूरज की गर्मी झेलने से बचाएगा.
जरा सी लापरवाही ले सकती है आपकी जिंदगी
डॉक्टर शाहिद अख्तर ने बताया कि हीट स्ट्रोक की वजह से अगर आप बीमार पड़ते हैं तो तत्काल मरीज को अस्पताल ले जाएं. बुखार अगर 2 दिन से ज्यादा हो तो भी तत्काल फुल चेकअप कराएं. अगर आपका रूम धूप के सीधे संपर्क में है तो दरवाजों को पर्दे से ढककर रखें. धूप में न निकलें. पानी बार-बार पीते रहें. अपने कमरे का तापमान ठंढा रखें.
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