Reebok की कैसे हुई शुरुआत, कैसे मार्केट से हो गई खत्म?

नेहा दुबे | Updated:Dec 09, 2022, 06:11 PM IST

Reebok Story

Reebok: दुनिया की बेहतरीन स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स के लिए पहचानी जानी वाली कंपनी रिबॉक के साथ ऐसा क्या हुआ कि कुछ ही सालों में कंपनी तबाह हो गई.

डीएनए हिंदी: Reebok एक ऐसा नाम जो कभी अपने स्पोर्ट्स प्रोडक्ट्स के लिए काफी ज्यादा पॉपुलर रहा, लेकिन Nike जैसे ब्रांड की सेल्स को भी मात देने वाले इस ब्रांड के साथ अचानक ऐसा क्या हुआ कि आज मार्केट में मुश्किल से इसके प्रोडक्ट्स दिखते हैं. खैर ये मामला जितना आसान दिख रहा है, उतना है नहीं. इसके पीछे कुछ कारण हैं. आइए जानते हैं कि रिबॉक की शुरुआत कैसे हुई थी, इसके सामने क्या-क्या समस्याएं आईं थीं और क्या वजह है कि आज रिबॉक मार्केट में गुमनाम है?

Reebok की कैसे शुरुआत हुई?

रिबॉक की शुरुआत बोल्टन शहर में एक फैमिली बिजनेस के रूप में साल 1958 में हुई. इसे दो भाइयों ने साथ मिलकर शुरू किया, जो फोस्टर (Joe Foster) और जेफ फोस्टर (Jeff Foster) और इन दोनों का एक छोटा सा जूतों का फैमिली बिजनेस था, जिसका नाम था JW फोस्टर एंड संस. यह बिजनेस दिखने में जितना छोटा था, उतना ही अपनी क्वालिटी को बेहतर बनाकर रखता था. बता दें कि स्पाइक्स शूज का इन्वेंशन इन्हीं दो भाइयों ने किया था. एक बार ऐसा हुआ कि दो रनर ने ओलंपिक्स में इनके स्पाइक्स शूज पहन लिए थे. कमाल की बात है कि उन दोनों रनर ने ओलंपिक्स में गोल्ड मेडल जीत लिए. इसके बाद क्या था, फिर तो JW फोस्टर एंड संस इंग्लैंड में काफी पॉपुलर होने लगा, लेकिन दोनों भाई सिर्फ इंग्लैंड तक कहां मानने वाले थे. वे इस ब्रांड को ग्लोबल बनाना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने अपने फैमिली बिजनेस के नाम को बदलकर Reebok रख लिए. तो यहां रिबॉक का हुआ जन्म. इस बीच कंपनी ने ऐसे क्या-क्या स्टेप्स उठाए, जिसकी वजह से उन्हे कामयाबी मिल गई. लेकिन इस बीच ऐसी क्या-क्या गलतियां कर डालीं कि अचानक से गुमनामी के अंधेरों में छा गए. 

Reebok कैसे बना ग्लोबल ब्रांड 

रिबॉक को अगर ग्लोबल ब्रांड बनाना था तो उसके लिए सबसे जरूरी था, कंपनी का यूएस के मार्केट पर पकड़ बनाना या यूं कहें कि ब्रांड के प्रोडक्ट्स को यूएस में उतारना. क्योंकि जो चीज यूएस में पॉपुलर हो गई समझो वो दुनिया भर में छा गई. इसके लिए फोस्टर भाई यूएस में डिस्ट्रीब्यूटर खोजने के लिए गए. अब यूएस के डिस्ट्रीब्यूटर्स को फोस्टर भाइयों के बनाए हुए जूते तो पसंद आटे थे लेकिन जैसे ही उन्हें यह पता चलता था कंपनी यूके की है तो वह तुरंत अपने हाथ पीछे खिंच लेते थे. डिस्ट्रीब्यूटर खोजते-खोजते फोस्टर भाइयों को 10 साल बीत गए. अंत में 1979 में जाकर इन भाइयों के ब्रांड को पॉल फायरमैन (Paul Fireman) ने रिबॉक की एक्सक्लूसिव डिस्ट्रीब्यूशन राइट्स खरीद लिए. 

अब यहां से रिबॉक की किस्मत खुलने लगी. इस दौरान ब्रांड ने तीन नए स्पोर्ट्स शूज लॉन्च किए जो कि बहुत ज्यादा पॉपुलर हो गए. लेकिन 1983 में Reebok के सेल्स में 12.8 मिलियन डॉलर का जम्प देखने को मिला. दरअसल कंपनी ने महिलाओं के ट्रेंड का फायदा उठाया. उस समय ‘The Women Aerobic Trend’ चला था. अब एरोबिक्स करने के लिए शूज की जरुरत पड़ती है लेकिन उस वक्त Nike, Adidas, Puma जैसी दिग्गज कंपनियों ने अपने प्रोडक्ट्स पोरी तरह पुरुष केन्द्रित रखे थे. ऐसे में इस मौके का फायदा उठाते हुए Reebok ने महिला केन्द्रित ‘The Freestyle’ शूज को लॉन्च कर दिया. इसे साथ ही काफी आकर्षित भी बनाया गया जिससे यह रातों-रात तेजी के साथ बिकने लगा और इसी ने Reebok को फर्स्ट कमर्शियल हिट बना दिया. Reebok ने सस्ते,टिकाऊ और आकर्षित जूते मार्केट में उतारने लगे जिससे यह तेजी के साथ मार्केट में अपनी पकड़ और मजबूत करता चला गया.

इस ब्रांड ने कुछ समय बाद टेनिस में भी अपनी पकड़ बनाने की तैयारी करनी शुरू कर दिया. कुछ ही समय में टेनिस प्लेयर Boris Becker और John McEnroe सहित बहुत से चैंपियन अब खेल के समय अक्सर Reebok के जूते ही पहने हुए दिखाई देने लगे. अब ऐसा करने से यह सेलिब्रिटीज सर्किल में तेजी के साथ पॉपुलर होने लगा. इसके बाद ऐसा दौर आ गया कि 1980 तक Reebok ने Nike को पीछे करके खुद को यूएस के नंबर 1 शू ब्रांड के तौर पर स्थापित कर लिया.

अब जानते हैं कि जब Reebok ने इतनी सफलता हासिल कर ली तो फिर आज की तारीख में ये गुमनाम बनकर क्यों बैठा है?

Reebok की सफलता के पीछे जहां उसके ट्रेंड के मुताबिक प्रोडक्ट्स बनाना था. वहीं इन्हीं ट्रेंड्स ने रिबॉक को दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया. दरअसल यूएस में एरोबिक्स के ट्रेंड धीरे-धीरे कम होते चले गए और रिबॉक जो कि पहले नंबर पर था वह दूसरे नंबर पर पहुंच गया. ऐसे में Nike ने इस मौके का फायदा उठाया और Reebok से बेहतर प्रोडक्ट्स मार्केट में उतारने लगा. साल 2000 तक रिबॉक मार्केट में ठीक-ठाक काम कर रहा था. इस दौरान कंपनी ने अपने ब्रांड को ग्रोथ देने के लिए Jay Z और 50 Cent जैसे दिग्गज गायकों के साथ कोलैबोरेशन करके अपने कुछ जूते लॉन्च किए. लेकिन यहां पर ब्रांड को भारी नुकसान हुआ. इसमें सबसे बड़ी गलती यह थी कंपनी ने इन प्रोडक्ट्स के फेल होने पर भी इसे नहीं रोका और इसका प्रोडक्शन मार्केट में होता रहा.

जब कंपनी को इन जूतों से रेवेन्यू जेनरेट नहीं हुआ तो कंपनी ने इन्हें सेल पर डाल दिया. जिसकी वजह से कंपनी की इमेज मार्केट में काफी खराब हो गई. अब ऐसे में मार्केट में लोग कंपनी को लेकर यह काफी कंफ्यूज होने लगे कि आखिर कंपनी किस सेगमेंट के लिए बेहतर प्रोडक्ट्स बनाती है. धीरे-धीरे कंपनी का सेल घटता चला गया. वहीं Nike इस दौरान बड़ी कंपनी बनती चली गई. बता दें 2004 में Adidas का ग्लोबल शेयर मार्केट था 15.4%, Reebok का 9.6% और Nike का 33.2% ग्लोबल शेयर मार्केट था. ऐसे में Nike को पीछे करने का एक ही तरीका था कि Reebok और Adidas एक दूसरे के साथ मिल जाएं और Nike को ओवरटेक कर सकें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 

साल 2021 में Adidas ने Reebok को ABG Group को महज 2.5 बिलियन डॉलर में बेच दिया, जबकि उसने 3.8 बिलियन डॉलर में रिबॉक को खरीदा  था. अब देखने वाली बात यह है कि क्या Reebok खुद को दुबारा मार्केट में स्थापित कर पाता है.

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