डीएनए हिंदी: कांग्रेस एक के बाद एक अपने गढ़ हारती चली जा रही है. कर्नाटक में हार से बचने के लिए पार्टी ने अपनी पुरानी रणनीति बदल दी है. नई रणनीति के सूत्रधार बने हैं राहुल गांधी. 224 सीट में हर सीट पर पार्टी ने अपने उम्मीदवारों को उतार दिया है. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और जनता दल (सेक्यूलर) के नेता राज्य में रणनीति तैयार कर रहे थे, अब उसे अंतिम रूप दिया जा रहा है.
कर्नाटक के रण में दलबदल भी किसी रणनीति से कम नहीं है. जैसे ही यह अफवाह फैली कि सत्तारूढ़ पार्टी के नेता साथ छोड़कर कांग्रेस में जा रहे हैं, राज्य में कांग्रेस का माहौल तैयार हो गया. कांग्रेस के दिग्गज बीजेपी में आए तो कहा गया कि बीजेपी दोबारा सत्ता में आ रही है, यही वजह है कि लोग जुड़ रहे हैं. ऐसे में नए सियासी समीकरणों को देखते हुए कांग्रेस ने पार्टी की रणनीति ही बदल दी है.
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लगातार हार से मिली है कांग्रेस को एक सबक
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोलार में अपना चुनाव अभियान शुरू किया और फिर उत्तरी कर्नाटक के कुछ हिस्सों का दौरा किया. ऐसा लग रहा है राहुल गांधी अब राष्ट्रीय मुद्दों की जगह स्थानीय मुद्दों पर जोर दे रहे हैं. जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस ने राष्ट्रीय मुद्दों को उठाकर चुनाव लड़ा है, वहां-वहां उसकी हार हुई है. अब कांग्रेस यह चूक कर्नाटक में नहीं करने वाली है. राज्य में कांग्रेस पार्टी अपनी चुनावी रणनीति में लगातार स्थानीयता पर जोर दे रही है.
बदली हुई रणनीति ने कांग्रेस को दी दिशा
कांग्रेस को बदली हुई रणनीति का फायदा मिल सकता है. बीजेपी की अब तक आदत रही है कि वह केंद्र में नरेंद्र मोदी के चेहरे को भुनाने की कोशिश करती रही है. स्थानीय नेताओं और मुद्दों को बीजेपी कभी भाव नहीं देती है. कांग्रेस इस नैरेटिव को भुनाने पर जोर दे रही है. कांग्रेस का सारा जोर कर्नाटक में व्याप्त भ्रष्टाचार, रोजगार और कमीशन कल्चर पर है. बीजेपी के खिलाफ माहौल तैयार करने में यह मददगार हो सकती है.
बीजेपी पर इन वजहों से हावी हो रही कांग्रेस
बीजेपी राज्य में बीते कुछ दिनों से संकट की स्थिति में है. 2019 से लेकर 2022 तक बीजेपी सिर्फ एजेंडे पर जोर देती रही. विकास हो नहीं पाया, यहीं कांग्रेस को मौका मिल गया. इस बार कांग्रेस ने एजेंडा तय किया और बीजेपी नेताओं की सफाई देते देते हालत पतली हो गई.
अपने चुनावी अभियान में राहुल गांधी राज्य सरकार पर सीधा हमला कर रहे हैं और केंद्रीय नेतृत्व पर अपने हमले को राज्य की राजनीति के चश्मे से जोड़ रहे हैं. राहुल गांधी पहली बार बेहद संतुलित नजर आ रहे हैं.
कर्नाटक में 40 सीटों पर बीजेपी को सिमटा रहे राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा है कि 40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार 40 सीटों पर सिमट जाएगी. राहुल गांधी लिंगायत वोटरों को लुभाने पर ध्यान दे रहे हैं. वह कर्नाटक में हेट स्पीच और क्राइम कल्चर का मुद्दा उठा रहे हैं.
राजनीति के नए गुर सीख चुके हैं राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कर्नाटक में बीजेपी को पटखनी देने की नई चाल चली है. अमूल-नंदिनी विवाद को राहुल गांधी ने जमकर भुनाया है. वह आइसक्रीम खाने के लिए राज्य के कांग्रेस नेताओं के साथ नंदिनी की एक दुकान पर गए थे. बाद में उन्होंने ट्वीट किया, 'कर्नाटक का गौरव- नंदिनी इज द बेस्ट'. राहुल गांधी राजनीति के नए गुर सीख चुके हैं. गुजराती बनाम कर्नाटक की जंग वह छेड़ चुके हैं.
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राष्ट्रीय मुद्दों के भरोसे नहीं जीते जाते चुनाव
राहुल गांधी का सारा फोकस सिर्फ स्थानीय चुनावों पर है. राहुल गांधी इतने सधे कदमों से चल रहे हैं कि वह सांसदी गंवा बैठे हैं, उसका जिक्र तक वहां नहीं कर रहे हैं. वह केंद्र को अडानी मुद्दे पर भी नहीं घेर रहे हैं. यह कर्नाटक के बाहर और देश भर में उनके भाषणों के मूल में यही शब्द रहे हैं. उनके कर्नाटक कैंपेन में ये मुद्दे गायब हैं. कर्नाटक जैसे राज्य में स्थानीय मुद्दे, राष्ट्रीय मुद्दे पर हावी होते हैं. यह दांव राहुल गांधी सीख गए हैं.
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