चंद्रमा के करीब पहुंचा चंद्रयान-3, अलग होंगे लैंडर-प्रोपल्शन मॉड्यूल, जानिए कैसे

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 17, 2023, 06:47 AM IST

ISRO के चंद्रयान 3 पर टिकी हैं देशभर की नजरें.

ISRO समेत देशभर की धड़कनें बढ़ गई हैं. चंद्रयान-3 अपना लैंडिंग प्रॉसेस शुरू करने वाला है. चंद्रयान-3 से प्रोपल्शन मॉड्यूल अब अलग होगा और विक्रम लैंडर चांद की सतह पर आगे बढ़ेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद की कक्षा में घूमता रहेगा.

डीएनए हिंदी: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 पर दुनियाभर की नजरें टिकी हैं. अब चंद्रमा से चंद्रयान-3 की दुरी कुछ किलोमीटर ही रह गई है. गुरुवार को चंद्रयान-3 दो अलग-अलग हिस्सों में बंट जाएगा. चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल जहां चांद की कक्षा (Orbit) में चक्कर लगाएगा, वहीं विक्रम लैंडर, चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.

इसरो ने बुधवार सुबह चंद्रयान-3 को चंद्रमा के अंतिम ऑर्बिट में इजेक्ट कर दिया था. अब धीरे-धीरे चंद्रयान-3 और चंद्रमा नजदीक आ रहे हैं. अब चंद्रयान-3 चांद की सर्कुलर ऑर्बिट यानी 153 किलोमीटर X 163 किलोमीटर में है. चंद्रयान-3 तय योजना के मुताबिक चंद्रमा की अलग कक्षाओं में घूमते हुए लैंड करने की कोशिश करेगा. ये सॉफ्ट लैंडिंग, 23 अगस्त को होगी.

चांद के इस ऑर्बिट में पहुंचा चंद्रयान-3
चंद्रमा की सतह और चंद्रयान-3 की दूरी करीब 163 किलोमीटर ही रह गई है. चंद्रयान-3 को लूनर ऑर्बिट में 5 अलग-अलग कक्षाओं में चक्कर लगाना था. सॉफ्ट लैंडिंग से पहले, चंद्रयान-3 ने पांचवीं कक्षा में एंट्री की है. अब यहां चक्कर लगाने के बाद, चंद्रयान-3 सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा.

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मिशन चंद्रयान-3 के लिए 17 अगस्त का दिन काफी महत्वपूर्ण है. चंद्रयान-3 ने चांद की पांचवी कक्षा में एंट्री ली है इसके साथ ही चंद्रमा की सतह पर उतरने के लिए पहला कदम तैयार है. अब तक चंद्रयान-3, चंद्रमा के इलिप्टिकल ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा था.

ऐसी रही है चंद्रयान-3 की यात्रा 
5 अगस्त को चंद्रयान-3 चंद्रमा के पहले इलिप्टिकल ऑर्बिट में पहुंचा था. यह चंद्रमा की पहली कक्षा कही जा सकती है. यहां पर चंद्रयान की रफ्तार को कम किया गया था. यहां पर चंद्रयान-3 और चंद्रमा के बीच की निकटतम दूरी 164 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 18 हजार चौहत्तर किलोमीटर थी. चंद्रयान-3 के लिए ये सबसे बड़ा इलिप्टिकल ऑर्बिट था. 

कैसे दो टुकड़ों में बंटेगा चंद्रयान-3?
अब चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा की सतह पर जाने के लिए अपनी प्रक्रिया शुरू कर देगा, जिसमें सबसे पहले चंद्रयान-3 से जुड़े प्रोपल्शन मॉड्यूल को अलग करना होगा. लैंडर मॉड्यूल को ही चांद पर उतरना है. चंद्रयान-3 के लैंडर से अलग होने के बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा के चक्कर लगाता रहेगा. प्रोपल्शन मॉड्यूल इस दौरान पृथ्वी से आने वाले रेडिएशन की जानकारी जुटाता रहेगा.

चंद्रयान-3 का लैंडर इसके बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चंद्रमा की सतह से अपनी दूरी लगातार कम करता रहेगा. चंद्रयान-3, चंद्रमा के सर्किलर ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. जब लैंडर और प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो जाएंगे तो उसके बाद ये दोनों गोलाकार ऑर्बिट में चंद्रमा के चक्कर लगाने लगेंगे. इस ऑर्बिट में चक्कर लगाते समय चंद्रमा की सतह से चंद्रयान की दूरी 100 किलोमीटर हो जाएगी. इलिप्टिकल ऑर्बिट में  में अधिकतम और निकटतम दूरी होती है.

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जब एक बार चंद्रयान-3 और चंद्रमा के सतह की दूरी कम होगी, तब सॉफ्ट लैंडिंग का आखिरी चरण शुरू हो जाएगा, जिसमें 23 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा. सर्कुलर ऑर्बिट में चंद्रयान के लैंडर मॉड्यूल की रफ्तार लगातार कम की जाती रहेगी. 

ऐसे होगी चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग
18 और 20 अगस्त को डी-ऑर्बिटिंग होगी. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा से 100 किलोमीटर की दूरी पर गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा, लेकिन लैंडर मॉड्यूल का रास्ता अलग कर दिया जाएगा. लैंडर मॉड्यूल  के अलग होने के बाद वह एक बार फिर से चंद्रमा के अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाएगा. इस दौरान चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल की चंद्रमा की सतह से अधिकतम दूरी 100 किलोमीटर और न्यूनतम दूरी 30 किलोमीटर होगी.

20 तारीख को चंद्रमा पर अंधेरा होगा, और चंद्रयान-3 को अंधेरे में लैंड कराने के लिए तैयार नहीं किया गया है, इसीलिए 23 तारीख को सूरज की रोशनी आने के बाद सॉफ्ट करवाई जा सकेगी. चंद्रयान-3 में सोलर पैनल लगे हैं, इसीलिए सूर्योदय का इंतजार किया जाएगा. यही नहीं इन तीन दिनों में लैंडर मॉड्यूल की रफ्तार भी कम होती जाएगी. इन्हीं चीजों के लिए 3 दिन का समय निश्चित किया गया है. 

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