भारतीय नौसेना को मिला INS Mormugao, क्या है इसकी खासियत और क्यों रखा गया ये नाम?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Dec 19, 2022, 12:35 PM IST

INS Mormugao

INS Mormugao का 75 प्रतिशत हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है. इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत भारत में ही निर्मित किया गया है.

डीएनए हिंदी: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 18 दिसंबर को स्वदेश निर्मित P15B स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ (INS Mormugao) को भारतीय नौसेना को समर्पित कर दिया. इस स्वदेशी गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर के शामिल होने से भारत की समुद्री युद्ध शक्ति और अधिक बढ़ जाएगी. भारतीय नौसेना के अनुसार, यह युद्धपोत रिमोट सेंसिंग डिवाइस, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है.

Mormugao ही क्यों रखा गया नाम?
नौसेना ने बताया कि इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7,400 टन है. इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में पोत का जलावतरण करेंगे. मोरमुगाओ गोवा के पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक शहर का नाम है. उसी ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर इस मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत का नाम रखा गया है. संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे.

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बता दें कि चार विशाखापत्तनम श्रेणी के विध्वंसकों में से दूसरे विध्वंसक को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जायेगा. इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है और निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है. इस स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर के 75 प्रतिशत उपकरण और हथियार भारत में बनाए गए हैं. जहाज को चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों से ऊर्जा प्राप्त होगी. जो इसे 48 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार देगी.

समुद्री क्षेत्र में दखलंदाजी को मिलेगा करारा जवाब
नौसेना ने कहा कि पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है. इस युद्धपोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है. 15वीं श्रेणी के दूसरा स्वदेशी स्टील्थ विध्वंसक मोरमुगाओ जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है. भारत समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी को देखते हुए हिंद महासागर पर ध्यान केंद्रित करने के साथ अपनी समुद्री क्षमता को बढ़ा रहा है.

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55 युद्धपोतों का होगा निर्माण
नौसेना ने कहा कि आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है और इस तरह आत्मनिर्भर भारत के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा 55 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं. इनका निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जायेगा.

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