डीएनए हिंदी: Karnataka Exit Polls- कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election 2023) का मतदान अब खत्म हो चुका है. बुधवार को हुए मतदान में करीब 66.46% मतदाताओं ने अपने अधिकार का उपयोग किया है. इसे मतदान का उम्मीद से कम का आंकड़ा माना जा रहा है, लेकिन इस छोटे वोट परसंटेज के कारण चुनावी दंगल और ज्यादा दिलचस्प हो चला है. यह दिलचस्पी इसलिए भी ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि मतदान के बाद सामने आए ज्यादातर एग्जिट पोल में मिक्स्ड रिजल्ट दिखाई दिया है. जहां ZEE NEWS और MATRIZE समेत कई एग्जिट पोल ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी के संकेत देखे हैं, वहीं कुछ पोल्स में दांव एक बार फिर भाजपा पर लगाया गया है. हालांकि सभी एग्जिट पोल में एक बात कॉमन दिख रही है, वो है राज्य के मैसूर एरिया में पकड़ की बदौलत कुमारस्वामी की पार्टी JDS के फिर 20 से 25 अहम सीटों पर अपना कब्जा जमाने के आसार. ऐसे में ये संभावना है कि एक बार फिर JDS ही राज्य में 'किंग मेकर' की भूमिका में दिखाई देगी. हालांकि यह 'किंग मेकर' ऊंट किस करवट बैठेगा, यह दिलचस्प साबित होगा. आइए पढ़ते हैं इस पर 5 पॉइंट्स.
1. क्या सामने आया है एग्जिट पोल्स में!
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स (Karnataka Assembly Election 2023 Exit Polls) में ज्यादातर सर्वे टीमों ने कांग्रेस के खाते में 100 से 118 सीटें आने का आकलन दिया है. यदि यह आकलन सही साबित होता है तो कांग्रेस बिना किसी बाहरी मदद के ही बहुमत का जादुई आंकड़ा छू लेगी. इसके उलट भाजपा को ज्यादातर सर्वे में 90 से 100 सीटों तक सिमटता हुआ माना गया है.
2. कैसे बनेगी JDS के किंग मेकर बनने की संभावना
यदि एग्जिट पोल्स सही साबित हुए और कांग्रेस सीधे बहुमत लायक आंकड़ा पाकर सरकार बनाने में सफल रही तो जेडीएस के लिए राह मुश्किल रहेगी, लेकिन यदि कांग्रेस सरकार बनाने लायक विधानसभा सीट जीतकर आगे नहीं बढ़ी तो जेडीएस ही किंग मेकर साबित होगा. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही जेडीएस को अपने साथ जोड़कर बहुमत हासिल करने की कवायद शुरू होगी. यही वह पायदान होगी, जहां जेडीएस किंग मेकर की तरह दिखाई देगा. कांग्रेस यदि 100 सीट जीतती है और अब तक चुनाव में उसके साथ चल रहे जेडीएस को मिलने वाली सीटों से वह बहुमत को आसानी से छू लेगी. यही काम भाजपा के लिए भी जेडीएस करेगा.
3. पिछले चुनाव में हुआ था ये काम
कर्नाटक में पिछले चुनाव के दौरान भी जेडीएस अचानक ऐन मौके पर किंगमेकर साबित हुआ था. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को 80 सीट मिली थी, जबकि भाजपा भी 104 सीट के साथ बहुमत की 113 सीट के जादुई आंकड़े से पिछड़ गई थी. जेडीएस को उस चुनाव में 37 सीट मिली थी. भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने ही उसे अपने साथ जोड़ने की कवायद की थी, जिसमें सफलता के लिए दोनों के सामने जेडीएस ने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने सु्प्रीमो एचडी कुमारस्वामी को नियुक्त करने का प्रस्ताव पेश किया था. कांग्रेस ने यह प्रस्ताव मानते हुए कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री बनाया था. अब एक बार फिर कुमारस्वामी की पार्टी के पास ही वे 20 से 25 अहम सीट आने के आसार हैं, जिन्हें साथ जोड़कर कांग्रेस या भाजपा के लिए सत्ता पर कब्जा जमाना आवश्यक रहेगा.
4. कांग्रेस के गले में फंस सकता है शिवकुमार का बयान
हालांकि एचडी कुमारस्वामी को अपने साथ जोड़ने के प्रयास में कांग्रेस के सामने एक मुश्किल आ सकती है. यह मुश्किल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार का है, जिन्होंने बुधवार को मतदान के दौरान स्पष्ट तौर पर एक इंटरव्यू में कहा था कि वे जेडीएस को किसी भी कीमत पर अपनी पार्टी के साथ नहीं जोड़ेंगे.
5. जोड़तोड़ की राजनीति में माहिर भाजपा से बचना मुश्किल
यह भी माना जा रहा है कि यदि सत्ता हासिल करने के लिए भाजपा और कांग्रेस को जोड़तोड़ की राजनीति ही अपनानी पड़ी तो इसमें भगवा दल ही आगे निकलेगा. यदि ऐसा हुआ तो भाजपा कुमारस्वामी को प्रदेश सरकार बनाने में शामिल करते हुए बाजी मारने में सफल साबित हो सकती है. मौजूदा मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने इसका इशारा भी कर दिया. बोम्मई ने कहा, मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि हम लोग स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार में वापसी कर रहे हैं. यहां किसी व्यक्ति के किंगमेकर बनने का सवाल नहीं है बल्कि मेरे लिए आम जनता ही किंगमेकर है और यही भाजपा को वापस सत्ता में लौटाएगी.
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