इजराइल ने बनाया इमरेंजी वॉर कैबिनेट, क्यों पड़ती है इसकी जरूरत, क्या अब होगा हमास का खात्मा?

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Oct 12, 2023, 08:53 AM IST

हमास का खात्मा कर रही है इजराइली सेना.

इमरजेंसी वॉर कैबिनेट, युद्ध की स्थिति में बनाई जाती है. द्वितिय विश्व युद्ध के दौरान कई देशों ने इस नीति पर काम किया था. चर्चिल ने भी अपनी एक इमरजेंसी वॉर कैबिनेट बनाई थी.

डीएनए हिंदी: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और विपक्षी दल के प्रमुख नेता बेनी गैंट्स एक इमरजेंसी कैबिनेट बनाने पर तैयार हो गए हैं. इजराइल में सारे विपक्षी दल, हमास से खिलाफ चल रही जंग में एक साथ आ गए हैं. अब इजराइल में इमरजेंसी वॉर कैबिनेट बनी है. इसे आसान शब्दों में कहें तो यह आपातकालीन सरकार है, जिसका मकसद, हमास के खिलाफ मिलकर रणनीति तैयार करना है. बेनी गैंट्ज़ की नेशनल यूनिटी पार्टी ने सत्तारूढ़ सरकार के साथ एक संयुक्त बयान में यह दावा किया है. विपक्षी दल ने कहा है कि आज हुई एक बैठक के बाद, दोनों दल एक आपातकालीन सरकार और युद्ध कैबिनेट की स्थापना पर सहमत हुए हैं.

बेनी गैंट्स ने सोशल मीडिया पर लिखा है, 'हमारे लिए इजराइल किसी भी चीज से पहले है.' नेशनल सिक्योरिटी मिनिस्टर इटमार बेन-गविर ने लिखा कि हम यूनिटी का स्वागत करते हैं, अब हमें जीतना चाहिए.' हमास के खिलाफ जंग में पूरा इजराइल एक साथ खड़ा है. हमास के आतंकियों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं.  

हमास ने इजराइल के खिलाफ सबसे बड़ी जंग छेड़ दी है. हमास के आतंकी ऑपरेशन अल अक्सा शुरू कर चुके है. साल 1948 के बाद यह पहली बार है, जब इजराइल पर इतना बड़ा हमला हुआ हो. एक साथ 5,000 रॉकेट, आतंकी घुसपैठ और भीषण तबाही. इजराइल ने कभी सोचा नहीं था कि हमास के लड़ाके इतने हिम्मती होंगे कि वे बेहद ताकतवर मुल्क को छलनी कर देंगे. हमास के आतंकी मोटर ग्लाइडर पर सवार होकर गजा पट्टी के रास्ते इजराइल में दाखिल हुए हैं. 1,500 से ज्यादा आतंकवादियों ने एकजुट होकर हमला बोला था. वे जमीन, आसमान और समुद्री रास्ते से इजराइल को तबाह करने की फिराक में थे. उन्होंने इजराइल को तबाह कर भी दिया.

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क्या है इजराइल की वॉर कैबिनेट?
वॉर कैबिनेट की जरूरत, किसी बड़े हमले के वक्त ही मिलती है. यह मूल रूप से एक समिति होती है, जिसका गठन रकार करती है. ऐसी कैबिनेट का मकसद, किसी युद्ध को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से संचालित करना होता है. वॉर कैबिनेट में देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल होते हैं. वॉर कैबिनेट में मंत्रियों और विपक्ष के अनुभवी नेताओं का समूह भी होता है, जिससे युद्ध नीति में जरा भी खामी न रह जाए.

इज़राइल की तीन सदस्यीय वॉर कैबिनेट में बेंजामिन नेतन्याहू, बेनी गैंट्ज़ और रक्षा मंत्री योव गैलेंट शामिल हैं. वॉर कैबिनेट में गादी ईसेनकोट भी होंगे. वे बेनी गैंट्ज़ की पार्टी से पूर्व सेना प्रमुख भी रह चुके हैं. रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर, इस कैबिनेट के पर्यवेक्षक होंगे. विपक्षी नेता येयर लैपिड के लिए युद्ध कैबिनेट में एक सीट आरक्षित होगी, लेकिन वह अपने पूर्व सहयोगी बेनी गैंट्ज़ के साथ शामिल नहीं हुए हैं.

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क्यों हमास के लिए खतरे की घंटी है वॉर कैबिनेट?
वॉर कैबिनेट के ऐलान के बाज न्याय मंत्री यारिव लेविन ने कहा कि समझौता सही और जरूरी चीज है. यहां अब हम एकक साथ काम करेंगे. फाइनेंस मिनिस्ट नीर बरकत ने कहा है, 'इजराइल राज्य में एकता की सरकार है. ऐसे वक्त में, हमें एकजुट होना चाहिए. आईडीएफ सैनिकों को समर्थन देना चाहिए और एक होकर काम करना चाहिए. यह तब तक होना चाहिए जब तक इजराइल राज्य, अपने दुश्मन को पूरी तरह से जीत नहीं जाता है.' हमास के लिए यह खतरे की घंटी से कम नहीं है. इजराइल पहले ही गजा पट्टी को कब्रिस्तान में तब्दील कर रहा था. अब विपक्षी दलों का भी समर्थन सरकार के पास है. सरकार के पास अब विपक्ष का समर्थन भी है. इजराइल की इमरजेंसी सरकार अब मिलकर हमास के खिलाफ रणनीति बना रही है. ऐसे में हमास की तबाही तय है.

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क्या राजनीतिक पार्टियों पर कोई होगा असर?
वॉर कैबिनेट के दौरान, इजराइल में कोई भी पार्टी राजनीति नहीं करेगी. भले ही राजनीतिक दलों में कितनी भी दुश्मनी क्यों न हो. आपातकालीन स्थिति में इजराइल के राजनीतिक दल, अपने हितों को अलग रखकर एकजुट होकर लड़ेंगे. बेनी गैंट्ज़ की नेशनल यूनिटी पार्टी के पांच सदस्य बिना पोर्टफोलियो के मंत्री बनेंगे. नए संकल्प के मुताबिक युद्ध के दौरान वरिष्ठ पदों के लिए नियुक्तियां और बढ़ा दी जाएंगी. इजराइली केंद्रीय बैंक के गवर्नर अमीर यारोन को साल के अंत में अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करना होगा.

वॉर कैबिनेट का क्या होगा काम?
इजराइल की इमरजेंसी सरकार, सैन्य कार्रवाई के लिए व्यापक सहमति देने के लिए तैयार है. हमास के आतंकी राज्य में तबाही मचाकर गए हैं, अब उन पर गाज गिरने की बारी है. कैबिनेट में दो मजबूत लोग शामिल हैं जो सैन्य रणनीतियों के मामले में विशेषज्ञ हैं. गैंट्ज़ और ईसेनकोट पूर्व इजरायली सैन्य प्रमुख हैं. दोनों इस बात को लेकर सहमत हो गए हैं कि नेसेट में कोई भी कानून या सरकारी संकल्प युद्ध के दौरान आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. युद्ध प्रबंधन को लेकर सभी को सहमति भी अनिवार्य है.

असहमति के मुद्दों पर भी सहमत हो रहा है विपक्ष
इज़राइल सरकार न्यायिक सुधार पर भी रोक लगाने को लेकर सहमत है. साल की शुरुआत के बाद से ही बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया था. यह इजराइल का अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन था. सरकार की सुधार योजनाओं का लोग विरोध कर रहे थे. अब सारे सुधार रोके गए हैं. जुलाई में, इजराइल की संसद ने देश की न्यायपालिका प्रणाली में सुधार के लिए पहला भाग पारित किया था. युद्ध ने सरकार की सभी योजनाओं पर पानी फेर दिया है. अब पक्ष और विपक्ष सिर्फ हमास से निपटने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए उतर गए हैं.

क्यों पड़ती है कैबिनेट वॉर की जरूरत?
युद्ध मंत्रिमंडलों और युद्ध कक्षों की अवधारणा पुरानी है. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान वॉर रूम और वॉर कैबिनेट दोनों की हर देश को जरूरत पड़ रही थी. चर्चिल ने भी एक वॉर कैबिनेट बनाया था. कई ऐतिहासिक किताबों में इस बात का जिक्र है कि युद्ध मंत्रिमंडल की बैठक तहखाने में होती थी. युद्ध से पहले एक मैप रूम तैयार किया जाता था, जिसका मुख्य काम सैन्य सूचना केंद्र की तरह होता था. यहीं प्रधानमंत्री चर्चित, किंग जार्ज पंचम और सेना के अधिकारी, आंकड़ों का विश्लेषण करते थे. कैबिनेट वॉर रूम से दुश्मन के खिलाफ रणनीति बनती थी.

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