डीएनए हिंदी: केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से आज मुलाकात करने वाले हैं. सीएम विजयन सिल्वरलाइन प्रोजेक्ट ( SilverLine Project) पर पीएम मोदी के साथ चर्चा करेंगे.
रेलवे का सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट केरल में लोगों के निशाने पर है. लोग बड़ी संख्या में इस प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात तब प्रस्तावित है जब ठीक एक दिन पहले पिनराई विजयन ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी थी.
कोच्चि-बेंगलुरु इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहीत की जा रही थी. पहली बार बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन 18 मार्च को हुआ था. अब यह राज्यव्यापी प्रदर्शन होता नजर आ रहा है.
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क्या है सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट?
सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट सीएम पिनराई विजयन की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इस प्रोजेक्ट के तहत 529 किलोमीटर की लंबी सिल्वर लाइन बिछाई जाएगी. तिरुवनंतपुरम को उत्तरी केरल के कासरगोड से कनेक्ट किया जाएगा. इस रेलवे लाइन में 11 स्टेशन बनाए जाएंगे जो 11 जिलों से गुजरेंगे.
अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है तो दो स्टोशनों के बीच की दूरी महज 4 घंटे में पूरी की जा सकेगी. अभी तिरुवनंतपुरम से कासरगोड तक पहुंचने में 12 घंटे लगते हैं. इस प्रोजेक्ट का कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) विरोध कर रहा है. विपक्ष का दावा है कि यह परियोजना अवैज्ञानिक और अव्यवहारिक है. इससे राज्य पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा.
कहां तक पहुंचा सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट?
मार्च में ही केरल के सीएम पिनराई विजयन ने कहा था कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के नेतृत्व वाली केरल सरकार सिल्वरलाइन परियोजना को लागू करेगी जबकि राज्य सरकार जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में मौजूदा बाजार मूल्य का चार गुना ज्यादा भुगतान करेगी.
पिनराई विजयन ने कहा था कि एलडीएफ सरकार सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट पर काम करेगी. लोगों को भ्रमित करने की कोशिशें की जा रही हैं. यह सच है कि जिन लोगों की जमीन अधिग्रहीत की जा रही है वे निराश होंगे लेकिन मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि सरकार आपको 4 गुना ज्यादा मुआवजा देगी.
सीएम विजयन के मुताबिक भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया मई 2022 तक पूरी कर ली जाएगी. इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए 2,242 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है. मई 2022 तक 87 फीसदी जमीन अधिग्रहीत कर ली जाएगी.
सिल्वरलाइन परियोजना का विरोध क्यों हो रहा है?
कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (BJP) और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) सहित कई विपक्षी दल पर्यावरण के मुद्दों का हवाला देकर परियोजना का विरोध कर रहे हैं. केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने दावा किया है कि यह रेल परियोजना एक आपदा की तरह होगी और इससे राज्य को कोई मदद नहीं मिलेगी. उन्होंने कहा है कि इस परियोजना की वजह से केरल में 30,000 परिवारों को विस्थापित होना पड़ेगा.
केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधर ने कहा है कि केरल सरकार ने इस मामले पर कोई स्टडी नहीं की है. उन्होंने यह भी कहा है कि सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट एक इकोलॉजिकल डिजास्टर साबित होगा. इसे अवैज्ञानिक तरीके से प्लांट किया गया है.
विपक्ष ने राज्य के 17 सांसदों की ओर से हस्ताक्षरित एक याचिका भी प्रस्तुत की थी जिसमें कहा गया था कि सिल्वर लाइन परियोजना एक एस्ट्रोनॉमिकल स्कैम साबित होगी. यह राज्य सरकार को कर्ज में डुबो देगी. इस प्रोजेक्ट की वजह से करीब 30,000 परिवारों को विस्थापित भी होना पड़ेगा.
'प्रोजेक्ट छोड़े केरल सरकार'
इकोलॉजी एक्सपर्ट्स का फोरम 'परिस्थिति एक्या वेदि' ने राज्य सरकार से अपील की है कि इस प्रोजेक्ट को छोड़ दिया जाए. फोरम ने यह भी सलाह दी है कि इसका कोई स्थाई समाधान निकाला जाए. एक समिति ने यह भी आरोप लगाया कि इस परियोजना से पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा क्योंकि लाइन के बड़े हिस्से के दोनों ओर तटबंधों का निर्माण प्राकृतिक जल निकास को रोकेगा और भारी बारिश के दौरान बाढ़ की बड़ी वजह बनेगा. जाने-माने भारतीय इकोलॉजिस्ट प्रोफेसर माधव गाडगिल ने कहा है कि इसका खामियाजा गरीब लोगों को भुगतना पड़ेगा. लोगों द्वारा उठाई गई विरोध की आवाज व्यर्थ नहीं जाएगी.
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