आम सरसों से कैसे अलग है GM मस्टर्ड? शहद उत्पादन में नुकसान का खतरा

रईश खान | Updated:Nov 06, 2022, 03:21 PM IST

मधुमक्खी पालन

GM Mustard: सीएआई ने कहा कि जीएम सरसों मधुमक्खियों के लिए बेहद घातक है, जिससे शहद उत्पादन (Honey Production) में भारी नुकसान का खतरा है.

डीएनए हिंदी: जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों (GM Mustard) को लेकर अब मधुमक्खी पालन उद्योग के महासंघ कंफेडरेशन ऑफ एपीकल्चर इंडस्ट्री (CAI) ने सवाल उठाए हैं. सीएआई ने कहा कि जीएम सरसों मधुमक्खियों के लिए बेहद घातक है, जिससे शहद उत्पादन (Honey Production) में भारी नुकसान का खतरा है. महासंघ ने इस पर रोक लगाने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी से से दखल देने की मांग की है. मधुमक्खी-पालन उद्योग संगठन सीएआई के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से जीएम सरसों की फसलों को अनुमति न देने का आग्रह किया है. जिससे सरसों खेती से जुड़े लगभग 20 लाख किसानों और मधुमक्खीपालक किसानों की रोजी-रोटी छिनने से बच सके.

देवव्रत शर्मा ने कहा, 'GM सरसों की खेती होने पर मधुमक्खियों के क्रॉस पॉलिनेशन (Cross Pollination) से फूड ग्रेन प्रोडक्शन बढ़ाने और खाद्य तेलों की आत्मनिर्भरता का प्रयास प्रभावित होने के साथ-साथ मधु क्रांति का लक्ष्य और विदेशों में भारत के गैर-जीएम शहद की भारी निर्यात मांग को भी धक्का लगेगा.’ उन्होंने कहा कि हमारे यहां पहले सूरजमुखी की अच्छी पैदावार होती थी और थोड़ी-बहुत मात्रा में ही इसका आयात करना पड़ता था. लेकिन सूरजमुखी बीज के संकर किस्म के आने के बाद आज सूरजमुखी की देश में पैदावार खत्म होती जा रही है. अब सूरजमुखी तेल की जरूरत सिर्फ आयात के जरिए ही पूरी हो पाती है.

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मधुमक्खी पालन से जुड़े 20 लाख किसान
उन्होंने कहा कि यही हाल सरसों का भी होने का खतरा दिखने लगा है. मधुमक्खी पालन (Bee keeping) के काम में उत्तर भारत में लगभग 20 लाख किसान जुड़े हुए हैं. इसके अलावा उत्तर भारत के लगभग 3 करोड़ परिवार सरसों खेती की खेती करते हैं. देश के कुल सरसों उत्पादन में अकेले राजस्थान का ही योगदान लगभग 50 प्रतिशत है. उन्होंने कहा कि जीएम सरसों का सबसे बड़ा नुकसान खुद सरसों को ही होगा.

फिलहाल किसान खेती के बाद अगले साल के लिए बीज बचा लेते हैं लेकिन जीएम सरसों के बाद ऐसा करना संभव नहीं रहेगा. किसानों को हर बार नए बीज खरीदने होंगे जिससे उनकी लागत बढ़ेगी. मधुमक्खियों के Cross Pollination के गुण और खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने में मधुमक्खियों की भूमिका के बारे में देवव्रत शर्मा कहा, ‘जीएम सरसों को कीट रोधक बताया जा रहा है तो मधुमक्खियां भी तो एक कीट ही हैं. जब मधुमक्खियां जीएम सरसों के खेतों में नहीं जा पायेंगी तो फिर वे पुष्प रस (Nectar) और परागकण (पोलन) कहां से लेंगी? इससे तो हमारी मधुमक्खियां ही खत्म हो जायेंगी.’ 

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20 करोड़ ‘मधुमक्खियों की कॉलोनी’ बनाने की जरुरत
देवव्रत शर्मा के मुताबिक, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंतर्गत गठित मधुमक्खी विकास समिति (बीडीसी) ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में लगभग 20 करोड़ ‘मधुमक्खियों की कॉलोनी’ बनाने की जरुरत बताई है जो फिलहाल सिर्फ 34 लाख है.

GM सरसों को लेकर अभी कोई रिसर्च नहीं हुआ है कि इसे कब लगाना है, कैसे लगाना है. ऐसे में अगर क्रॉप फेल्योर होगा तो इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा. अभी जितनी वैरायटी उपलब्ध है, उसी के बारे में अगर किसानों को सही जानकारी दे दी जाए तो इसकी पैदावार में इजाफा हो सकता है.

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