कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न, कितनी बदलेगी बिहार की राजनीति?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Jan 24, 2024, 01:20 PM IST

कर्पूरी ठाकुर.

बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर का नाम अदब से लिया जाता है. वह जीवनभर वंचितों और शोषितों की लड़ाई लड़ते रहे. अब सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया है.

डीएनए हिंदी: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है. वह दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं. उनकी जन्मशती के मौके पर मरणोपरांत उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जाएगा. कर्पूरी ठाकुर बिहार के पिछड़े वर्ग (OBC) वर्ग से आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को सामाजिक न्याय का प्रतीक बताया है. उन्हें भारत रत्न देने के फैसले का स्वागत RJD, JDU से लेकर हर राजनीतिक पार्टी ने की है.

मोदी सरकार के विरोधी होने के बाद भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस घोषणा की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि यह सर्वोच्च सम्मान दलितों, वंचितों और उपेक्षित वर्गों के बीच सकारात्मक भावना पैदा करेगा. बिहार की राजनीति जाति आधारित रही है. ऐसे में आइए जानते हैं उन्हें भारत रत्न देने के सियासी मतलब क्या हैं.

इसे भी पढ़ें- 'एकला चलो' की नीति पर चलेंगी ममता बनर्जी, INDIA गठबंधन का क्या होगा?

कैसे बिहार की राजनीति पर पड़ेगा असर?
कर्पूरी ठाकुर को अपना बनाने की कवायद बिहार की राजनीति का हिस्सा रही है. कर्पूरी ठाकुर का यह जन्मशताब्दी वर्ष है. वह बिहार की पिछड़ी जातियों के लिए सबसे बड़े प्रतीक पुरुषों में शामिल रहे हैं. अपनी धुर सामाजवादी विचारधारा की वजह से वे बिहार के जननायक कहलाते हैं. उन्हीं की राजनीति पर आगे बढ़कर लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने अपनी सियासत की शुरुआत की थी. आज भी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और जनता दल (यूनाइटेड) की राजनीति उन्हीं के सिद्धांतों के इर्द-गिर्द घूमती है.

केंद्र सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान करके बड़ा सियासी दांव चला है. कर्पूरी ठाकुर कम वक्त के लिए सत्ता में रहे लेकिन उन्होंने स्थाई नीतियां बनाईं. वह उन्हें जमीन पर उतारने में कामयाब रहे. उन्हें भारत रत्न देने से पिछड़ी जातियों का समर्थन बीजेपी को मिल सकता है. 

इसे भी पढ़ें- राम मंदिर में पहले ही दिन 5 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, टूट गए सारे रिकॉर्ड

कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के गरीबों, पीड़ितों, शोषितों और वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व का अवसर दिया था. कर्पूरी ठाकुर ने सामाजिक भेदभाव और असमानता के खिलाफ लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्हें आज भी बिहार का पिछड़ा तबका बेहद सम्मान की नजर से देखता है. एक अरसे से उन्हें भारत रत्न देने की मांग हो रही थी. वह खुद नाई समाज से आते थे. अब बीजेपी ने उन्हें भारत रत्न देकर पिछड़ी जातियों को साधने की कोशिश की है. लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नजदीक हैं, ऐसे में इसका असर देखने को मिल सकता है.

यह भी पढ़ें- अयोध्या में भीड़ को संभालने के लिए 8 मजिस्ट्रेट तैनात, वाहनों की एंट्री पर रोक

कर्पूरी ठाकुर के खास काम, कौन-कौन से हैं?
-कर्पूरी ठाकुर ने मैट्रिक परीक्षा के लिए अंग्रेजी को अनिवार्य विषय से हटा दिया.
- कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़ों की शिक्षा के लिए कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की थी.
- साल 1970 में, कर्पूरी ठाकुर ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की थी.

2 बार के मुख्यमंत्री थे कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर 24 जनवरी, 1924 को नाई समाज में पैदा हुए थे. वह दो बार के बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं. दिसंबर 1970 में सात महीने के लिए और बाद में 1977 में दो साल के लिए इस पद पर रहे. उन्होंने इसी दौरान कई सुधारों को लागू किया.उनके गांव का नाम बदलकर कर्पूरी ग्राम कर दिया गया है.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

karpoori thakur Bihar bharat ratna Bihar Politics lok sabha election 2024 congress OBC SC/ST Politics