डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश के इंदौर का बालेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर श्रद्धालुओं के लिए कब्रिस्तान में तब्दील हो गया. गुरुवार को मंदिर के बावड़ी की छत टूटी और 40 से ज्यादा श्रद्धालु पानी में जा गिरे. पूरा प्रदेश राम जन्मोत्सव के जश्न में डूबा था तभी दोपहर को यह मनहूस खबर सामने आई. हादसे में 35 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं. मृतकों के शव बरामद हो गए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है.
बावड़ी को ढकने के लिए लोहे की छड़ों के मदद से कंकरीट की पटिया बिछाकर कुएं की छत तैयार की गई थी. बावड़ी टूटी और लोग कुएं में जा गिरे. कुएं के भीतर दलदल जैसी स्थिति है, इस वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन करने आई टीम के भी पसीने छूट रहे हैं. छोटे से मंदिर में हुई अनियंत्रित भीड़ ने पूरे देश को मातम के माहौल में धकेल दिया. आइए जानते हैं हादसे के बारे में सबकुछ.
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1. कैसे टूटी बालेश्वर महादेव मंदिर के बावड़ी की छत?
स्थानीय लोगों के मुताबिक मंदिर ही बावड़ी पर बना था. पुरानी बावड़ी के ऊपर पटिया रखकर मंदिर तैयार हुआ था. हादसे के वक्त मंदिर में हवन चल रहा था. 100 से ज्यादा लोग जुट गए थे. कुछ लोग बावड़ी की छत पर खड़े हो गए. बावड़ी की छत पहले से जर्जर हालत में थी. लोगों का भार से छत ही टूट गई और छत धंसने की वजह से 30 से ज्यादा लोग कुएं में जा गिरे.
2. क्यों बेहद कमजोर हो गई थी बावड़ी की छत?
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर अवैध तरीके से बना था. मंदिर के आसपास भी गड्ढे खोदे गए थे जिससे मंदिर की नींव कमजोर हो गई थी. लोगों के भार की वजह से छत डैमेज हुई और लोग कुएं में जा गिरे.
3. अगर न जमा होती भीड़ तो टल सकता था हादसा
बावड़ी की छत इतनी कमजोर थी कि लोगों का भार नहीं सह सकी. स्थानीय लोग जानते थे कि यह मंदिर 60 साल से ज्यादा पुराना है और बावड़ी उससे भी ज्यादा पुरानी है. सब जानने के बाद भी न तो स्थानीय प्रशासन ने मंदिर पर ध्यान दिया, न ही लोगों ने. लोग जमा होते गए और इतना बड़ा हादसा हो गया.
4. क्यों रेस्क्यू ऑपरेशन में आ रही हैं दिक्कतें?
मंदिर बेहद संकरी जगह में बना है. आसपास की जमीन भी बेहद कमजोर है. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए आई मशीनें सही ढंग से काम नहीं कर पा रही हैं. मंदिर की एक दीवार तोड़ कर पाइप इसके भीतर डाला गया, तब जाकर बावड़ी के भीतर का पानी बाहर निकला. दलदल वाली जमीन में लोगों को ढूंढना भारी पड़ रहा है.
5. रेस्क्यू टीम के आने के बाद भी क्यों नहीं बचाई जा सकी लोगों की जान?
रेस्क्यू टीम रस्सियों और सीढ़ी के जरिए श्रद्धालुओं को बाहर निकाल रही है. कुएं में उतरने की जगह बेहद कम है. आसपास की दीवारों इतनी कमजोर हैं कि पानी में गिर सकती हैं. रेस्क्यू टीम ठीक ढंग से बचाव अभियान भी शुरुआत में नहीं चला पाई. एक-एक करके लोगों को निकाला जा रहा था. यही वजह है कि लोगों को नहीं बचाया जा सका.
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क्या कर रही है केंद्र और राज्य सरकार?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने प्रशासन से पूछा है कि कुएं के ऊपर मंदिर बनाने की अनुमति कैसे दी गई. मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर अपनी संवेदना जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट किया, 'इंदौर में हुए हादसे से बेहद दुखी हूं. सीएम शिवराज चौहान जी से बात की और स्थिति की जानकारी ली. राज्य सरकार बचाव और राहत कार्य में तेजी से आगे बढ़ रही है. सभी प्रभावितों और उनके परिवारों के साथ मेरी प्रार्थना है.'
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