Israel Hamas War: क्या होता है वॉर क्राइम, इजरायल और हमास पर लागू होंगे कौन से कानून?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 13, 2023, 11:30 AM IST

खुलेआम युद्ध अपराध कर रहा है हमास.

हमास ने शनिवार को अचानक इजरायल पर 5,000 रॉकेट दाग दिए. जवाब में इजरायल ने गजा पट्टी को हमास के आतंकियों का कब्रगाह बना दिया. अब इस युद्ध में युद्ध अपराधों पर नई बहस छिड़ी है.

डीएनए हिंदी: इजरायल और फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के बीच भीषण जंग छिड़ी है. पहले हमास ने इजरायल पर 5,000 रॉकेट दागे, जवाब में इजरायल ने गजा पट्टी को तबाह कर दिया. इजरायल में 1,300 नागरिक मारे गए हैं, वहीं गजा पट्टी में भी भीषण तबाही मची है. हमास और इजरायल के बीच छिड़ी जंग में युद्ध अपराधों को लेकर नए सवाल खड़े हो रहे हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही युद्ध अपराधों में न्याय को लेकर सवाल खड़े होते हैं. दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन, युद्ध के दौरान भड़की हिंसाओं को लेकर सवाल खड़े करते हैं.

साल 1949 में हुए जिनेवा कन्वेंशन में पहली बार युद्ध की स्थिति में होने वाले युद्ध अपराधों पर मंथन हुआ. कुछ नियमावलियां बनीं, जिन्हें हर देश मानते हैं. अंतरराष्ट्रीय वॉर क्राइम ट्रिब्युनल का गठन हुआ जिनके फैसलों को हर देश मानता है. जिनेवा कन्वेंशन में कई ऐसे मुद्दों पर देश सहमत हुए थे, जिनमें सशस्त्र संघर्ष के कानून और मानवतावादी कानूनों को लेकर नीतियां बनी थीं. युद्ध के दौरान आम नागरिकों के लिए सेना के व्यवहार, युद्धबंदियों के साथ होने वाले व्यवहार को लेकर दिशा-निर्देश तय किए गए थे. ये कानून देशों और हमास आतंकवादियों सहित सभी संगठित सशस्त्र समूहों पर लागू होते हैं.

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किस कानून के तहत उठ सकता है युद्ध अपराध का मुद्दा?
हमास के आतंकियों ने इजरायल में वहशीपन की सारी हदें पार की हैं. बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं के साथ उन्होंने हैवानियत की है. इजरायल ने महिलाओं से रेप और बर्बरता के आरोप भी लगाए हैं. अगर इजरायल में फिलिस्तीन में रहने वाले हमास के आतंकियों के अत्याचार को लेकर वॉर क्राइम के आरोप तय नहीं होते हैं तो हेग में इंटरनेशनल क्राइम कोर्ट (ICC) आरोप लगाने में सक्षम है. घरेलू अदालतें युद्ध अपराध के मामलों में सिर्फ अफने क्षेत्राधिकार में फैसले ले सकती हैं लेकिन इसका दायरा केवल क्षेत्र विशेष में होता है. ICC के आरोप से वैश्विक स्तर पर कुछ फर्क पड़ सकता है.

ICC तब ऐसे आरोपों को तय करती है जब नागिरकों के खिलाफ युद्ध अपराध हो रहे हों और पीड़ित देश, ऐसे किसी कानून को लागू कराने में असक्षम हो. आईसीसी के अभियोजक के कार्यालय ने यह कहा है कि अगर ऐसे अपराध हो रहे हैं तो वैश्विक नियमों के तहत कोर्ट, ऐसी जानकारियां पीड़ित देश से मांग सकता है और उनसे जुड़े दस्तावेज तैयार कर सकता है. 

ICC की जरूरत क्या है?
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) विश्व का स्थायी युद्ध आपराध न्यायाधिकरण है. यह साल 2002 में खोला गया था. इसके 123 सदस्य देश हैं. सदस्य देशों में नागरिकों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों, सैनिकों द्वारा किए गए युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ होने वाले अपराधों और नरसंहार जैसे मामलों को देखा जाता है. चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, भारत और मिस्र सहित दुनिया की कई प्रमुख शक्तियां सदस्य नहीं हैं. आईसीसी फिलिस्तीन को एक सदस्य राज्य के रूप में मान्यता देता है, जबकि इजरायल अदालत के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार करता है और औपचारिक रूप से इसके साथ शामिल नहीं है.

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सीमित बजट और कर्मचारियों के साथ, आईसीसी अभियोजक पहले से ही यूक्रेन और अफगानिस्तान से लेकर सूडान और म्यांमार तक 17 मामलों की जांच कर रहे हैं. आईसीसी बजट ने 2023 के लिए फिलिस्तीनी क्षेत्रों में जांच के लिए एक मिलियन यूरो ($1.06 मिलियन) से कम आवंटित किया है और अतिरिक्त संसाधनों की मांग कर रहा है. आईसीसी ने 2021 से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में किए गए युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोपों की जांच जारी रखी है.

ICC नहीं जारी कर पाई है गिरफ्तारी वारंट
संप्रभु देशों में कोई गिरफ्तारी वारंट तक जारी नहीं कर सकता है. अभियोजकों ने कहा है कि 2021 में यह मानने का उचित आधार था कि इजरायली सैनिकों, हमास आतंकवादियों और अन्य सशस्त्र फिलिस्तीनी समूहों सहित सभी पक्षों ने वैश्विक नियम तोड़े थे.

वार क्राइम किसे कहते हैं?
न्यूयॉर्क स्थित ह्यूमन राइट्स वॉच ने संभावित युद्ध अपराधों के रूप में नागरिकों को जानबूझकर निशाना बनाना, अंधाधुंध रॉकेट हमले और फिलिस्तीनी सशस्त्र समूहों द्वारा नागरिकों को बंधक बनाना, साथ ही गाजा में इजरायली जवाबी हमलों का हवाला दिया, जिसमें सैकड़ों फिलिस्तीनी मारे गए. इजरायल और फिलिस्तीन के निदेशक उमर शाकिर ने कहा, 'नागरिकों की जानबूझकर हत्याएं, बंधक बनाना और सामूहिक सजा देना जघन्य अपराध हैं जिनका कोई औचित्य नहीं है.' जिनेवा कन्वेंशन के तहत बंधक बनाना, हत्या और यातना प्रतिबंधित है. इजरायल की प्रतिक्रिया पर भी सवाल खड़े किए जा सकते हैं. गजा पट्टी में सिर्फ हमास के आतंकी ही नहीं रहते हैं बल्कि वहां के आम नागरिक भी रहते हैं. 

इज़राइली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने गजा पट्टी में रह रहे लोगों तक भोजन और ईंधन को पहुंचने से रोकने के लिए कड़ी नाकाबंदी का ऐलान किया है. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों और मानवाधिकार समूहों की आलोचना की है. इजरायल ने हमास को मिटा देने के लिए कसम भी खाई है. अब गजा पट्टी पर जमीनी आक्रमण की तैयारियां चल रही हैं.

क्या जिनेवा कन्वेंशन हमास-इजरायल युद्ध पर लागू होगा?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मंगलवार को कहा कि इजरायल को जवाब देने का अधिकार है. घेराबंदी को युद्ध अपराध माना जा सकता है, अगर नाकरिकों को निशाना बनाया जाता है तो भी यह युद्ध अपराध है. हमास को खत्म करने के लिए नागरिकों की हत्या जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन है. किसी भी स्थिति में नागिरकों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. आईसीसी में ब्रिटिश मूल के इजरायल के वकील निक कॉफमैन ने कहा है कि गजा सीमा के पास बुत्ज समुदाय और आम नागरिकों की हमास के आतंकवादियों ने हत्या की है. ऐसे में दोनों पक्षों पर युद्ध अपराध बनता है.

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