डीएनए हिंदी: गुजरात के बोतड़ जिले में मंगलवार को जहरीली शराब (Poisonous Liquor) पीने से 40 लोगों की मौत हो गई. अभी भी लगभग 50 लोग अस्पताल में भर्ती हैं. जहरीली शराब (Hooch), कच्ची शराब और अन्य अवैध शराब से लोगों के मरने और बीमार होने की घटनाएं हर साल सामने आती हैं. जहरीली शराब कांड में हर साल सैकड़ों लोग अलग-अलग तरह की बीमारियों से जूझते हैं और जान भी गंवा देते हैं. लाइसेंस से जुड़े सख्त नियम, गुजरात में शराबबंदी (Liquor Ban) और कानूनी कार्रवाइयों के बावजूद ऐसी घटनाएं लगभग हर राज्य में होती रही हैं.
अब आप सोच रहे होंगे कि शराब तो करोड़ों लोग पीते हैं फिर किसी शराब में इतनी क्या खराबी कि पीने वाले लोग मर ही जाएं. दरअसल, ज्यादा कमाई और लोगों की जागरूकता कम होने का फायदा उठाने की कोशिश में इस तरह के अवैध काम होते हैं. जहरीली शराब का कारोबार ऐसा है कि नकली शराब बनती हर जगह है और धड़ल्ले से बिकती भी है लेकिन वह जहरीली तभी कही जाती है, जब लोगों की जान चली जाए. आइए जानते हैं कि इस नकली या जहरीली शराब का पूरा खेल है क्या.
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बीते कुछ सालों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों के हजारों लोग जहरीली शराब की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. कई जगहों पर सस्ती कीमत के चक्कर में तो कई जगहों पर सिर्फ़ वही शराब उपलब्ध होने के चक्कर में लोगों की जान गई है. गुजरात और बिहार जैसे राज्यों में तो पूर्ण रूप से शराबबंदी लागू है, ऐसे में वहां अवैध शराब का कारोबार और तेजी से फल-फूल रहा है.
कैसे बनती है जहरीली शराब?
शराब का बेस होता है एल्कोहल. यह एक तरह का केमिकल है जिसे पीने से आपके शरीर को आराम जैसा महसूस होता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि शराब बनाने का जो मानक पैमाना है, उसके तहत शराब को खास तापमान में डिस्टिल किया जाता है. इससे शराब में सिर्फ एथाइल एल्कोहल मिलाई जा सकती है, जो जानलेवा नहीं होती. कच्ची या नकली या जहरीली शराब का कोई मानक तापमान नहीं होता और न ही इसे बनाते वक्त किसी भी नियम का पालन किया जाता है. इसी वजह से इसमें नुकसानदायक मिथाइल और प्रोपाइल एल्कोहल जैसी चीजें मिला दी जाती हैं. मिथाइल एल्कोहल सीधे दिमाग और आंखों को नुकसान पहुंचाता है, मात्रा ज्यादा होने पर इंसान की मौत भी हो जाती है.
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दरअसल, मिथाइल एल्कोहल जब इंसान के लिवर के अंदर जाता है, तो वहां वह फार्मेल्डिहाइड बना देता है जो कि एक तरह का जहर होता है. ऐसे में कई बार नकली शराब पीने के बाद इंसान का बचना मुश्किल हो जाता है. मिथाइल एल्कोहाल का इस्तेमाल ज्यादातर पेंट और प्लाइवुड इंडस्ट्री में होता है. यही वजह है कि इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास जहरीली शराब की घटनाएं अक्सर सामने आती हैं. मुख्य तौर पर हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी यूपी में पेंट की कंपनियां हैं. यहीं से मिथाइल एल्कोहल नॉर्थ ईस्ट के लिए भी जाता है. इसी मिथाइल एल्कोहल को सस्ती शराब बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है. कम जागरूक और अनपढ़ लोग इसके खतरे से अंजान लोग होते हैं और सस्ते के चक्करे में वे इसे पीते हैं और अपनी जान गंवा देते हैं.
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सांप, छिपकली, डीजल और यूरिया से बनाते हैं नकली शराब
कई जगहों पर सस्ती शराब बनाने के लिए यूरिया, आयोडेक्स, सांप, छिपकली, डीजल, मोबिल, गुड़ या शीरा और इस तरह की कई और चीजें मिलाकर जहरीली शराब बनाई जाती है. अक्सर पुलिस या आबकारी विभाग के लोग नदी या तालाब के किनारे शराब की भट्टियों को पकड़ते भी हैं. शराब की भट्टियां तोड़ दी जाती हैं और लोगों की गिरफ्तारी भी होती है लेकिन कुछ दिन बाद शराब के तस्कर नया ठिकाना और नई जगह तलाश लेते हैं और एक जगह बंद हुआ यह कारोबार किसी दूसरी जगह से शुरू हो जाता है.
ऐसे मामलों में जागरूकता बेहद जंरूरी है. वैसे तो शराब पीना ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है लेकिन अगर कोई शराब पीता ही हो तो उसके लिए भी सरकार की ओर से चेतावनी जारी की जाती है कि अधिकृत दुकानों से ही शराब खरीदें.
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