DNA EXCLUSIVE: इतिहास बनेंगी शताब्दी-राजधानी, ट्रेन स्पीड होगी 260 किमी, जानिए रेलवे का टारगेट-2047

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 19, 2022, 07:35 PM IST

Railway News: इंडियन रेलवे ने पूरे देश में ट्रेन नेटवर्क को आधुनिक करने का खाका खींच लिया है. चरणबद्ध तरीके से होने वाले इस आधुनिकीकरण में शताब्दी-राजधानी जैसी प्रीमियम ट्रेनों की जगह सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाई जाएंगी. आप भी ब्रह्मप्रकाश दुबे की इस खास रिपोर्ट में पढ़िए कैसे बदलेगी भारतीय रेलवे.

डीएनए हिंदी: बुलेट ट्रेन जैसी दिखने वाली वंदे भारत ट्रेनों (vande bharat train) ने भारतीय रेलवे (Indian Railways) की शक्ल बदलने का नजारा दिखाना शुरू कर दिया है. जल्द ही देश को पहली बुलेट ट्रेन भी मिल जाएगी. ये महज तस्वीर है उस आधुनिक ट्रेन नेटवर्क की, जिसका खाका रेल मंत्रालय (Rail Ministry) ने अगले कुछ सालों के लिए खींचा है. 

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मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, आने वाले कुछ साल में वंदे भारत ट्रेनों जैसे ट्रेन सेट देश के अलग-अलग महानगरों को जोड़ेंगे. ट्रेनसेट वे रेलगाड़ी होती हैं, जिनमें इंजन नहीं होता बल्कि बुलेट या मेट्रो ट्रेन की तरह अगले डिब्बे में ही एक छोटा ऑपरेटिंग केबिन होता है. अधिकारियों के मुताबिक, रेलवे अगले 25 साल यानी 2047 तक चरणबद्ध तरीके से देश के सभी रेल रूट पर ऐसे ही सेमी हाईस्पीड ट्रेन सेट चलाएगी, जो 200 से 250 किलोमीटर प्रति घंटा तक दौड़ेंगी. जैसे-जैसे ये नई ट्रेन तैयार होती जाएंगी, ट्रैक पर इन्हें उतारकर पुरानी ट्रेनों को हटाया जाता रहेगा.

फिलहाल ये है देश में स्थिति

अभी देश में दो वंदे भारत ट्रेन हैं, जो सेमी हाई स्पीड की रफ्तार से चल रही हैं. तीसरी वंदे भारत ट्रेन का ट्रायल शुरू हो गया है. अगले साल 15 अगस्त 2023 तक 75 वंदे भारत ट्रेन देशभर में दौड़ने लगेंगी. इसके बाद रेलवे का अगला टारगेट 400 वंदे भारत ट्रेन चलाने का है, जो देश के विभिन्न महानगरों को आपस में जोड़ेंगी. यह टारगेट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की तरफ से रेल मंत्रालय को दिया जा चुका है.

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रेलवे के मुताबिक, ICF कोच और LHB कोच (जो पुरानी ट्रेनों में लगे हैं) की तकनीक अब पुराने जमाने की हो चुकी है. यही वजह है कि वंदे भारत ट्रेन सेट को लाया गया है, जो कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और 260 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ़्तार से भी दौड़ाई जा सकती है.

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पहले चरण में दिल्ली से जोड़े जा रहे महानगर

सबसे पहले रेलवे ने देश की राजधानी दिल्ली को अन्य बड़े महानगरों से हाई स्पीड कनेक्टिविटी देने का टारगेट तय किया है.  खासतौर से दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट पर रेलवे सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने जा रहा है. इसके लिए इन रूट पर ट्रैक बदलने का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है. इसके लिए 18000 करोड़ रुपए की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है. 

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ऐसे बढ़ेगी इंडियन ट्रेन की स्टेप बाई स्टेप स्पीड

ऐसी की जा रही है तैयारी

रेल मंत्रालय के मुताबिक, 200 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा स्पीड पर ट्रेन चलाने के लिए रेलवे ट्रैक और सिग्नलिंग में पूरी तरह से बदलाव किया जाना है. इस पर भारतीय रेलवे तेजी से काम कर रहा है. इसके अलावा रोलिंग स्टॉक को भी पूरी तरह से बदला जाना है. रेल सफर को तेज, आरामदेह और सुरक्षित बनाने के लिए रेल मार्गों की फेंसिंग भी की जा रही है.

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कैसे बदला जा रहा है सिग्नलिंग सिस्टम?

अधिकारियों के मुताबिक, सेमी हाई स्पीड ट्रेन को चलाने के लिए पुराने सिग्नलिं सिस्टम की जगह कैब सिग्नलिंग सिस्टम (Cab Signaling System) लगाया जा रहा है. इस मॉडल तकनीकी में ट्रेन चला रहे ड्राइवर को ट्रैक किनारे लगे सिग्नल देखने की जरूरत नहीं होती है बल्कि इंजन में लगी स्क्रीन पर ही पूरे रेल मार्ग का सिग्नल सिस्टम दिख जाता है. इसे देखकर ड्राइवर ट्रेन चलाते हैं. रेलवे ने ट्रेन सेफ्टी के लिए जो नई तकनीकी 'कवच' ईजाद की है, उसमें कैब सिगनलिंग की सुविधा है. इससे सिग्नल चूकने से होने वाले एक्सीडेंट ना के बराबर हो जाएंगे.

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क्या है कवच तकनीक?

रेलवे में ट्रेनों को आपस में टक्कर से बचाने के लिए नई कवच तकनीक लगाई जा रही है. इस तकनीक में 2 ट्रेन आमने-सामने से यदि फुल स्पीड से भी आ रही हैं, तो टकराने से पहले ही वे ऑटोमेटिक तरीके से रुक जाती हैं. इसका ट्रायल रेल मंत्री अश्विन वैष्णव (Ashwin Vaishnav) ट्रेन में सवार होकर कर चुके हैं. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-कोलकाता रूट पर सबसे पहले कवच तकनीक को लगाया जा रहा है और इसके लिए रेल मंत्रालय ने 10000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है.

इलेक्ट्रिफिकेशन में बदलाव और उच्च क्षमता की लाइन 

सेमी हाई स्पीड ट्रेन चलाने के लिए रेलवे को पुराने हो चुके इलेक्ट्रिफिकेशन सिस्टम में भी बदलाव की जरूरत है, क्योंकि वंदे भारत जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन ज्यादा बिजली खींचती हैं. रेल मंत्रालय के मुताबिक, पुरानी लाइनों में बार-बार लाइन ट्रिपिंग की समस्या आती है, लिहाज़ा इसमें भी बदलाव किया जा रहा है.

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रेल मंत्रालय के मुताबिक, पहले चरण में दिल्ली मुगलसराय के 1650 किलोमीटर लंबे ट्रैक पर उच्च क्षमता की इलेक्ट्रिक लाइनों को लगाया जा रहा है. इसके बाद अगले चरण में देश के अलग-अलग हिस्सों में उच्च क्षमता वाली लाइनों को लगाया जाएगा.

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