Home Loan लेने वालों की औसत उम्र अब 40 से घटकर 25 हुई, किन वजहों से आया यह बड़ा बदलाव?

स्मिता मुग्धा | Updated:Apr 22, 2022, 11:45 AM IST

सांकेतिक चित्र

Home Loan: भारत में आम तौर पर माना जाता है कि मिडिल एज और अक्सर 40 की आस-पास के उम्र के लोग घर खरीदते हैं. अब इस ट्रेंड में तेजी से बदलाव आ रहा है.

डीएनए हिंदी: भारत ही नहीं दुनिया भर में 25 की उम्र तक होम लोन लेकर अपना घर खरीदने का चलन तेजी से बढ़ा है. इसके पीछे लोन से जुड़े नियम और बैंकों से मिलने वाली सुविधाओं के साथ बड़े मानसिक बदलाव जैसी वजहें भी हैं. अब ज्यादातर युवाओं की सोच होती है कि कम उम्र में जिम्मेदारियां पूरी कर ली जाएं तारि  40 के बाद सुकून की जिंदगी जी सकें. 

लगातार कम हो रही है होम लोन लेने वालों की औसत उम्र
होम लोन समेत सभी तरह के रिटेल लोन डिस्ट्रीब्यूटर एंड्रोमेडा के को-सीईओ राउल कपूर ने इस नए ट्रेंड पर बारीकी से बात की है. उनका कहना है अब होम लोन लेने की औसत उम्र तेजी से घटी है. उन्होंने एक दशक पहले के ट्रेंड की बात करते हुए कहा कि10 साल पहले की बात करें तो उस समय अपना मकान बनवाने या खरीदने के लिए होम लोन लेने वालों की औसत उम्र 37 से 38 साल हुआ करती थी. पांच साल पहले यह उम्र घट कर 32 से 33 साल हो गई थी. अब यह ट्रेंड बदला है. इस समय होम लोन लेने वालों की औसत उम्र घट कर 22 से 23 साल हो गई है.

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बड़े सामाजिक बदलाव की झलक है 
इसके पीछे मानसिक और सामाजिक बदलाव भी हैं. पहले इस तरह की सोच थी कि शुरुआत में कुछ सेविंग करने और शादी-परिवार जैसी जिम्मेदारियां पूरी करनी है. उसके बाद ही लोग अपने घर के बारे में सोचते थे. अब युवाओं की सोच है कि नौकरी लगते ही वह अपना स्पेस और अलग घर खरीदना चाहते हैं. उनकी सोच है कि घर खरीदने और होम लोन चुकाने जैसी जिम्मेदारी से पहले निपट लें. 

टैक्स बचाने और निवेश के लिहाज से भी अच्छा है
रीयल स्टेट कंपनियों का कहना है कि नए और युवा खरीदारों की संख्या तेजी से बढ़ी है. मार्केट विश्लेषक कहते हैं कि 25 तक की उम्र में होम लोन लेने का मतलब है कि नौकरी शुरू होते ही सबसे पहले मकान की डील करना. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, इस सवाल पर राउल कपूर कहते हैं कि छोटी उम्र में मकान खरीदने के लिए माता-पिता प्रेरित कर रहे हैं. इसके पीछ ठोस वजह निवेश और होम लोन पर मिलने वाला टैक्स छूट है. साथ ही, मिडिल क्लास पैरेंट्स की सोच होती है कि EMI भरन की वजह से फिजूलखर्ची पर लगाम लगती है.

कोविड-19 ने इस सोच को और मजबूती दी सिखाया
एंड्रोमेडा के को-सीईओ का कहना है कि कोविड-19 के बाद से यह ट्रेंड और तेजी से बढ़ रहा है. कोरोना महामारी में जिस तरह से नौकरी गई और लोगों को घरों में रहना पड़ा उसके बाद अपना घर समय रहते बनाने की लोगों को सीख मिली है. इसके अलावा, जिनके पास मकान नहीं था और बड़े शहरों में किराया दे रहे थे वे लौट कर अपने घर चले गए. वर्क फ्रॉम होम में किराए की बचत से एक वर्ग ने मकान की बुकिंग कराई है. अभी न सिर्फ मकानों की मांग बढ़ी है बल्कि होम लोन की भी डिमांड बढ़ी है. साथ ही, अब लोगों की प्राथमिकता ऐसी सोसाइटी में घर हैं जहां पार्क हों और बच्चों के खेलने की जगह, जिम जैसी सुविधाएं हों. 

 

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